Inter Board Exam 2024 History Question Answer ( कक्षा 12 इतिहास लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 6 Inter Exam – 2024

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इतिहास ( लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर ) PART – 6

Q101. सगुण एवं निर्गुण भक्ति में क्या अंतर है?

Ans :- सगुण भक्ति वाले भक्त भगवान को मनुष्य या उनके कई रूपों में मूर्ति बनाकर उनकी पूजा करते हैं। निर्गुण भक्ति में भक्त भगवान को अद्धैत, अविनाशी, चराचर का रचनाकार मानते हुए इनके अविनाशी स्वरूप की आराधना करते हैं।


Q102. भक्ति आंदोलन की विशेषताओं का वर्णन करें।

Ans :- (i) भक्ति आंदोलन के प्रणेता ईश्वर की एकता (एकेश्वरवाद) पर बल देते थे।’
(ii) भक्ति आंदोलन के सुधारकों ने मूर्तिपूजा, जात-पात, कर्मकाण्ड, आडम्बर आदि,
का विरोध किया।
(iii) इस आंदोलन के प्रचारकों ने गुरु को बड़ा महत्त्व दिया।
(iv) इस आदोलन के प्रचारकों ने सामान्य जन की भाषा में अपना उपदेश दिया।


Q103. भक्ति आंदोलन के उद्देश्य क्या थे?

Ans :- भक्ति आंदोलन के निम्नलिखित उद्देश्य थे
(i) धार्मिक आडम्बरों को दूर कर धर्म में आयी जटिलता को दूर करना।धार्मिक नियमों की कठोरता समाप्त कर नियमों को सरल बनाना ।
(ii) बहुदेववाद का विरोध कर एक ही ईश्वर की सत्ता का प्रचार करना। भगवान की भक्ति पर जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर मोक्ष प्राप्ति का लक्ष्य जनता के सामने रखना।


Q104. भक्ति आंदोलन के प्रमुख प्रभावों का वर्णन करें।

Ans :- भक्ति आंदोलन के प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं-

(i) हिन्दू-मुस्लिम में एकता स्थापित हुयी।
(ii) जात-पाँत एवं छुआ-छूत में कमी आयी।
(iii) कर्मकाण्डों को धक्का लगा
(iv) गुरु का महत्त्व स्थापित हुआ।
(v) हिन्दी एवं प्रांतीय भाषाओं की उन्नति हुई।


Q105. भक्ति आंदोलन के मुख्य कारणों का उल्लेख करें।

Ans :- भक्ति आंदोलन के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं
(i) सूफी संतों की उदारता, सहिष्णुता एवं प्रेममय पूजा ने जनता को प्रभावित किया।
(ii) हिन्दू व मुसलमानों के पारस्परिक सम्पर्क ने भी इस आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका
निभायी।
(iii) मुसलमान शासकों के धार्मिक अत्याचारों से त्रस्त हिन्दू जनता भगवद्भजन की ओर झुकी।


Q106. सूफी मत की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।

Ans :- सूफी मत की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं— विशेषतायें

(i) ईश्वर एक है, वही इस सृष्टि का कर्ता-धर्ता है, वह सब में है और सब उसमें है।
सभी पदार्थ उसी से पैदा होते हैं और अन्त में उसी में समा जाते हैं।
(ii) सभी धर्मों का लक्ष्य एक ही हैं, सभी धर्म मानव को अच्छी शिक्षा देते हैं। मार्ग भले
ही अलग-अलग हों पर मंजिल सभी धर्मों की एक ही है, परम ईश्वर की प्राप्ति।
(iii) ईश्वर को पाने के लिए मनुष्य मात्र से प्रेम करना जरूरी है। सूफीवाद मानवतावाद के
हिमायती थे।
(iv) सूफी विचारधारा में गुरु तथा शिष्य के मध्य संबंध को विशेष महत्त्व दिया गया है।


Q107. सूफीवाद से आप क्या समझते हैं?

