Bihar board Class 10th Science Viral Question Paper Download 2023

Bihar board Class 10th Science Viral Question Paper Download :- दोस्तों आज के इस पोस्ट में 15 फरवरी 2023 के लिए विज्ञान का महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर दिया गया है जो कि 18 फरवरी 2023 परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है यही प्रश्न उत्तर 100 % आने की ग्रान्टी है इसलिए यह प्रश्न उत्तर को परीक्षा देने के लिए पढ़कर जाएं


1. साबित करें। f=R/2

Ans ⇒ दिए गए चित्र में B B’ एक अवतल दर्पण है। जिसका ध्रुव P है। तथा PC मुख्य अच्छ है। PC के समांतर एक निकट किरण AB दर्पण से परावर्तन के बाद फोकस पर गुजरती है।

 

 

चुकि CB दर्पण के सतह पर B अभिलंब है। इसलिए परावर्तन के नियम से।
परंतु <ABC=<BCF (एकांतर कोण)
फलस्वरुप, ΔBCF एक समदिबाहु त्रिभुज है।
अत: CF=BF ——(i)
यदि B, P के निकट हो तब PF=BF ——(ii)

अत: PF = CF
PF =Pc/2       

f = R/2

2. विद्युत मोटर क्या है? इनकी कार्यों का वर्णन करें।

Ans ⇒ विद्युत मोटर में एक शक्तिशाली चुंबक होता है। जिसके ध्रुव खंडों के बीच तांबे की तार कुंडलिक होती है। जिसे मोटर का आर्मेचर कहा जाता है। आर्मेचर के दोनों छोर पर पीतल के खंडित वलय R1 तथा R2 से जुड़ा हुआ होता है। वलय को कार्बन के ब्रश B1 तथा B2 स्पर्श करते हैं। जब आर्मेचर से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है। तब चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र के कारण कुंडली के AB तथा CD भुजाओं पर समान मानकर परंतु विपरीत दिशा में एक बलयुग्म लगता है। जिसके कारण आर्मेचर घूमने लगता है।

                                              Electric Motor

आधे घूर्णन के बाद जब CD भुजा ऊपर चली जाती है। और AB नीचे चली आती है। तब वाला एक का स्थान भी बदल जाता है। जिसके कारण धारा की दिशा एक ही तरफ बनी रहती है। और यह ब्ल्युग्म्म आर्मेचर को एक ही तरफ घूम आता है। अब आर्मेचर की धूरी बलेड लगा देते हैं। तब विद्युत पंखा बन जाता है। अब दूरी पर पट्टी लगाकर उसे मशीन से जोड़ दिया जाता है। और मोटर द्वारा मशीन चलाया जाता है।

Note :- विद्युत मोटर एक ऐसा यंत्र है। जिससे विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदला जाता है।

Note :-
विद्युत चुंबकीय प्रेरण ⇒ माइकल फैराडे सन 1831 ईस्वी में यह दिखाया। कि किसी चुंबक तथा तार की दूरी को तेजी से बदला जाए, तब क्षण भर के लिए तार में विद्युत धारा प्रवाहित होती है। इस प्रवाहित धारा को प्रेरित धारा तथा इस घटना को विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहा जाता है।


Bihar board Class 10th Science Question Paper 2023

3. विद्युत जनित्र क्या है ? इनकी कार्यों का वर्णन करें।

Ans ⇒ विद्युत जनित्र एक ऐसा यंत्र है। जिसके द्वारा यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।

चित्र में,  दिष्ट धारा जनित्र की संरचना को दर्शाया गया है। इसमें तांबे के तार के कुंडली नरम लोहे का क्रोड AB पर लपेटी गई है। जिसे आर्मेचर कहा जाता है। इस कुंडली को शक्तिशाली चुंबक NS के चुंबकीय क्षेत्र के बीच घुमाया जाता है। कुंडली के तार के दोनों छोर पर तांबे के विभक्त वलय C1 तथा C2 से जुड़े रहते हैं। दो कार्बन के बरस विभक्त बलय को स्पर्श करते हैं। कुंडली के घूर्णन और विभक्त वलय द्वारा प्रेरित धारा की दिशा में परिवर्तन के कारण प्रतिरोधक और लगातार एक ही दिशा में धारा प्रवाहित करता है। इस धारा को दिष्ट धारा तथा इस जनित्र को डायनेमो या दिष्ट धारा जनित्र कहा जाता है।

 

