Class 12 Psychology ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) 2022 ( 15 Marks ) | PART – 5

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दोस्तों आज के इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 12 मनोविज्ञान का महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर दिया गया है। दोस्तों यह प्रश्न उत्तर आपके इंटर बोर्ड परीक्षा में ( 15 Marks ) के पूछे जाते हैं। तथा जितने भी क्वेश्चन दिए गए हैं कक्षा 12वीं मनोविज्ञान लंबे प्रश्न उत्तर पीडीएफ डाउनलोड सभी पिछले साल पूछे जा चुके हैं ,तो दोस्तों यह सभी प्रश्न उत्तर आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसलिए शुरू से अंत तक दिए गए प्रश्न उत्तर को जरूर पढ़ें।


Psychology ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART – 5

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Q46. मनोविदलता के कारणों का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ मनोविदलता एक जटिल मानसिक रोग है, अत: इसके अनेक कारण हैं।

(i) वंशानुक्रम कुछ मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, इस मानसिक रोग का कारण वंशानुक्रम है।
(ii) गलत अभियोजन-एडोल्फ मेयर ने जीवन की असफलता और वर्तमान परिस्थितियों के साथ गलत अभियोजन को इस मानसिक रोग का कारण के रूप में स्वीकार किया है।
(iii) मनोलैंगिक विकास प्रसिद्ध मनोविश्लेषक फ्रायड (Freud) ने मनोविदलता की उत्पत्ति में मनोलैंगिक विकास को आधार माना है।
(iv) निराशा एवं अन्तर्द्वन्द्व : कुछ मनोवैज्ञानिकों ने अपने अध्ययनों में देखा कि अन्य मानसिक बीमारियों की तरह निराशा और अन्तर्द्वन्द्व इस मानसिक रोग का भी कारण है।
(v) सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारण-मनोविदलता के कारणों की व्याख्या कुछ मनोवैज्ञानिकों ने सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक आधार पर करने का प्रयास किया है।


कक्षा 12 मनोविज्ञान दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर पीडीएफ डाउनलोड इन हिंदी

Q47. उत्साह-विषाद के विकृति के कारणों का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ मनोचिकित्सकों ने जिन कारणों की चर्चा की है, वे इस प्रकार हैं

(i) वंश-परम्परा-स्लैटर (Slater), प्रेसी (Pressey) आदि के अध्ययनों के आधार पर कहा जा सकता है कि इस मानसिक रोग की उत्पत्ति में वंश-परम्परा का हाथ रहता है।
(ii) मनोवैज्ञानिक तत्त्व (Psychological Element)—इस मानसिक रोग की उत्पत्ति में मनोवैज्ञानिक तत्त्वों का विशेष योगदान रहता है। मनोवैज्ञानिक कारणों में पारिवारिक वातावरण, आत्मसमर्पण की प्रवृत्तियों का संतुलित विकास, चिन्ता की भावना आदि मुख्य है।
(iii) आत्मस्थापना एवं हीन-भावना-एडलर (Adler) ने आत्मस्थापन एवं हीनता की . भावना के आधार पर इस मानसिक रोग की व्याख्या की है।
(iv) मनोलैंगिक विकास-फ्रायड (Freud) ने इस मानसिक रोग की व्याख्या प्रतिगमन (Regression) तथा सुपर इंगो (Super ego) के आधार पर किया है।
(v) असहाय स्थिति कोई व्यक्ति किसी कारणवश यदि अपने-आपको असहाय समझने – लगता है तो इन परिस्थितियों में भी इस रोग के उत्पन्न होने की संभावना रहती है।


Q48. कायारूप विकार से आपका क्या तात्पर्य है? विभिन्न कायारूप विकारों का वर्णन कीजिए।

उत्तर ⇔ कायारूप विकारों में व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक कठिनाइयाँ होती हैं और वह शिकायत उन शारीरिक लक्षणों की करता है जिसका कोई जैविक कारण नहीं होता। कायारूप विकारों में पीड़ा विकार, काय-आलंबित विकार
तथा परिवर्तन विकार रोग सम्मिलित होते हैं।

(i) पीड़ा—- विकार इसे अति तीव्र और अक्षम करने वाली पीड़ा बताया जाता है जो या तो बिना किसी अभिक्षेय जैविक लक्षणों के होता है या जितना जैविक लक्षण होना चाहिए उससे कहीं ज्यादा बताया जाता है।
(ii) काय-आलंबिता विकार— इसके रोगियों में कई प्रकार की और बार-बार घटित होने वाली या लंबे समय तक चलने वाली शारीरिक शिकायतें होती हैं।
(iii) परिवर्तन विकार- इसके लक्षणों में शरीर के कुछ मूल प्रकार्यों में से सब में या कुछ अंशों में क्षति बताई जाती है। पक्षाघात, बधिरता या बहरापन और चलने में कठिनाई का होना इसके सामान्य लक्षण होते हैं।