Ans :- सूफी शब्द साधारणतः किसी मुस्लिम संत या दरवेश के लिए प्रयोग किया जाता है। इस शब्द की उत्पत्ति सफा (पवित्र) शब्द से हुई अर्थात् ईश्वर का ऐसा भक्त जो सभी सांसारिक बुराइयों से मुक्त हो। कुछ लेखकों ने सूफी शब्द को सफा (दर्जा) से जोड़ा जाता है अर्थात ऐसा व्यक्ति जो आध्यात्मिक रूप से भगवान के साथ पहले दर्जे का संबंध रखता हो। सुफी मत के मूल सिद्धांत कुरान और हजरत मुहम्मद की हदीश में मिलते हैं। वे महम्मद साहिब को अपना अवतार मानते थे और कुरान में पूरा विश्वास रखते थे। फिर भी समय पश्चात उन्होंने दूसरे धमों जैसे कि ईसाई मत, फारसी धर्म, बौद्ध मत और भारतीय के का विचारों और परंपराओं को अपना लिया। सूफी मत अपने विकास के पश्चात एक नदी के समान बन गया जिसमें आस-पास के क्षेत्रों की छोटी नदियाँ आकर मिल जाती है।”


Q108. सूफी सिद्धांतों के बारे में आप क्या जानते हैं?

Ans :- हिन्दुओं के साथ सम्पर्क में आने से मुसलमानों के दृष्टिकोण में अत्यधिक परिवर्तः हआ। हिन्द औरतों के साथ विवाह ने भी उनमें दया तथा सहिष्णुता का भाव भर दिया। इस प्रकार प्रभावित मुसलमान सूफी कहलाये तथा उनके निम्नलिखित सिद्धान्त थे
(i) सूफी लोग शान्तिपूर्वक अपने धर्म का प्रचार करना चाहते थे। ये लोग रहस्यवादी
और अल्लाह के रहस्यों की खोज करना अपना मुख्य उद्देश्य समझते थे।
(ii) सूफी सम्प्रदाय के अनुयायी सांसारिक भोग-विलास तथा वैभव के घोर विरोधी थे तथासादगी पर बल देते थे।
(iii) सूफी संप्रदाय ‘एकेश्वरवादी’ था। वह अल्लाह की एकता में विश्वास रखता था तथा
मुक्ति का उपदेश देता था।


Q109. सूफियों के मुख्य संप्रदाय कौन-कौन से थे?

Ans :- सूफियों के कई संप्रदाय थे, जिनमें चिश्ती संप्रदाय, सुहरावर्दी संप्रदाय, कादिरी संप्रदाय और नक्शबंदी संप्रदाय प्रमुख थे।
चिश्ती संप्रदाय (सिलसिला) ⇒ इस संप्रदाय के सबसे प्रमुख संत शेख सलीम चिश्ती थे। इनका दरगाह फतेहपुर सिकरी में है। इनके आशीर्वाद से ही सम्राट अकबर के पुत्र सलीम जहाँगीर का जन्म हुआ था।
सुहरावर्दी संप्रदाय ⇒ इस सम्प्रदाय के सबसे प्रमुख संत शेख बहाउद्दीन जकारिया थे।।
कादिरी संप्रदाय ⇒ भारत में कादिरी संप्रदाय के प्रवर्तक मुहम्मद गौस थे। राजकुमार दारा शिकोह इसी सिलसिले से जुड़े हुए थे। – नक्शबंदी संप्रदाय ख्वाजा वकी बिल्लाह जो काबुल के रहने वाले थे भारत में इसके प्रवर्तक थे। औरंगजेब इसी संप्रदाय से जुड़े हुए थे।


Q110. कबीर पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

Ans :- कबीर का जन्म 1425 ई० में एक विधवा ब्राह्मण स्त्री के गर्भ से हुआ था। कहा जाता है कि लोक-लाज के डर से, उसने कबीर को वाराणसी में लहरतारा के पास एक तालाब के समीप छोड़ दिया था। तत्पश्चात् उनका पालन-पोषण एक जुलाहा दम्पति नीरू और नीमा के द्वारा किया गया। उन्होंने ही बालक का नाम कबीर रखा जो कि अरबी भाषा का शब्द है। कबीर का अर्थ है महान। यथा नाम तथा काम की कहावत को चरितार्थ करते हुए हिन्दू-मुस्लिम एकता पर अत्यधिक बल देकर समाज में क्रांतिकारी विचार प्रतिपादित किये। अतः उन्हें क्रांतिकारी कबीर भी कहा जाता है। कबीर ने हिन्दू तथा मुसलमान दोनों के बीच का भेद-भाव समाप्त करने के लिए दोनों ही धर्मों की कुरीतियों तथा बाह्म आडम्बरों का जमकर विरोध किया। जन्म के स्थान पर कर्म की महत्ता प्रतिपादित की। उन्होंने सभी प्रकार की असमानताओं का विरोध किया। उनके विचार ‘बीजक’ नामक ग्रन्थ में संरक्षित है।