Note :- यदि विभक्त वलय के अस्थान पर दो सर्किल वलय C1 तथा C2 उपयोग किया जाए। तब धारा की दिशा आधे घूर्णन के बाद बदल जाएगी। इस प्रत्यावर्ती धारा जनित्र को एसी जनरेटर कहा जाता है।

4.  नेत्र की क्रिया विधि का वर्णन करे।

Ans- मानव नेत्र एक फोटो कैमरा की तरह कार्य करता है। जब अपवर्तित होकर कॉर्निया के माध्यम से आंखों में प्रवेश करती है। और नेत्र लेंस के द्वारा अपवर्तित होकर रेटिना पर मिलती है। रेटिना पर ही वस्तु का प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा बनता है। द्विक तंत्रिका के माध्यम से प्रतिबिंब की सुचना मस्तिष्क को मिलती है। इसमें यह विशेष क्षमता होती है। कि वह प्रतिबिंब को सीधा करके देख लेती है।

5.  समंजन क्षमता किसे कहते है ?

Ans – वस्तु दूर हो या निकट उसे साफ-साफ देख लेते हैं। आँख ऐसा अपने लेंस की फोकस दुरी बदलकर करता है। यह परिवर्तन सिलियरी पेशियों के तनाव के घटने बढ़ने से होता है। आंख के इस क्षमताको ही समंजन क्षमता कहते हैं।

Note ⇒ मानव नेत्र के स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेंटीमीटर होता है। तथा अधिकतम दूरी अनंत होता है।


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6. नेत्र दोष किसे कहते हैं

Ans – मानव नेत्र किसी वस्तु को 25 सेंटीमीटर न्यूनतम से लेकर अनंत तक स्पष्ट देख लेती है। कई कारणों से जब नेत्र इसके बीच में रखी वस्तु स्पष्ट नहीं देख पाती है। इस कमी को नेत्र दोष कहा जाता है।

नेत्र दोष के प्रकार ⇒

 नेत्र दोष के मुख्यतः तीन प्रकार हैं।

(I) निकट दृष्टि दोष ( myopia )
(II) दूर दृष्टि दोष ( Hypermetropia )
(III) जरा दृष्टि दोष ( Presbyopia )

( i ) निकट दृष्टि दोष ( myopia ) किसे कहते हैं ?

Ans – जिस नेत्र में निकट दृष्टि दोष होता है। वह दूर की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है। इसे स्पष्ट दृष्टि अनंत ना होकर कोई निकट बिंदु होता है। निकट दृष्टि दोष कहा जाता है ?

निकट दृष्टि दोष के कारण ⇒

(I) नेत्र गोलक का लंबा हो जाना जिससे लेंस एवं रेटिना के बीच की दूरी बढ़ जाती है।

(II) नेत्र लेंस का आवश्यकता से अधिक मोटा हो जाना जिससे फोकस दूरी कम हो जाती है। इस स्थिति में प्रतिबिंब रेटिना के आगे बढ़ जाती है। जिसके कारण वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं पड़ती है।

निकट दृष्टि दोष के उपचार ⇒ इस दोष को दूर करने के लिए जिस चश्मे का प्रयोग किया जाता है। वह अवतल लेंस या अपसारी लेंस होता है। क्योंकि यह दूर से आने वाले समांतर किरणों का इतना अपसरीत कर देता है। की किरने अनंत से आती हुई प्रतीत होता है।

(II) दूर दृष्टि दोष ( Hypermetropia ) किसे कहते हैं ?

Ans – जिस नेत्र में दूर दृष्टि दोष होता है। उसे निकट की वस्तु स्पष्ट नहीं दिखाई पड़ती है। इसमें दृष्टि का निकट बिंदु 25 सेंटीमीटर ना होकर थोड़ा दूर हो जाता है।

दूर दृष्टि दोष के कारण ⇒

(I) नत्र गोलक का छोटा हो जाना जिससे लेंस एवं रेटिना के बीच की दूरी घट जाती है।

(II) नेत्र लेंस की आवश्यकता से अधिक पतला हो जाना जिसके कारण फोकस दूरी बढ़ जाती है।

दूर दृष्टि दोष के उपचार ⇒  दूर दृष्टि दोष को दूर करने के लिए जिस चश्मे का प्रयोग किया जाता है। उसका लेंस उत्तर या अभिसारी लेंस होता है।

(III) जरा दृष्टि दोष ( Presbyopia ) किसे कहते हैं ?