Q49. व्यवहार चिकित्सा का मूल्यांकन करें।

उत्तर ⇔ व्यवहार चिकित्सा वह चिकित्सा विधि है, जिसमें रोगी के व्यवहार में आवश्यक परिमार्जन करके उसके लक्षणों को दूर करने का प्रयास किया जाता है। यह चिकित्सा विधि स्किनर । तथा उल्पे (Wolpe) के प्रयास
से विकसित हो सकी है।
इसमें रोगी के व्यवहार में परिमार्जन लाने के उद्देश्य से कई विधियों का उपयोग किया जाता है।

गुण : (Merits)
(i) मनोचिकित्सा की यह विधि बहुत अंशों में वस्तुनिष्ठ है।
(ii) इस चिकित्सा विधि का क्षेत्र काफी व्यापक होता है।
(iii) यह विधि अनुभविक प्रमाणों पर आधारित है।
(iv) इस चिकित्सा विधि का कोई घातक प्रभाव रोगी पर नहीं पड़ता है (Kisker, 1985)

इन गुणों के होते हुए इसमें कई तरह के दोष (Demerits) भी हैं—

(i) वास्तव में यह महज एक सतही चिकित्सा (surface therapy) है। इसमें कारण की खोज नहीं की जाती है और अनुमानित ढंग से उपचार का प्रयास किया जाता है।
(ii) इस विधि से मनोविदलता के रोगी का उपचार संभव नहीं है।
(iii) विषाद से पीड़ित व्यक्ति अर्थात् उत्साह विषाद (manic depression) के रोगी का उपचार संभव नहीं होता है।
(iv) फोबिया (phobia) का उपचार भी समुचित रूप से इसके द्वारा संभव नहीं है (Korchin, 2005) इस प्रकार स्पष्ट है कि व्यवहार चिकित्सा के कुछ निश्चित लाभ (Advantages) तथा हानि
(Disadvantages) होता है। अतः चिकित्सक को चाहिए कि वह परिस्थिति की अनुकूलता के अनुसार इस चिकित्सा विधि का उपयोग करें।


 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर कक्षा 12 मनोविज्ञान कक्षा 12

Q50. मनोविश्लेषणात्मक चिकित्सा विधि का मूल्यांकन करें।

उत्तर ⇔ इस चिकित्सा विधि के निम्नलिखित गुण हैं

(i) गहनता चिकित्सा (Depth therapy)—इस चिकित्सा विधि का एक गुण यह है कि . इसके माध्यम से गहन रूप से किसी मानसिक रोग का उपचार किया जाता है।
(ii) तात्विक चिकित्सा (Substance therapy)—मनोविश्लेषण-चिकित्सा तात्विक होने के कारण सफल प्रमाणित हुई है। यह चिकित्सा तात्विक इसलिए है कि यहाँ लक्षणों के कारणों की जानकारी प्राप्त करके उनका समाधान किया जाता है। (iii) रूपान्तर विकृति के लिए प्रभावी (Effective for conversion disorder) —- इस ‘ चिकित्सा विधि से रूपान्तर विकृति के रोगियों का उपचार काफी प्रभावी तथा सफल होता है
(iv) स्नायुविकृत विषाद के लिए प्रभावी Effective for neurotic depression) है चिकित्सा विधि से स्नायुविकृत विषाद से पीड़ित रोगियों का उपचार अधिक सफल  होता है।
(v) अन्तर्मखी रोगी के लिए प्रभावी (Effective for introvert patient)—इस चिकित्सा विधि से ऐसे रोगियों को अधिक लाभ होता है जो अन्तर्मुखी होते हैं। कारण, यह एक आदेश चिकित्सा विधि है।

दोष (Demerits)—कई गुणों के होते हुए भी इस चिकित्सा विधि के निम्नलिखित दोष या सीमाएँ (limitations) हैं

(i) इस प्रविधि का कार्य-क्षेत्र सीमित है (Scope of this technique is limited) वस्तुतः इसका क्षेत्र बहुत ही सीमित है।
(ii) संबंध-विच्छेद की अवस्था (Stage of Termination)—इस चिकित्सा में रोगी और चिकित्सक के बीच, गहरा संबंध स्थापित हो जाता है। संबंध-विच्छेद में शीघ्रता करने से रोगी कभी-कभी नये लक्षणों का शिकार बन जाता है।


