नौबत खाने में इबादत Class 10th Subjective Question pdf 2024 | Class 10 Hindi Naubatkhane Mein Ibadat Subjective Question Answer 2024

[ Class 10 Hindi Objective & Subjective Question Answer 2023 ] यहां पर आपको कक्षा 10 Hindi Chapter -11 नौबतखाने में इबादत V.V.I सब्जेक्टिव क्वेश्चन तथा महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन नीचे दिया गया है। अगर आप Matric Exam – 2023 तैयारी कर रहे हैं, तो नौबतखाने में इबादत का Objective Question Answer निचे दिया हुआ है। तो इस महत्वपूर्ण प्रश्न जरूर पढ़ें। Naubatkhane Mein Ibadat Subjective question answer Class 10th, नौबत खाने में इबादत class 10th subjective question pdf 2023, Hindi subjective question नौबत खाने में इबादत


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Q1. काशी को संस्कृति की पाठशाला कहा जाता है, कैसे ?

Ans :- काशी को संस्कृति की पाठशाला कहा जाता है। यहाँ रहकर हम आत्मीयता साधकर सांस्कृतिक गुण सम्पन्न हो सकते हैं। यह धर्म और धार्मिक सद्भाव की नगरी है।


Q2. ‘संगीतमय कचौड़ी’ का आप क्या अर्थ समझते हैं ?

Ans :- कुलसुम हलवाईन संगीतमय कचौड़ी छानती थी। कुलसुम जब कलकलाते घी में कचौड़ी डालती थी, उस समय छन्न से उठनेवाली खाली आवाज में अमरुद्दीन शहनाई वादक को सारे आरोह-अवरोह, उतार-चढ़ाव दिख-सुन जाते थे। इस प्रभाव से भी उनकी शहनाई मीठी हो गई थी। अनंत लोगों ने संगीतमय कचौडी खाई। लेकिन परखा-सुना-उतारा एक ही ने।


Q3. सुषिर वाद्य किन्हे कहते हैं ? शहनाई शब्द की उत्पत्ति किस प्रकार हुई है ?

Ans :- जिस वाद्य यंत्र को फूंक कर बजाया जाता है उसे सुशीर वाद्य यंत्र कहा जाता है। सर्वप्रथम शहनाई को एक नए के द्वारा राज दरबार में इसे बजाया गया था।


Q4. बिस्मिल्लाह खान सजदे में किस चीज के लिए गिड़गिड़ाते थे ? इससे उनके व्यक्तित्व का कौन सा पक्ष उद्घाटित होता है ?

Ans :- बिस्मिल्लाह खान सजदे में गिड़गिड़ाते थे तथा नमाज अदा करते हुए कहते थे मेरे मालिक एक सुर बॉक्स दे। सुर में वह तामीर पैदा करती आंखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आंसू निकल आए तथा इसका यकीन मुझे नहीं हो।


Q5. अमीरुद्दीन से फकीर ने क्या कहा? अमीरुहीन किसका नाम था ?

Ans :- अमीरुद्दीन से फकीर ने कहा-‘बजा-बजा’। अर्थात् तुम शहनाई बजाओ, बजाते रहो, शहनाई से सारी दुनिया में तुम्हारा नाम छा जाएगा। बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का नाम अमीरुद्दीन था।


Q6. काशी का जनसमह किन रसिकों से उपकत होता आया है।

Ans :- काशी नगरी का जनसमूह अनेक रसिकों से उपकृत हाता आया है। कलाधर हनुमान, नत्यप्रिय शंकर (विश्वनाथ), पंडित कंठे महाराज, विद्याधरा रामदास जी. बिस्मिल्ला खाँ, मौजूदीन खाँ, जैसे रसिकों से काशी का जन समूह उपकृत हाता आया है।


Q7. बिस्मिल्लाह खान का मतलब बिस्मिल्लाह खा की शहनाई। एक कलाकार के रूप में बिस्मिल्लाह खान का परिचय पाठ के आधार पर दें।

Ans :- बिस्मिल्ला खां का मतलब उस शहनाई वाद से है। जिन्होंने आपकी सारी जिंदगी शहनाई बजाने में ही व्यतीत कर दिए तथा भारत के प्रमुख शहनाई वादक कहलाए।


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Q8. बिस्मिल्ला खाँ जब काशी से बाहर प्रदर्शन करते थे तो क्या करते थे ? इससे हमें क्या सीख मिलती है ?