Ans – उम्र बढ़ने के साथ-साथ नेत्र लेंस के समंजन क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण ना तो नजदीक की वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है। और ना ही दूर की अर्थात नेत्र निकट दृष्टि तथा दूर दृष्टि दोष दोनों से पीड़ित होता है।

जरा दृष्टि दोष के उपचारइस दोष को दूर करने के लिए जिस चश्मे का उपयोग किया जाता है। उसमें वायु फोकल लेंस का प्रयोग किया जाता है। चश्मे में ऊपर का भाग दूर की वस्तु को देखने के लिए, तथा नीचे का भाग पढ़ने में प्रयोग किया जाता है।

7.  प्रकाश का वर्ण विक्षेपण क्या है ?

Ans – प्रकाश के वर्ण विक्षेपण को दिखाने के लिए एक समतल दर्पण को इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि सूर्य का प्रकाश इस से परावर्तित होकर एक ऐसे कमरे में प्रवेश करें। जिसके अन्य सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद हो अब प्रकाश के रास्ते में एक गत्ते को रखते हैं। इसमें महीन छिद्र होता है। ताकि इस छिद्र से होकर प्रकाश की किरण गुजरे।

प्रकाश की किरण के पथ में एक प्रिज्म को इस प्रकार रखते हैं। कि उसके परावर्तक सतह से प्रकाश की किरण प्रवेश करें एवं दूसरी सतह से बाहर निकले अब सामने एक सफेद पर्दा डालते हैं जिस पर सात रंग की एक पट्टी बनती है। जिसे स्पेक्ट्रम कहा जाता है इसमें सात रंग होते हैं। सबसे ऊपर लाल रंग (Red), नारंगी (Orange), पीला (yellow), हरा(Green), नीला (Blue), जामुनी तथा बैगनी रंग होता है।

(I) लाल रंग का तरंगधैर्य सबसे अधिक होता है। तथा विचलन सबसे कम होता है।

(II) बैगनी रंग का तरंगधैर्य सबसे कम होता है। और विचरण अधिक होता है।

(III) लाल रंग का तरंगधैर्य 620 से 700 नैनोमीटर होता है। जबकि बैगनी रंग का तरंगधैर्य 400 से 440 नैनोमीटर होता है।

8.  इंद्रधनुष किसे कहते हैं ?

Ans – वर्षा होने के बाद प्रकाश की किरने हवा में लटके वर्षा की बूंदों के कारण प्रकाश के रंग का सात रंगों में भी बिखराब हो जाता है। और सूर्य के विपरीत दिशा में एक धनुष का आकार का रंगीन पट्टी तैयार हो जाता है। जिसे इंद्रधनुष कहते हैं। इंद्रधनुष के आंतरिक कोर में बैगनी रंग तथा बाहरी कोर में लाल रंग दिखाई पड़ता है।

9.  तारे टिमटिमाते हैं लेकिन ग्रह नहीं टिमटिमाते हैं क्यों ?

ग्रह तारों की अपेक्षा हमारे नजदीक होता है। इनसे इतना प्रकाश उत्पन्न होता है। कि वायुमंडलीय परतों के घनत्वों के स्थायित्व के प्रभाव के चलते प्राप्त किरणों की संख्या में अपेक्षाकृत नगण्य कभी कभी अनुभव होता है। ये स्थाई रूप से चमकते रहते हैं। तारो से चलने वाले प्रकाश वायुमंडल के विभिन्न घनत्व वाले परतो से गुजरने पर किरणों के पथ में विचलन होता है। तारों का प्रकाश विभिन्न क्षेत्रो में परिवर्तित होते हैं। और तारे निदिष्ट स्थान के इधर-उधर चमकते हुए दिखते हैं अतः तारे गाते हुए नजर आते हैं। लेकिन ग्रह नहीं।

10. ओम के नियम को सत्यापन करें।

Ans ⇒  दिए गए चित्र के अनुसार बैटरी, चालक तार, स्विच,एमीटर तथा वोल्टमीटर को सजाते हैं।