Q51. उन्माद के कारणों या गतिकि का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ हिस्टीरिया के वास्तविक कारण को लेकर मनोवैज्ञानिकों एवं मनोचिकित्सकों में एक मत का अभाव हैं। विभिन्न विचारकों ने इसके निम्नलिखित कारण बतलाये हैं—

(i) सझाव ग्रहणशीलता की अधिकता जिन — व्यक्तियों में उच्च सुझाव ग्रहणशीलता का – गुण विद्यमान होता है, उनका Ego कमजोर होता है। इससे वे उत्पन्न हो सकते हैं।

(ii) मानसिक आघात— जब व्यक्ति के परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु होती है, प्रेम में निराशा, व्यवसाय में असफलता, वैवाहिक जीवन में असंतुष्टि आदि होता है तो उसे मानसिक आघात पहुँचता है। वह संवेगात्मक तनाव अनुभव करता है। यह संवेगात्मक तनाव उसके Ego को संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में डाल देता है, फलस्वरूप वह व्यक्ति इस मानसिक रोग का शिकार हो जाता है।

(iii) उम्र — किशोरावस्था में पहुँचने पर व्यक्ति के सामने विभिन्न प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जिसका समाधान वह नहीं कर पाता है। फलस्वरूप वह अपने मानसिक तनाव को दूर करने के लिए अपने आप में
उन्माद का लक्षण विकसित कर लेता है।

(iv) व्यक्तित्व बहिर्मुखी व्यक्तित्व वाले लोग संवेगों का शिकार अधिक होते है। जब भी उनके मन में विचार आता है तो उसे कार्य रूप में परिणत करने के लिए उतावला हो जाते हैं। किसी कारणवश जब वे अपने विचारों को कार्यरूप में परिणत नहीं कर पाते तो उनका मन संवेगों से घिर जाता है और उन्माद का शिकार हो जाते हैं।
(v) मंद बद्धि मंद बुद्धि भी इस मानसिक रोग का कारण है।
(vi) लैंगिक इच्छाओं का दमन फ्रायड (Freud) ने इस मानसिक रोग का कारण लैंगिक इच्छाओं का दमन माना है।


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Q52. औषध व्यसन के कारणों का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ Drug addiction के अर्थ लगातार drug लेना तथा उस पर निर्भरता बनायी रखने से हैं। औषध व्यसन के निम्नलिखित कारण हैं –

जिज्ञासा तथा समह दबाव (Curiosity and peer pressures) —बीस साल सका आयु के व्यक्तियों में drug addiction का कारण

(i) जिज्ञासा तथा समूह-दबाव है। लड़के तथा लड़कियाँ जिज्ञासा एवं मित्रों के दबाव के कारण औषध का व्यवहार करने लगते हैं।
(ii) आकस्मिक व्यसन अध्ययनों से पता चलता है कि लगभग 5% drug addict वास्तव में आकस्मिक रूप से हो जाते हैं।
(iii) औषध व्यसन एवं मनोविकृति Drug addiction का एक कारण characterdisorder तथा अन्य psychopathological disorder है।


Q53. पूर्वाग्रह या पूर्वधारणा क्या है? इसके कारणों का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ पूर्वाग्रह या पूर्वधारणा का तात्पर्य व्यक्तियों या वस्तुओं के प्राप्त पूर्व निर्णय, भाव – या प्रतिक्रिया से है, जो पूर्व निर्धारित होने के कारण वास्तविक अनुभव पर आधारित नहीं होती है।
कारण पूर्वाग्रह या पूर्वधारणा के विकास पर कई तरह के कारणों या कारकों का प्रभाव पड़ता है, जो निम्नलिखित हैं

(i) प्राथमिक समाजीकरण(Primary socialization)—पूर्वाग्रह का यह बहुत बड़ा कारण है। बच्चे अपने माता-पिता तथा अन्य सदस्यों के व्यवहारों का निरीक्षण करके तरह-तरह की पूर्वधारणा को सीख लेते हैं।
(ii) प्रत्यक्ष शिक्षण (Direct teaching) — बच्चों को माता-पिता तथा अपने समाज के लोग . नाना प्रकार के पूर्वाग्रह को प्रत्यक्ष रूप से सिखलाते हैं । जैसे—भारत में उच्च जाति के लोग हरिजनों के प्रति
पूर्वधारणाओं की शिक्षा अपने बच्चों को देते हैं।
(iii) साहित्य (Literature)– साहित्य के माध्यम से भी पूर्वाग्रह का विकास प्रोत्साहित होता
(iv)धार्मिक विश्वास (Religious beliefs)—पूर्वाग्रह के विकास से धार्मिक विश्वासों पर भी निश्चित प्रभाव पड़ता है।
(v) मीडिया (Media)—पूर्वधारणा के विकास में मीडिया के विभिन्न रूपों का निश्चित प्रभाव तरह-तरह के पूर्वाग्रह के विकास पर पड़ता है।
(vi) सांस्कृतिक संबद्धता (Cultural affiliation)—पूर्वाग्रह का एक मुख्य धारणा सांस्कृतिक-संबद्धता है। इसके परिणामस्वरूप एक संस्कृति के लोगों में दूसरी संस्कृति के लोगों के प्रति कुछ निश्चित पूर्वधारणायें विकसित हो जाती हैं।
(vii) सामुदायिक विश्वास (Community beliefs)—पूर्वधारणा का एक महत्त्वपूर्ण आधार सामुदायिक विश्वास है। भारत में इसका सुंदर उदाहरण हिंदू-मुस्लिम पूर्वाग्रह के रूप में देखा जा सकता है।


