Class 10th Science Subjective Question Paper 2023 ( मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार ) Science Subjective Question Class 10th 2023

[ Class 10th Science Objective & Subjective Question Answer 2023 ] Class 10th Science Subjective :- यहां पर आपको कक्षा 10 विज्ञान ( Science ) का Chapter 2 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार का महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव क्वेश्चन Manav Netra tatha Rang biranga Sansar subjective question answer नीचे दिया गया है। जिसे पढ़कर आप अपने मैट्रिक परीक्षा 2023 में पास हो सकते हैं। तो दोस्तों इसे शुरू से अंत तक जरूर देखें। science ka mahatwpurn Subjective Question class 10th,Class 10th Science Subjective Question 2023
मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार लघु उत्तरीय तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर 2023
[ 1 ] मानव नेत्र क्या है ?
Ans– मानव नेत्र प्रकृति द्वारा दी गई एक प्रकाशीय यंत्र है। यह लगभग गोलिए होता है। आख के गोले जिन्हें नेत्र गोलक कहा जाता है। यह सबसे बाहरी सफेद चमड़े की होती है तथा पारदर्शी होता है। जिसे श्वेत पटेल कहा जाता है इसका अगला भाग कॉर्निया होती है।
[ 2 ] मानव नेत्र की संरचना का वर्णन करें।
Ans- मानव नेत्र प्रकृति द्वारा प्रदत एक मूल्यवान ज्ञानेंद्रियां है। जिसमें हम अद्भुत संसार को देख पाते हैं। मानव एक गोलीय प्रकाश यंत्र है। जिसमें निम्नलिखित रचनाएँ पायी जाती है।
(A) दृष्टिपटल ⇒ यह मानव नेत्र का सबसे ऊपरी परत होता है या सफेद एवं कड़ी होती है।
(B) कॉर्निया ⇒ यह दृष्टि पटल के सामने वाले भाग में उभरे हुए रचना होती है। वस्तु से आने वाला प्रकाश को रेटिना के माध्यम से ही नेत्र में प्रवेश करता है।
(C) कोराइड ⇒ दृष्टि पटल के नीचे वाली परत को कोराइड कहते हैं। यह आगे चल कर दो परत में विभक्त हो जाती है।
(D) आयरिस ⇒ आयरिस के मध्य भाग में एक छोटा गोलाकार छिद्र होता है। जिसको पुतली कहते हैं। आयरिस के द्वारा ही आंखों की रंग की पहचान होती है।
(E ) नेत्रद्वार या पुतली ⇒ पुतली का रंग काला होता है। क्योंकि इससे होगा किसी रंग का परावर्तन नहीं होता है।
(F) सिलियरी पेंसिया ⇒ यह नेत्र लेंस को लटकाए रहती है।
(G ) रेटीना ⇒ आख के भीतरी भाग को रेटीना कहते हैं। यहीं पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनता है।
NOTE ⇒ लेंस और कॉर्निया के बीच एक द्रव पाया जाता है। जिसे नेत्रोंद कहते हैं।
आंसू इसी द्रव के कारण बनता है। इससे Equiyashumas नामक नमकीन द्रव बनता है। इसलिए आंसू नमकीन होता है।
Note ⇒ लेंस और रेटिना के बीच के द्रव को कचाभ द्रव पाया जाता है।
[ 3 ] नेत्र की क्रिया विधि का वर्णन करे।
Ans- मानव नेत्र एक फोटो कैमरा की तरह कार्य करता है। जब अपवर्तित होकर कॉर्निया के माध्यम से आंखों में प्रवेश करती है। और नेत्र लेंस के द्वारा अपवर्तित होकर रेटिना पर मिलती है। रेटिना पर ही वस्तु का प्रतिबिंब वास्तविक और उल्टा बनता है। द्विक तंत्रिका के माध्यम से प्रतिबिंब की सुचना मस्तिष्क को मिलती है। इसमें यह विशेष क्षमता होती है। कि वह प्रतिबिंब को सीधा करके देख लेती है।
[ 4 ] समंजन क्षमता किसे कहते है ?