Ans :-अपने मजहब के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की श्रद्धा काशी विश्वनाथ जी के प्रति भी अपार है। वे जब भी काशी से बाहर रहते हैं तब विश्वनाथ और बालाजी मंदिर की दिशा की ओर मुँह करके बैठते हैं, थोड़ी देर ही सही, मगर उसी ओर शहनाई का प्याला घुमा दिया जाता है और भीतर की आस्था रीड के माध्यम से बजती है। इससे हमें दूसरे धर्मों के प्रति भी सम्मान, श्रद्धा व समर्पण का भाव रखने की सीख मिलती है।


Q9. शहनाई किसे कहते हैं? संगीत शास्त्र के अनुसार शहनाई किस – वाद्ययंत्र से परिगणित होती है ?

Ans :-– अरब देश के एक वाद्य को जिसे फूंक कर बजाया जाता है, और जिसमें नाड़ी (नरकट या, रीड) होती है, उसे नय नाम से जाना जाता है। संगीत शास्त्र
के अनुसार शहनाई को ‘सुषिर वाद्यों में परिगणित किया जाता है।


Q10. शिष्या ने बिस्मिल्ला खाँ को क्यों टोका ?

Ans :- किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते बिस्मिल्ला खाँ साहब को टोका-बाबा ! आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारत रत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं।


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Q11. डुमराँव की महत्ता किस कारण से है ?

Ans :- अमरुद्दीन का जन्म डुमराँव, बिहार के एक संगीत प्रेमी परिवार में हुआ है। 5-6 वर्ष डुमराँव में बिताकर वह नाना के घर, ननिहाल काशी आ गया है।शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। शहनाई बजाने के लिए रोड का प्रयोग होता है। रोड अन्दर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फेंका जाता है। रोड, नरकट (एक प्रकार की घास) से बनाई जाती है जो डुमराँव के आसपास की नदियों के कछारों में पाई जाती है।
फिर अमरुद्दीन जो हम सबके प्रिय हैं, अपने उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के साहब हैं। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ डुमराँव निवासी थे। बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद पैगम्बर बख्श खाँ और मिट्ठन के छोटे साहबजादे हैं।


Q12. बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का वर्णन पाठ के आधार पर दें।

Ans :- बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव, बिहार (बक्सर के निकट) के एक संगीत प्रेमी परिवार में हुआ है । 5-6 वर्ष डुमराँव में बिताकर वह नाना के घर, ननिहाल काशी में आ गये। शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। क्योंकि शहनाई के बजाने के लिए रीड वहीं मिलती है। उनके परदादा उस्ताद सलार
हुसैन खाँ डुमराँव के निवासी थे। बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद पैगम्बरबख्श खाँ और मिट्ठन के छोटे साहबजादे हैं। उन्हें अपने जीवन के आरम्भिक दिनों में संगीत के
प्रति आसक्ति गायिका रसूलनबाई और बतूलनबाई को सुनकर हुई।


Q13. मुहर्रम पर्व से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव का परिचय पाठ के आधार पर दें।

Ans :- बिस्मिल्ला खाँ और शहनाई के साथ जिस मुस्लिम पर्व का नाम जुड़ा हुआ है, वह मुहर्रम है। मुहर्रम का महीना वह होता हैं जिसमें शिया मुसलमान हजरत इमाम हुसैन एवं उनके कुछ वंशजों के प्रति अजादारी (शोक मनाना) मनाते हैं। पूरे दस दिनों का शोंक। वे बताते हैं कि उनके खानदान का कोई व्यक्ति मुहर्रम के दिनों में न तो शहनाई बजाता है, न ही किसी संगीत के कार्यक्रम में शिरकत ही करता। है। आठवीं तारीख उनके लिए खास महत्त्व की है। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते हैं और दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हए, नौहा बजाते जाते हैं। इस दिन कोई राग नहीं बजता। राग-रागिनियों की अदायगी का निषेध है इस दिन। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत में नम रहती हैं। अजादारी होती है। हजारों आँखें नम। हजार बरस की परम्परा पुनर्जीविता मुहर्रम संपन्न होता है। एक बड़े कलाकार का सहज मानवीय रूप ऐसे अवसर पर आसानी से दिख जाता है।


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Q14. आशय स्पष्ट करें।

(क) फटा सुर न बक्से लूंगीया का क्या आज फटी है तो कल मिल जाएगी।

Ans :- उस्ताद बिस्मिल्लाह खान मानते थे कि अल्लाह ने मुझे फटा हुआ स्वर दिया है। ठीक उसी प्रकार जैसे फटी हुई लूंगी होती है। तथा में शहनाई के माध्यम से उस फटे हुए सूअर को सुधारने का प्रयास कर रहा हूं।

(ख) काशी संस्कृत की पाठशाला है।

Ans :- उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का बचपन तथा शहनाई युक्त जीवन काशी के संस्कृति पाठशाला में व्यतीत हुआ। वह कभी भी काफी को लगाना नहीं चाहते थे।

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