Class 10th Science ( जीव जनन कैसे करते है। ) Subjective Question Answer 2024

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बिहार बोर्ड कक्षा 10 जीव जनन कैसे करते हैं लघु उत्तरीय प्रश्न 2024

Q1. जनन किसे कहते हैं?

Ans :- जीव धारियों में अपने सामान जीवो को पैदा करना एक प्रमुख लक्षण है। जीव जिस प्रक्रम द्वारा अपने संख्या में वृद्धि करती है। उसे जनक कहते हैं।

Q2. जीवो में विभिन्नता :- संसार में प्रत्येक जीव अलग-अलग रूप रंग आकार के होते हैं। उसकी कोशिका के केंद्रक में उपस्थित DNA संतान में माता पिता के गुणों को लेकर आता है।

Q3. डीएनए(DNA) क्या है?

Ans :- डीऑक्सी रिपोर्ज केंद्रीक अम्ल जीवो में विभिन्नता अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि जब पर्यावरणीय परिस्थितियां अचानक बदलती है। तब जीवो का विनाश होता है। इस स्थिति में केवल वह जीव बचते हैं। जिसमें विभिन्नता पाई जाती है। अर्थात उनमें अनुकूलन की क्षमता होती है।


Q4. जनन मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।

(i) अलैंगिक जनन :- अलैंगिक जनन के लिए नारे एवं मादा के जनन अंगों के कोई उपयोग नहीं है। जिओ ही अलैंगिक जनन करते है।

अलैंगिक जनन के विशेषता :-

(i) इसमें जीवो का सिर्फ एक व्यष्टि ही भाग लेता है। इसमें शुक्राणु और अंडाणु कोई भाग नहीं लेता है।

(ii) अलैंगिक जनन के बाद जो संतान उत्पन्न होते हैं। वह अनुवांशिक गुणों में जनन समान होते हैं।

(iii) इस प्रक्रिया में ज्यादा संख्या में जल्दी संतान उत्पन्न होते हैं।

(iv) इसमें निषेचन की जरूरत नहीं पड़ती है।

(v) निम्न कोटि के पौधे एवं जीवो में यह प्रक्रिया विशेष रूप में होती है।

* अलैंगिक जनन कई प्रकार के होते हैं।

(1) विखंडन :- विखंडन विधि के द्वारा ही मुख्य रूप से एक कोशिकीय जीव जनन करती है। जैसे – जीवाणु,अबीमा इत्यादि।

विखंडन दो प्रकार के होते हैं-

(i) द्विखंडन -: वैसा विभाजन जिसके द्वारा एक व्यष्टि खंडित होकर दो का निर्माण करता हो। उसे द्विखंडन या द्विविभाजन कहते हैं। इस विधि में कोशिका का संपूर्ण शरीर दो बराबर भागों में बढ़ जाता है।

(ii) बहूखंडन ⇒ वैसा विखंडन जिसमें एक व्यष्टि खंडित होकर अनेक व्यक्तियों की उत्पत्ति करता हो। उसे बहु विखंडन कहते हैं। जैसे- अबीमा , प्लाज्मोडियम, निम्न कोटि के शैवाल इसमें कोशिका के केंद्रक बार-बार विभाजित होकर संतति केंद्र के निर्माण करते हैं। इसके बाद इन केंद्रक के कोशिका द्रव्य का निर्माण होता है। इस प्रकार नए कोशिकाओं की उत्पत्ति हो जाती है। उपर्युक्त दोनों विखंडन की उत्पत्ति से वंशज को अनुजात करता है।


2. मुकुलन किसे कहते हैं?

Ans :- मुकुलन एक प्रकार का अलैंगिक जनन है। जो जन्म के शरीर के धरातल से कलिका फूटने या पलबर्ध निकलने के फलस्वरूप संपन्न होता है।

3. अपखण्डन ⇒ इस प्रकार के जनन में जीव का शरीर किसी कारणवश दो भागों में खंडित हो जाता है। तथा प्रत्येक खंड अपने खोए हुए भाग की वृद्धि करता है। और पूर्ण विकसित होकर समान जीवन यापन करता है। जैसे – हाइड्रा, क्रीमी इत्यादि में इसी प्रकार से जनन होता है।

4. बीजाणु जनन ⇒ निम्न श्रेणी के जीवो के शरीर इत्यादि में जानू निर्माण अलैंगिक जनन की मुख्य विधि है। इसके अंदर छोटी छोटी गोल रचनाएं होती है। जिससे आसपुर या बीजाणु कहा जाता है। वातावरण में अनुकूल परिस्थितियां उत्पन्न होती है। तब विजाणु अंकुरित होने लगती है। तथा इसके भीतर की कोशिकाएं वृद्धि करके बाहर आ जाती है। और नए जीव का निर्माण होता है।

(ii) लैंगिक जनन :- जनन की वह विधि जिसमें दो अलग-अलग लिंग अर्थात नर एवं मादा भाग लेते हैं। उसे लैंगिक जनन कहते हैं। इस विधि में नर एवं मादा जनंनो के द्वारा अलग-अलग प्रकार के युग्मक का निर्माण होता है।


Q5. पौधों में लैंगिक जनन कैसे होता है ?