Ans – वस्तु दूर हो या निकट उसे साफ-साफ देख लेते हैं। आँख ऐसा अपने लेंस की फोकस दुरी बदलकर करता है। यह परिवर्तन सिलियरी पेशियों के तनाव के घटने बढ़ने से होता है। आंख के इस क्षमताको ही समंजन क्षमता कहते हैं।
Note ⇒ मानव नेत्र के स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेंटीमीटर होता है। तथा अधिकतम दूरी अनंत होता है।
[ 5 ] नेत्र दोष क्या है ?
Ans – मानव नेत्र किसी वस्तु को 25 सेंटीमीटर न्यूनतम से लेकर अनंत तक स्पष्ट देख लेती है। कई कारणों से जब नेत्र इसके बीच में रखी वस्तु स्पष्ट नहीं देख पाती है। इस कमी को नेत्र दोष कहा जाता है।
नेत्र दोष के प्रकार ⇒
नेत्र दोष के मुख्यतः तीन प्रकार हैं।
(I) निकट दृष्टि दोष ( myopia )
(II) दूर दृष्टि दोष ( Hypermetropia )
(III) जरा दृष्टि दोष ( Presbyopia )
( i ) निकट दृष्टि दोष ( myopia ) किसे कहते हैं ?
Ans – जिस नेत्र में निकट दृष्टि दोष होता है। वह दूर की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है। इसे स्पष्ट दृष्टि अनंत ना होकर कोई निकट बिंदु होता है। निकट दृष्टि दोष कहा जाता है ?
निकट दृष्टि दोष के कारण ⇒
(I) नेत्र गोलक का लंबा हो जाना जिससे लेंस एवं रेटिना के बीच की दूरी बढ़ जाती है।
(II) नेत्र लेंस का आवश्यकता से अधिक मोटा हो जाना जिससे फोकस दूरी कम हो जाती है। इस स्थिति में प्रतिबिंब रेटिना के आगे बढ़ जाती है। जिसके कारण वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं पड़ती है।
निकट दृष्टि दोष के उपचार ⇒ इस दोष को दूर करने के लिए जिस चश्मे का प्रयोग किया जाता है। वह अवतल लेंस या अपसारी लेंस होता है। क्योंकि यह दूर से आने वाले समांतर किरणों का इतना अपसरीत कर देता है। की किरने अनंत से आती हुई प्रतीत होता है।
(II) दूर दृष्टि दोष ( Hypermetropia ) किसे कहते हैं ?
Ans – जिस नेत्र में दूर दृष्टि दोष होता है। उसे निकट की वस्तु स्पष्ट नहीं दिखाई पड़ती है। इसमें दृष्टि का निकट बिंदु 25 सेंटीमीटर ना होकर थोड़ा दूर हो जाता है।
दूर दृष्टि दोष के कारण ⇒
(I) नत्र गोलक का छोटा हो जाना जिससे लेंस एवं रेटिना के बीच की दूरी घट जाती है।
(II) नेत्र लेंस की आवश्यकता से अधिक पतला हो जाना जिसके कारण फोकस दूरी बढ़ जाती है।
दूर दृष्टि दोष के उपचार ⇒ दूर दृष्टि दोष को दूर करने के लिए जिस चश्मे का प्रयोग किया जाता है। उसका लेंस उत्तर या अभिसारी लेंस होता है।
(III) जरा दृष्टि दोष ( Presbyopia ) किसे कहते हैं ?
Ans – उम्र बढ़ने के साथ-साथ नेत्र लेंस के समंजन क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण ना तो नजदीक की वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है। और ना ही दूर की अर्थात नेत्र निकट दृष्टि तथा दूर दृष्टि दोष दोनों से पीड़ित होता है।
जरा दृष्टि दोष के उपचार⇒ इस दोष को दूर करने के लिए जिस चश्मे का उपयोग किया जाता है। उसमें वायु फोकल लेंस का प्रयोग किया जाता है। चश्मे में ऊपर का भाग दूर की वस्तु को देखने के लिए, तथा नीचे का भाग पढ़ने में प्रयोग किया जाता है।
[ 6 ] प्रकाश का वर्ण विक्षेपण क्या है ?