Q54. भारत में पूर्वधारणाओं को नियंत्रण या दूर करने के चार मुख्य उपायों का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ भारत में पूर्वधारणाओं को नियंत्रण या दूर करने हेतु हम निम्नलिखित चार मख्य उपाय कर सकते हैं

(a) शिक्षा- भारत जैसे विभिन्न जातियों एवं सम्प्रदायों वाले देश में शिक्षा एवं उचित सूचनाओं को देकर व्यक्तियों में व्याप्त रूढ़ियुक्तियों को दूर करके पूर्वाग्रह को कम किया जा सकता है। औपचारिक तथा अनौपचारिक शिक्षा से व्यक्ति के पूर्वाग्रह को काफी कम किया जा सकता है। क्योंकि शिक्षा से व्यक्ति में उदारता आती है।

(b) अंतः समूह तथा समूह संपर्क- भारत में जाति तथा धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों में लोग बँटे हुए हैं और उनमें एक दूसरे के प्रति विभिन्न प्रकार के पूर्वाग्रह होते हैं। ऐसे समूहों एवं व्यक्तियों को एक-दूसरे के निकट संपर्क में आते हैं, तो समझने का अधिक मौका मिलता है। फलस्वरूप गलतफहमियाँ दूर हो जाती हैं और पूर्वाग्रह अपने आप काफी कम हो जाता है।

(c) पूर्वाग्रह-विरोधी प्रचार पूर्वाग्रह के विरोध में रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा द्वारा तथा घर-घर जाकर किया गया प्रचार से भी पूर्वाग्रह में कमी आती है।

(d) सामाजिक विधान— पूर्वाग्रह को कम करने के लिए तरह-तरह के सामाजिक विधान की भूमिका सराहनीय होती है। भारत में दलितों एवं विभिन्न जातियों से संबंधित अनेकों तरह की पूर्वाग्रह मौजूद थी जिसे दूर करने के लिए भारत सरकार ने सामाजिक विधान बनाकर गैरकानूनी घोषित कर दूर किया गया। अतः सामाजिक विधान भी पूर्वाग्रह को दूर करने का एक मुख्य उपाय है। स्पष्ट हुआ कि उपयुक्त चार उपायों के द्वारा भारत में पूर्वाग्रह को नियंत्रित एवं दूर किया जा सकता है।


BSEB inter Exam Question Answer Pdf Download 2022

 1. Hindi 100 Marks ( हिंदी )
 2. English 100 Marks ( अंग्रेज़ी )
 3. PHYSICS ( भौतिक विज्ञान )
 4. CHEMISTRY ( रसायन विज्ञान )
 5. BIOLOGY ( जीवविज्ञान )
 6. MATHEMATICS ( गणित )
 7. GEOGRAPHY ( भूगोल )
 8. HISTORY ( इतिहास )
 9. ECONOMICS ( अर्थशास्त्र )
 10. HOME SCIENCE ( गृह विज्ञान )
 11. SANSKRIT ( संस्कृत )
 12. SOCIOLOGY ( समाज शास्‍त्र )
 13. POLITICAL SCIENCE ( राजनीति विज्ञान )
 14. PHILOSOPHY ( दर्शन शास्‍त्र )
15. PSYCHOLOGY ( मनोविज्ञान )

नमस्कार दोस्तों यहां पर नीचे के पोस्ट में कक्षा 10 का विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान (class 10 science and social science) का बहुत ही महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन लघु उत्तरीय प्रश्न तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर (short answer question and long answer question) दिया गया है। अगर आप भी मैट्रिक परीक्षा 2022 की तैयारी कर रहे हैं, तो यह सभी प्रश्न आपके बोर्ड परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि यही सब प्रश्न आपके मैट्रिक बोर्ड परीक्षा 2022 में पूछे जाएंगे। इसलिए शुरू से अंत तक बने रहें। 

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