Q111. कबीर के क्या सिद्धांत थे

Ans :-कबीर का नाम भी भक्ति आंदोलन को गति प्रदान करने वाले सन्तों में विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यद्यपि वे अधिक पढ़े लिखे नहीं थे किन्तु फिर भी उनमें विद्वता तथा ज्ञान की बहुतायत थी। कबीर सांप्रदायिक एकता के पक्षपाती थे तथा आडम्बरों के विरोधी थे। संक्षेप में कबीर के सिद्धांत निम्नलिखित थे
(i) ईश्वर की एकता पर बल भारतीय दर्शनों
(ii) निराकार निर्गुण ब्रह्म की उपासना पर बल।

(iii) कबीर मूर्ति-पूजा तथा बाह्य आडम्बरों का विरोध करते थे।
(iv) वह जाति-पाँति में भी विडम्बरों का विरोध करते थे।


Q112. गुरु नानक पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

Ans :- गरु नानक का जन्म पंजाब के गजरानवाला जिले में 1469 ई० में रावी नदा क तट स्थित तलवंडी (ननकाना साहिब) नामक ग्राम में हआ था। कबीर की भाँति नानक ने भी धार्मिक अदम्बरों, कर्मकांडों, अवतारवाद, मूर्तिपूजा, ऊँच-नीच आदि का विरोध किया और निर्गुण एवं निराकार ईश्वर की पूजा पर बल दिया।
हिन्दू-मुस्लिम एकता के वे प्रबल समर्थक थे। उन्होंने सिक्ख धर्म की स्थापना की। शारीरिक न द्वारा जीविकोपार्जन पर आधारित नई समाज की स्थापना नानक द्वारा की गई। नानक की वाणी ने कालांतर में गुरु गोविन्द सिंह को व्यापक सिद्धांतों के आधार पर एक नये धर्म की स्थापना के लिए प्रेरित किया। नानक के उपदेशों का संग्रह ‘गरु ग्रन्थ साहब’ में है, जो सिक्खों का धर्म ग्रन्थ है।


Q113. चिश्ती संप्रदाय के तीन प्रमुख संतों का संक्षिप्त परिचय दें।

Ans :-
(i) ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती– यह 1113 में मध्य एशिया में जन्मे थे। मुसलमान महात्माओं में इनका नाम विशेष प्रसिद्ध है।
(ii) शेख निजामुद्दीन औलिया देहली में स्थित प्रसिद्ध दरगाह, जिस पर कि प्रतिवर्ष मेले के अवसर पर बड़ी संख्या में हिन्दू तथा मुसलमान आते हैं। शेख निजामुद्दीन मुहम्मद तुगलक के समकालीन थे। अपने समय की जनता पर शेख साहब . का बहुत प्रभाव था।
(iii) बाबा फरीद-काबुल के राजवंश में पैदा होकर यह मुल्तान में रहा करते थे। बाबा फरीद मनुष्य मात्र से प्रेम करने की शिक्षा देते थे। इनसे केवल मुसलमान ही नहीं वरन् हिन्दू भी – बहुत प्रभावित थे।


Q114. “उर्स एवं दरगाह” से आप क्या समझते हैं?

Ans :- किसी भी सिलसिले में पीर की मृत्यु के उपरांत उसकी दरगाह उनके मुरीदों के लिए – भक्ति का स्थान बन जाता था। फारसी भाषा में दरगाह का अर्थ दरबार है। इस पीर की दरगाह पर जियारत के लिए जाने की विशेष तौर पर उनकी बरसी के अवसर पर परंपरा आरंभ हो गई। इसी परंपरा को उर्स कहा जाने लगा। उर्स के अवसर पर दरगाह के आस-पास मेला लगता है।  दरगाह पर जाकर मांगी गयी लोगों की मन्नतें पूर्ण होती है। कहा जाता है कि अकबर ने फतेहपुरं सीकरी में शेख सलीम चिश्ती की दरगाह पर मन्नत मांगी थी। अकबर को जब पुत्र प्राप्त हुआ तो पुत्र का नाम शेख के नाम पर ही सलीम जहाँगीर रखा।