Ans – प्रकाश के वर्ण विक्षेपण को दिखाने के लिए एक समतल दर्पण को इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि सूर्य का प्रकाश इस से परावर्तित होकर एक ऐसे कमरे में प्रवेश करें। जिसके अन्य सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद हो अब प्रकाश के रास्ते में एक गत्ते को रखते हैं। इसमें महीन छिद्र होता है। ताकि इस छिद्र से होकर प्रकाश की किरण गुजरे।
प्रकाश की किरण के पथ में एक प्रिज्म को इस प्रकार रखते हैं। कि उसके परावर्तक सतह से प्रकाश की किरण प्रवेश करें एवं दूसरी सतह से बाहर निकले अब सामने एक सफेद पर्दा डालते हैं जिस पर सात रंग की एक पट्टी बनती है। जिसे स्पेक्ट्रम कहा जाता है इसमें सात रंग होते हैं। सबसे ऊपर लाल रंग (Red), नारंगी (Orange), पीला (yellow), हरा(Green), नीला (Blue), जामुनी तथा बैगनी रंग होता है।
(I) लाल रंग का तरंगधैर्य सबसे अधिक होता है। तथा विचलन सबसे कम होता है।
(II) बैगनी रंग का तरंगधैर्य सबसे कम होता है। और विचरण अधिक होता है।
(III) लाल रंग का तरंगधैर्य 620 से 700 नैनोमीटर होता है। जबकि बैगनी रंग का तरंगधैर्य 400 से 440 नैनोमीटर होता है।
[ 7 ] इंद्रधनुष किसे कहते हैं ?
Ans – वर्षा होने के बाद प्रकाश की किरने हवा में लटके वर्षा की बूंदों के कारण प्रकाश के रंग का सात रंगों में भी बिखराब हो जाता है। और सूर्य के विपरीत दिशा में एक धनुष का आकार का रंगीन पट्टी तैयार हो जाता है। जिसे इंद्रधनुष कहते हैं। इंद्रधनुष के आंतरिक कोर में बैगनी रंग तथा बाहरी कोर में लाल रंग दिखाई पड़ता है।
Manav Netra tatha Rang biranga Sansar subjective question class 10th
[ 8 ] प्रकाश का प्रकीर्णन क्या है ?
Ans – किसी कान पर पकड़कर प्रकाश के अंश के कई दिशाओं में छितरने की प्रक्रिया को प्रकाश का प्रकीर्णन कहा जाता है।
[ 9 ] टिंडल प्रभाव क्या है ?
Ans – किसी कोलाइडी विलियन में निलंबित कनो से प्रकाश के प्रकीर्णन को टिंडल प्रभाव कहा जाता है।
[ 10 ] आकाश का रंग नीला क्यों दिखाई देता है ? वर्णन करें।
Ans – जब प्रकाश की किरण वायुमंडल में उपस्थित छोटे-छोटे कणों से टकराती है। तब सूक्ष्मकन अर्थात गैस के अनु प्रकाश की किरणों को प्रकीर्णित करता है। तब नीले रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है। जिसके कारण आसमान का रंग नीला दिखाई पड़ता है।
[ 11 ] तारे टिमटिमाते हैं लेकिन ग्रह नहीं टिमटिमाते हैं क्यों ?
ग्रह तारों की अपेक्षा हमारे नजदीक होता है। इनसे इतना प्रकाश उत्पन्न होता है। कि वायुमंडलीय परतों के घनत्वों के स्थायित्व के प्रभाव के चलते प्राप्त किरणों की संख्या में अपेक्षाकृत नगण्य कभी कभी अनुभव होता है। ये स्थाई रूप से चमकते रहते हैं। तारो से चलने वाले प्रकाश वायुमंडल के विभिन्न घनत्व वाले परतो से गुजरने पर किरणों के पथ में विचलन होता है। तारों का प्रकाश विभिन्न क्षेत्रो में परिवर्तित होते हैं। और तारे निदिष्ट स्थान के इधर-उधर चमकते हुए दिखते हैं अतः तारे गाते हुए नजर आते हैं। लेकिन ग्रह नहीं।
[ 12 ] दूर दृष्टि दोष वाला व्यक्ति आकाश में देखते समय चश्मा उतारना पसंद करता है क्यों ?
Ans- दूर दृष्टि दोष वाला व्यक्ति दूर की चीजों को आसानी से देख पाता है। अतः वह चश्मा उतार कर ही दूर की वस्तुओं को आसानी से देख पाता है यही कारण है। कि दूर दृष्टि दोष वाला व्यक्ति आकाश की ओर देखने पर अपना चश्मा उतार देता है।
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