सत्यापन ⇒ जैसे ही स्विच के माध्यम से परिपथ बंद करते हैं। विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है। एमीटर तथा वोल्ट मीटर का पठन को नोट करते हैं। इसके बाद एक जगह दो सेल जोड़ते हैं। और पठन को नोट करते हैं इसी प्रकार से लोगों की संख्या 3,4,5 क्रमशः जोड़ते जाते हैं। और पठन नोट करते हैं। हम पाते हैं कि V/R का अनुपात हमेशा बराबर होता है।
जब इन दोनों का ग्राफ खींचते हैं “V” को X अक्ष पर तथा I को Y पर लेकर ग्राफ खींचने पर एक सरल रेखा प्राप्त होता है। जिससे साबित होता है। कि ओम का नियम सत्य है।

 


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11.  मैक्सवेल के दाहिने हस्त नियम को लिखें ।

Ans ⇒ यदि धारावाही चालक को दाहिने हाथ में इस प्रकार पकड़ा जाए कि अंगूठा विद्युत धारा की दिशा बतलाती है। तब हाथ की बाकी उंगलियां चुंबकीय क्षेत्र की दिशा बताएगी।


12.  फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम को लिखें ।

Ans ⇒  यदि हम बाएं हाथ की तीन उंगलियां या अंगूठा, तर्जनी, मध्यमा को लंबवत फैलाएं और यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा, मध्यमा विद्युत धारा की दिशा बतलाए, तब अंगूठा धारावाही चालक पर लग रहे बल की दिशा को दर्शाएगा।


13.  फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम को लिखें ।

Ans ⇒ यदि हम अपने दाहिने हाथ की तीन उंगलियां अंगूठा, तर्जनी, मध्यमा को एक दूसरे के लंबवत फैलाएं और यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र के दिशा अंगूठा गति की दिशा की ओर संकेत करें, तब मध्यमा प्रेरित धारा की दिशा बताएगी।

14.  प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में क्या अंतर है।  ( 2017 A )

Ans ⇒ 
प्रत्यावर्ती धारा 

(i) धारा का मान तथा दिशा समय के साथ बदलते हैं।
(ii) इसे आसानी से उत्पन्न किया जा सकता है।
(iii) यह डी.सी. current की अपेक्षा अधिक घातक होता है।
(iv) यह चालक के ऊपरी सतह पर प्रवाहित होता है।

दिष्ट धारा
(i) केवल दिष्ट धारा का परिमाण बदलता है।
(ii) इसे उत्पन्न करने में कठिनाई होती है।
(iii) यह ए.सी. current की अपेक्षा कम घातक होता है।
(iv) यह चालक के भीतरी भाग में प्रवाहित होता है।

15.  धोबिया सोडा बनाने की विधि का वर्णन करें।

Ans ⇒ धोने का सोडा का रासायनिक नाम सोडियम कार्बोनेट डेकाहाइड्रेट होता है। इसका रसायनिक सूत्र — Na2CO3.10H2O होता है। यह साल्वे विधि द्वारा बनाया जाता है। खाने वाले सोडा को गर्म करने पर सोडियम कार्बोनेट प्राप्त होता है। तथा प्राप्त सोडियम कार्बोनेट को जल के साथ अभिक्रिया करने पर धोने वाला सोडा बनता है।

Na2CO3+10H2O → NaCO3.10H2O

धोबिया सोडा का गुण– इसका जलीय विलियन क्षारीय होता है। तथा अम्लो को उदासीन बनाता है। जब इसे हवा में खुला छोड़ देते हैं। तब यह जल को त्याग कर सोडियम कार्बोनेट मोनोहाइड्रेट बन जाता है। इस क्रिया को उतफूलन अभिक्रिया कहते हैं।

धोबिया सोडा के उपयोग ⇒

(i) इसका उपयोग कपड़ा धोने में किया जाता है
(ii) इसका उपयोग कांच, कागज, साबुन इत्यादि के उत्पादन में किया जाता है।
(iii) इसका उपयोग पेट्रोलियम को शुद्ध करने में होता है। तथा खारे जल को मृदु जल बनाने में किया जाता है।

16.  विरंजक चूर्ण का रासायनिक नाम लिखे। तथा इनके बनाने का विधि का वर्णन करें।

Ans ⇒ विरंजक चूर्ण का रासायनिक नाम कैल्शियम ऑक्सिक्लोराइड होता है। जिसका सूत्र CaOCl2 होता है।

बनाने की विधि ठोस बुझे हुए चूने को 40 डिग्री सेल्सियस पर गर्म करके जब उस पर क्लोरीन गैस प्रवाहित किया जाता है। तब विरंजक चूर्ण का निर्माण होता है।