Q115. अलवार और नयनार संतों के विषय में लिखें।

Ans :- भारत में भक्ति परम्परा की शुरुआत दक्षिण भारत से अलवार और नयनार संतों के कम स हुई थी। दक्षिण भारत में अलवार और नयनार संतों ने घूम-फिर कर धर्म का प्रचार अलवार वैष्णव और नयनार शैव मत के अनुयायी थे और दोनों ही मत के संतों ने जात-पात आर अस्पृश्यता का विरोध कर समाज में सामंजस्य लाने का प्रयत्न किया। अलवार संतों का कहना है कि विष्णु भगवान की कमा सभी वर्ण के भक्तों पर रहती है इसके लिए ब्राह्मण होना जरूरी हा। एक तरह इस सम्प्रदाय के संतों ने सीधे-सीधे दक्षिण भारत में ब्राह्मणवाद को चुनौती दिया था। अलवार संतों की संख्या 12 तथा नयनार संतों की संख्या 63 बताई जाती है। इन संतों में कुछ महिलाएँ भी शामिल थीं।


Q116. सिलसिला से आप क्या समझते हैं?

Ans :- सिलसिला का शाब्दिक अर्थ है—जंजीर, जो शेख और मुरीद के बीच के एक निरन्तर रिश्ते का द्योतक है। इस जंजीर की पहली कड़ी पैगम्बर मुहम्मद से जुड़ी है। इस कड़ी के मार्फत – पैगम्बर साहब एवं पीर (गुरु) की आध्यात्मिक शक्ति एवं आशीर्वाद उनके इस जंजीर से अंतिम छोर तक जुड़े मुरीदी तक पहुँचता है।


Q117. चैतन्य महाप्रभु पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

Ans :- चैतन्य भगवान कृष्ण के उपासक थे। उनका जन्म बंगाल के नदिया जिले में एक संभ्रान्त ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बीस वर्ष की आयु में उन्होंने संन्यास ग्रहण कर लिया था। -कबीर तथा नानक के समान चैतन्य ने भी समन्वयवादी दृष्टिकोण अपनाया तथा बंगाल में
साम्प्रदायिकता सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया। चैतन्य के सिद्धांतों में राधा-कृष्ण की प्रेम, भक्ति और उनकी लीलाओं का प्रधान्य है। उनका मानना था कि मानव को राधा की भांति कृष्ण प्रेम में रत रहना चाहिए। उन्होंने कीर्तन, नृत्य तथा संगीत द्वारा कृष्ण भक्ति पर विशेष बल दिया। बंगाल, बिहार, उडिसा में लोगों पर चैतन्य का काफी प्रभाव पड़ा।


Q118. भारत आने वाले दो विदेशी यात्री एवं उनके यात्रा वृत्तान्तों के नाम लिखें।

Ans :-भारत आने वाले दो विदेशी यात्री एवं उनके यात्रा वृतांत निम्न हैं
(i) अलबरूनी -किताब-उल-हिंद,
(ii) इब्नबतूता- रेहला


Q119. कॉलिन पैकेन्जी कौन थे?

Ans :- 1754 ई० में जन्में कॉलिन मैकेन्जी ने एक अभियंता, सर्वेक्षक तथा मानचित्रकार के । रूप में प्रसिद्धि हासिल की। 1815 में उन्हें भारत का पहला सर्वेयर जनरल बनाया गया और 1821 में अपनी मृत्यु तक वे इस पद पर बने रहे। भारत के अतीत को बेहतर ढंग से समझने और उपनिवेश के प्रशासन को आसान बनाने के लिए उन्होंने इतिहास से संबंधित स्थानीय परम्पराओं का संकलन तथा ऐतिहासिक स्थलों का सर्वेक्षण करना आरंभ किया। विजयनगर के कानूनों और रीति-रिवाजों के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी है।


Q120. रेहला पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

Ans :- मोरक्को निवासी इब्नबतूता ने अपनी भारत यात्रा के बाद स्वदेश लौटने पर यात्रा वृतांत लिखा। इब्नबतूता ने रेहला में तुगलक को कठोर एवं निर्दयी शासक बताया है। उसने छोटे-छोटे अपराधों के लिए अपराधियों का अंग काट लेने की बात कही है। किसी गलतफहमी का शिकार होकर इब्नबतूता को भी कारागार में डाल दिया गया था। बाद में गलतफहमी दूर होने पर. उसे राजकीय सेवा में लेकर दिल्ली का काजी नियुक्त किया था। दूसरी तरफ उसकी धार्मिकता की प्रशंसा करते हुये सच्चा मुसलमान बताया है।


Q121. बर्नियर ने सती प्रथा का वर्णन कैसे किया है?