Ans :- पौधों में वास्तविक जनन भाग पुष्प या फूल होता है इसमें जनन अंग उपस्थित होते हैं। एक फूल में चार प्रकार के पुष्प पत्र होते हैं। वाह्यदल, दलपुंज , पुमंग, ज्यांग। इसमें भीतरी दो चक्र पुमंग और ज्यांग हैं। जो जनन के लिए आवश्यक अंग हैं। शेष दो चक्र फूल को आकर्षक बनाने तथा आवश्यक अंगों की रक्षा करने के लिए होता है।

(i) पुमंग ⇒ यह पुष्प का नर भाग है। इसमें कई लंबे-लंबे रचनाएं होती है। जिसे पुंकेसर कहते हैं। पुंकेसर ही वास्तविक नर भाग है। प्रत्येक पुंकेसर में दो भाग होते हैं। तंतु जो लचीला एवं पतला होता है। यह पुष्पासन से जुड़ा रहता है। एवं परागकोष जो तंतु का अग्रभाग होता है।

(ii) ज्यांग ⇒ जियांग पुष्प का मादा भाग होता है। यह एक या एक से अधिक स्त्रीकेसर से बना होता है। प्रत्येक स्त्रीकेसर में तीन भाग होता है। जैसे – अंडाशय, वर्तिका एवं वर्तिकाग्र।


Q6. परागण किसे कहते हैं ?

Ans :- पराग कणों से परागकोष से निकलकर वर्तिका घर तक पहुंचने की क्रिया को परागकण कहते हैं।

* परागकण दो प्रकार के होते हैं-

(i) स्वपरागण ⇒ जब एक पुष्प की परागकण उसी पुष्प या उसी पौधे के अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र तक पहुंचते हैं। तो उसे स्वपरागण कहते हैं।

(ii) पर परागण ⇒  एक पुष्प के परागकण जब अन्य पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र तक पहुंचते हैं। तो उसे परागकण कहते हैं।

Class 10th Science जीव जनन कैसे करते है। Subjective Question


Q7. निषेचन किसे कहते हैं ?

Ans :- पराग कणों के वर्तिका घर तक पहुंचने के बाद निषेचन की प्रक्रिया होती है। नर युग्मक तथा मादा युग्मक के संलग्न को निषेचन कहते हैं। निषेचन के बाद युग्मक भ्रूण के रूप में विस्तृत होती है। तथा अंडाशय फल में तथा बीजांड बीज में बदल जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान वर्तिकाग्र वाहयँदल पुंज पंखुड़ी इत्यादि मुरझा कर गिर जाते हैं। और बीज को अनुकूल परिस्थिति मिलती है। तब यह फल बीज नए पौधे इत्यादि में बदल जाता है।


Q8. मनुष्य में जनन किस प्रकार होती है ?

Ans :- मनुष्य एक लिंगी प्राणी है। अर्थात नर जनन अंग मादा जनन अंग अलग-अलग व्यक्तियों में पाए जाते हैं। इन्हीं जनन अंगों के आधार पर व्यक्ति स्त्री एवं पुरुष कहलाते हैं। सामान्यता 12 से 13 वर्ष की उम्र में जनन अंग परिपक्व होते हैं। जिसे किशोरावस्था कहा जाता है।
इस अवस्था में बालक तथा बालिका के शरीर में परिवर्तन होता है। जैसे चेहरे पर फुंसी आना , आवाज का भारी होना , विपरीत लिंग वाले व्यक्ति के प्रति आकर्षण होना , किशोरावस्था में होने वाली परिवर्तन ब्यूटी या योगना आरंभ कहते हैं। जो शरीर के अंतः स्रावी ग्रंथियों के द्वारा नियंत्रित होता है।

नर जनन अंग ⇒ नर जनन अंग को विभिन्न भागों में बांटा गया है।

(i) वृषण ⇒ वृषण मनुष्य के शरीर में प्रमुख जनन अंग होता है। यह प्रत्येक पुरुष में दो अंडाकार रचना होती है। वृषण के कोशिकाएं शुक्राणु उत्पन्न करते हैं।

(ii) अधि वृषण ⇒ यह एक लंबी और कुंडली नलिका होती है। जो वृषण के पिछले भाग में स्थित रहता है। इसी में शुक्राणु जमा होती है।

(iii) शुक्रवाहिका ⇒ यह 25 सेंटीमीटर लंबी नलिका होती है। जो मूत्राशय के चारों ओर घूमकर मूत्र मार्ग में खुलती है।

(iv) शुक्रासय ⇒ यह छोटी नलिकाओं से बनी रचना होती है। जिसमें एक गाढ़े शुक्रासय से द्रव्य का स्राव होता है। जिसे वीर्य कहते हैं।

(v) पुरस्थ ग्रंथि ⇒ यह नलिका पुरस्थ द्रव का स्राव करती है। जो अम्लीयता को उदासीन करती है।