विरंजक चूर्ण के गुण ⇒

(i) यह सफेद रंग का चूर्ण होता है तथा इसमें क्लोरीन जैसी गंध होती है।
(ii) हवा में खुला छोड़ देने पर यह क्लोरीन गैस मुक्त करती है।
(iii) यह कपड़ा तथा कागज को रंजीत करता है।

विरंजक चूर्ण का उपयोग ⇒

(i) इसका उपयोग लॉन्ड्री में किया जाता है।
(ii) कीटनाशक के रूप में जल को शुद्ध करने में इसका उपयोग किया जाता है।
(iii) क्लोरीन एवं क्लोरोफॉर्म बनाने में विरंजक चूर्ण का प्रयोग किया जाता है।
(iv) कागज एवम कपड़े की फैक्ट्री में इसका उपयोग किया जाता है।

17.  प्लास्टर ऑफ पेरिस के रासायनिक नाम को लिखें। तथा बनाने की विधि का वर्णन करें।

Ans ⇒ प्लास्टर ऑफ पेरिस का रासायनिक नाम कैलशियम सल्फेट हेमीहाइड्रेट होता हैइसका रसायनिक सूत्र CaSO4.1/2H2O होता है।

बनाने की विधि ⇒
जिप्सम को तेजी से गर्म करने पर यह पूर्ण रूप से निर्जलीय होकर कैल्शियम सल्फेट का निर्माण करता है। यह निर्जलीकरण के बाद जब जिप्सम को 120 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाता है। तब प्लास्टर ऑफ पेरिस का निर्माण होता है। तथा जल बनता है।
CaSO4.2H2O →(Heat)→ CaSO4+10H2O

2(CaSO4.2H2O)→120→ (CaSO4)2.2H2O+3H2O

प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग ⇒

(i) टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने में तथा पार्टियों में,
(ii) मिट्टी के बर्तनों, के उपयोग में

18. समजातीय श्रेणी क्या है ? इनके दो विशेषताओं को लिखें।

Ans ⇒ कार्बनिक यौगिक की ऐसी श्रेणी जिसमें यौगिकों का सामान्य सूत्र एक हो, क्रियाशील मूलक समान हो, तथा रसायनिक गुण समान हो, तथा उसके दो क्रमागत सदस्यों में -CH2 का अंतर हो समजातीय श्रेणी कहा जाता है।
इनके दो विशेषताएं निम्नलिखित हैं।

(i)दो क्रमागत सदस्यों में हमेशा -CH2अंतर होता है ।
(ii)सभी यौगिक का रासायनिक गुण समान होता है।

19.  आयोडीन की कमी से कौन सी बीमारी होती है?

Ans :- हमारे शरीर में प्रोटीन और वसा के उपापचय की थायरोक्सिन कार्बोहाइड्रेट नियंत्रित करता है अवटु ग्रंथि को थायरोक्सिन हार्मोन बनाने के लिए आयोडीन आवश्यक होता है यह वृद्धि के संतुलन के लिए आवश्यक होता है अगर हमारे भोजन में आयोडीन की कमी रहेगी तो हम गायटर से ग्रसित हो सकते हैं इस बीमारी का लक्षण फूली हुई गर्दन या बाहर की और उभरे हुए नेत्र गोलक हो सकते हैं इस रोग से बचने तथा आयोडीन की शरीर में कमी को दूर करने के लिए आयोडीन युक्त नमक का उपयोग की सलाह दी जाती है

20.  अवायवीय श्वसन और वायवीय स्वसन में अंतर स्पष्ट करें।

अवायवीय श्वसन वायवीय स्वसन
 अवायवीय श्वसन ऑक्सीजन की   अनुपस्थिति  में होता है। वायवीय स्वसन ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है।
 अवायवीय श्वसन केवल कोशिका द्रव में   होता है। वायवीय स्वसन कोशिका द्रव्य एवं माइट्रोकांड्रिया में होता है।
 इसमें गुलकोज का आंशिक विखंडन होता   है। इसमें गुलकोज का पूर्ण विखंडन होता है।
 इसमें कम ऊर्जा मुक्त होती है। वायवीय स्वसन में ज्यादा ऊर्जा मुक्त होता है।

 

Matric Exam 2023 Question Answer

 1 SOCIAL SCIENCE ( सामाजिक विज्ञान )
 2 SCIENCE ( विज्ञान )
 3 HINDI ( हिंदी )
 4 ENGLISH ( इंग्लिश )
 5 SANSKRIT ( संस्कृत )
 6 MATH ( गणित )