Ans :- बर्नियर सहित प्रायः सभी यात्रियों ने भारत में महिलाओं की स्थिति पर विशेष ध्यान दिया। वस्तुतः पश्चिम की महिलाओं की स्थिति एवं पूर्व की महिलाओं की स्थिति में भिन्नता दशान का एक महत्त्वपूर्ण बिन्द था। सती प्रथा भारतीय समाज की एक ऐसी बुराई थी जो अन्य 62″ में प्रचलित नहीं थी। बर्नियर बताता है कि भारत में कुछ महिलाएँ प्रसन्नता से सती होती थीं एव कुछ महिलाओं को सती होने के लिए बाध्य किया जाता था। बर्नियर अपने यात्रा वर्णन के द्वारा . एक बार फिर यूरोपीय श्रेष्ठता एवं भारत में बुराई को प्रमाणित करना चाहता था।


Q122. किताब-उल-हिन्द पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

Ans :- अरबी में अलबरूनी द्वारा लिखी गई यह पस्तक कल 80 अध्यायों में विभक्त है। इस पस्तक में अनेक महान व्यक्तियों, दार्शनिकों एवं वैज्ञानिकों के विषय में लिखा है। यह एक विशाल ग्रन्थ है जिसमें भारतीय धर्म, दर्शन, त्योहार, खगोल विद्या, रीति-रिवाज, परम्पराओं, सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन, माप-तौल की विधियाँ, मूर्तिकला, कानून, प्रान्तों की सीमाओं नदियों आदि की जानकारी मिलती है। इसके 80 अध्यायों में से अधिकांश नक्षत्र विद्या विषय की विषय वस्तु पर आधारित है। इसके 9वें अध्याय में जाति-प्रथा एवं वर्ण व्यवस्था पर प्रकाश डाला है। 64वें अध्याय में जातियों के अनुष्ठानों एवं रीति-रिवाजों का वर्णन है। 69वें अध्याय में भारतीय स्त्रियों की स्थिति का वर्णन है।


Q123. दास प्रथा के संबंध में इब्नबतुता का विवरण दें।

Ans :- इब्नबतुता ने अपने यात्रा वृतांत में दास प्रथा का जिक्र किया है। उसने लिखा है कि बाजार में जानवरों की तरह दासों की खरीद-बिक्री होती थी। दास उपहार स्वरूपं भी दिये जाते थे। स्वयं इब्नबतुता ने मुल्तान के गवर्नर को ‘दास’ और ‘घोड़ा’ भेंटस्वरूप प्रदान किये थे। दासों की अलग-अलग श्रेणियाँ थीं। कुछ दास सुल्तान की खास सेवा के लिए रखे जाते थे, कुछ गायन और संगीत में निपुण होते थे तो कुछ गुप्तचरी के कार्य में दक्ष होते थे। यह अमानवीय प्रथा विश्व के कई देशों में प्रचलित थी।


Q124. फ्रांसिस बुकानन कौन थे।

Ans :- फ्रांसिस बुकानन वेलेजली का शल्य चिकित्सक बनकर भारत आया था। उसने । कलकत्ता में एक चिड़ियाघर स्थापित किया जो बाद में अलीपुर चिड़ियाघर कहलाया। वह न तो इतिहासकार था और न ही सर्वे अधिकारी फिर भी उसने बंगाल सरकार के निवेदन पर कंपनी के क्षेत्राधिकार वाली भूमि का सर्वे किया था। उसके सर्वे तत्युगीन इतिहास का अच्छा स्रोत है। बुकानन इतिहासकार न होते हुए भी उसकी दृष्टि ऐतिहासिक थी। उसके विवरणों को यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन किया जाये तो उससे अनेकानेक ऐतिहासिक तथ्य प्राप्त किये जा सकते था भारत आनेवाले विदेशी यात्रियों की तरह उसने प्रत्येक घटना का आँखों देखा हाल प्रस्तुत करने का भरसक प्रयास किया था।

कक्षा 12 बिहार बोर्ड  राजनीति विज्ञान लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर 2024 

S.N कक्षा 12  ( लघु उत्तरीय & दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर )  2024 
   1. Political Science ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 1
   2. Political Science ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 2
   3. Political Science ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 3
   4. Political Science ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 4
   5. Political Science ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 5