(vii) शिशन ⇒ यह पुरुषों का वाहयँदल जनन अंग होता है। जो वृषण कोष के बीच में स्थित होता है। वृषण के कार्य स्त्रियों के जननांग में शुक्राणु को निषेचन के लिए पहुंचाया जाता है।

मादा जनन अंग ⇒ मादा जननांग नर जननांग की अपेक्षा अधिक जटिल होती है। क्योंकि मादा जननांग के भिन्न-भिन्न कार्य करना पड़ता है।
जैसे – अंडाणु का निर्माण करना, शुक्राणु को ग्रहण करना, इन सभी कार्यों के लिए मादा जनन अंग के लिए निम्न भाग है।

(i) अंडाशय ⇒ स्त्री के शरीर में एक जोड़ा अंडाशय पाया जाता है। जो पेरीटोनियम के झिल्ली द्वारा बना होता है। स्त्रियों में सामान्यतः 12 वर्ष की अवस्था में अंडाशय अंडाणु का निर्माण करने लगता है। इसके दो कार्य होते हैं।

(i) अंडाणु का निर्माण करना
(ii) मादा हार्मोन का स्राव करना

(ii) फैलोपियन ट्यूब ⇒ प्रत्येक अंडाशय के पास एक कीट जैसी रचना होती है। जो गर्भाशय से जुड़ा होता है। प्रत्येक 28 दिनों के बाद अंडा से बारी-बारी से अंडाणु उत्पन्न करती है। इसके दो कार्य होते हैं।

(i) अंडाणु को गर्भाशय तक पहुंचाना
(ii) गर्भाशय सामान्यता 7.5 सेंटीमीटर लंबी रचना होती है। इस के बीचो बीच एक छोटा छिद्र होता है। जिसका कार्य शुक्राणु को गर्भाशय तक पहुंचाना होता है।

योनि ⇒ यह एक लंबी मांसल नली होती है। जो 7 से 10 सेंटीमीटर लंबी होती है। इसके अंदर एक पतली झिल्ली जैसी रचना होती है। जिसे हायमेन कहते हैं। इसके प्रमुख कार्य निम्नलिखित है।

(i) नर जनन अंग के लिए मार्ग प्रदान करना।

(ii) नर जनन अंग के शुक्राणुओं को गर्भाशय तक पहुंचाना।

(iii) गर्भस्थ शिशु को प्रसार के दौरान बाहर आने के लिए मार्ग प्रदान करना।


Q9. अंडोत्सर्ग किसे कहते हैं ?

Ans :- अंदाज से से अंडाणु का बाहर निकलना है अंडोत्सर्ग कहलाता है रितु स्राव होने के 10 से 12 दिनों के बाद परंतु गर्भाशय तक पहुंचने में 14 दिन लगते हैं यह गर्भाशय में 2 दिनों तक रहता है। इसी दौरान यदि गर्भाशय में शुक्राणु पहुंचते हैं तब निषेचन की प्रक्रिया होती है अंडाणु और शुक्राणु में संलयन की निषेचन कहलाता है। अंडाणु और शुक्राणु निषेचित होकर जायगोट का निर्माण करती है। निषेचन की क्रिया संपन्न होने से लेकर शिशु का जन्म होने तक के अवधि को गर्भावधि कहते हैं। स्त्रियों की गर्भ अवधि 40 सप्ताह यानि  9 महीना 10 दिन होता है। जबकि विकसित गर्व से शिशु बाहर आते हैं। पराश्रव्य कहलाता है।

Q10. एड्स(AIDS) क्या है ?

Ans :- एड्स का पूरा नाम Aqward imiuno difficiency syndrom है। यह H.I.V के कारण होता है। इस बीमारी में व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है। और तरह तरह के रोग संक्रमित होने लगती है और रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।


Q11. हम अपने माता पिता के समान क्यों होते हैं ?

Ans :- 1902 ईसवी में सर्टेन नामक वैज्ञानिकों ने स्वतंत्र रूप से अनुवांशिकी के गुणसूत्र सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इस सिद्धांत के अनुसार –
मेंडल ने अनुवांशिकता के लिए जिन कारकों को उत्तरदाई बताया था वह जिन हैं जो गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं गुणसूत्रों का ही पृथक्करण होता है और उन्हीं का स्वतंत्र अभिवहन होता है। जिन जोड़ों में गुणसूत्रों से संयुक्त होते हैं। परंतु अर्धसूत्रण के समय अलग हो सकते हैं। इस प्रकार गुणसूत्र ही अनुवांशिकता के लिए उत्तरदाई होते हैं। इसलिए हम अपने माता पिता के समान होते हैं।

कक्षा दसवीं विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न 2024

 S.N  Matric Exam 2024 Bihar Board 
1. SOCIAL SCIENCE ( सामाजिक विज्ञान )
2. SCIENCE ( विज्ञान )
3. HINDI ( हिन्दी )
4.  SANSKRIT ( संस्कृत )
5. ENGLISH ( इंग्लिश )
6. MATH ( गणित ) 
7. Bihar Board Matric Exam 2024