Inter Board Exam 2024 Geography Question Answer | इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 भूगोल लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर ( 20 Marks ) PART – 2

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Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर ) | PART – 2

 


( लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर ) Bihar Board Class 12th Geography 2024 | Part – 2

Q26. स्थानांतरी कृषि का भविष्य अच्छा नहीं है। विवेचना कीजिए। (The future of shifting cultivation is not good. Discuss.)

उत्तर स्थानांतरी कृषि आदिम जाति के लोगों द्वारा उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में विशेषकर अफ्रीका, दक्षिणी एवं मध्य अमेरिका के उष्ण कटिबंधीय भाग एवं दक्षिणी-पूर्वी एशिया में की जाती है। वनों को काटना, जलाना और खेत को कुछ समय पश्चात् बदलना इसकी विशेषताएँ हैं। इससे वन क्षेत्र कम होता जाता है और पुराने ढंग से खेती करने के कारण उपज
भी कम होती है। सभ्यता के विकास के साथ-साथ अब इसके स्थान पर स्थायी कृषि की जाने लगी है, जिसके अंतर्गत खाद्यान्न तथा अन्य फसलें पैदा की जाती है। इस प्रकार स्थानांतरणशील कृषि का भविष्य अच्छा नहीं है।


Q27. विस्तृत पैमाने पर डेयरी कृषि का विकास यातायात के साधनों एवं प्रशीतकों के विकास के बाद ही क्यों संभव हो सका है? (Why has the large scale development of dairy farming been possible only after the development of the means of transport and refrigeration ?)

उत्तर डेयरी कृषि के अंतर्गत ताजा दूध एवं अन्य डेयरी उत्पाद मक्खन, पनीर इत्यादि बनाये जाते हैं। इन्हें या तो शीघ्र बाजार तक पहुँचाने के लिए यातायात के तीव्र साधन या देर तक रखने के लिए प्रशीतक की आवश्यकता होती है। विस्तृत पैमाने पर इस उद्योग का विकास तभी संभव है, जब यातायात के साधन और प्रशीतक उपलब्ध हो।
अत: इनकी उपलब्धता के बाद ही डेरी उद्योग का बड़े पैमाने पर विकास संभव हो सका है।


Q28. कृषि ऋण प्रदान करने वाले चार संस्थाओं के नाम लिखिए। (Name four institutions providing agricultural loan.)

उत्तर कृषि ऋण प्रदान करने वाली मुख्य संस्थाएँ ये हैं

(i). क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक,
(ii) सहकारी समितियाँ
(iii) सहकारी भूमि विकास बैंक
(iv) राष्ट्रीय बैंक।

इनके अतिरिक्त स्वयं सहायता समूह, पैक्सों का गठन, किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से किसानों को वित्तीय मदद उपलब्ध करायी जाती है।


Q29. झम, मिल्पा और लदांग क्या है? (What are Jhum, Milpa and Ladang ?)

उत्तर ये तीनों स्थानान्तरित कृषि के नाम हैं। स्थानांतरित कृषि को भारत के उत्तर-पूर्वा राज्यों में झूम, मध्य अमेरिका एवं मेक्सिको में मिल्पा. तथा मलेशिया एवं इंडोनेशिया में लदाग कहा जाता है।


Q30. कृषि कार्य को प्रभावित करने वाले दो कारकों का उल्लेख करें। (Name two factors influencing agriculture.)

उत्तर कृषि कार्य को बहुत सारे प्राकृतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और अवसंरचना संबंधित कारक प्रभावित करते हैं। इनमें दो महत्त्वपूर्ण कारक जलवायु और भूमि की प्रकृति (मृदा की उर्वरा शक्ति ) हैं।


बिहार बोर्ड कक्षा 12 भूगोल लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर 2024

Q31. सहकारी कृषि से आप क्या समझते हैं? (What do you mean by co-operative farming ?)

उत्तर जब किसानों का एक समूह अपनी स्वेच्छा से कृषि से अधिक लाभ कमाने के लिए सहकारी संस्था का गठन करता है और मिल-जुलकर आपसी सहयोग से खेती करता है, तो इस प्रकार की खेती को सहकारी कृषि कहा जाता है।


Q32. रोपण कृषि की किन्हीं चार फसलों के नाम लिखिए। (Name any four crops of plantation farming.)

उत्तर रोपण कृषि की चार फसलें हैं चाय, कॉफी, कोको और रबड़।


Q33. शुष्क कृषि किसे कहते हैं? (What is dry farming ?)

उत्तर शुष्क कृषि पद्धति उन क्षेत्रों में अपनायी जाती है, जहाँ वार्षिक वर्षा 75 सेमी० से कम होती है। वर्षा के अभाव में यहाँ ऐसी फसलें उपजायी जाती हैं जो शुष्कता को सहन कर सके, जैसे—रागी, बाजरा, मूंग, चना, ज्वार इत्यादि। इन क्षेत्रों में आर्द्रता संरक्षण तथा वर्षा जल के प्रयोग की अनेक विधियाँ अपनाई जाती है।


Q34. बंजर भूमि तथा कृषि योग्य व्यर्थ भूमि में अंतर स्पष्ट करें। (Differentiate between barren land and culturable wasteland.)

उत्तर बंजर या ऊसर भूमि के अंतर्गत वे सभी भूमि सम्मिलित हैं, जो व्यावहारिक दृष्टिकोण से कृषि के लिए अनुपजाऊ, अनुपयोगी तथा बेकार है और जो प्रचलित प्रौद्योगिकी की मदद से कृषि योग्य नहीं बनाई जा सकती है, जैसे बंजर पहाड़ी भू-भाग, मरुस्थल, बीहड़ (ravines) इत्यादि। इसके विपरीत, कृषि योग्य व्यर्थ भूमि निश्चित रूप से कृषि योग्य है,
किन्तु जंगली पौधों __ और घास के विकास, जल-जमाव, मिट्टी अपरदन, अधिवास से अधिक दूरी इत्यादि के कारण ये पिछले पाँच वर्षों या अधिक समय तक परती या कृषि रहितं है। भूमि उद्धार तकनीक द्वारा इसे सुधार कर कृषि योग्य बनाया जा सकता है।


Q35. पश्चिम बंगाल में जूट की कृषि का वर्णन कीजिए। (Describe jute cultivation in West Bengal.)

उत्तर भारत की छाल वाली रेशेदार फसलों में जूट सर्वप्रथम है, जिससे रस्सी, टाट, बोरा, गलीचा इत्यादि वस्तुएँ बनाई जाती हैं। इसके पौधे दो से चार मीटर ऊँचे होते हैं। पौधों को काटने के बाद पानी में सड़ाया जाता है। फिर उससे छाल को अलग कर उसे खूब पीटा जाता है, जिससे उसके रेशे निकल आते हैं। इस रेशे की बिक्री होती
इस कारण इसे नकदी फसल माना जाता है। जूट उद्योग का यह कच्चा माल है। – जूट उष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु का पौधा है। इसकी खेती के लिए 25° से 30° से०ग्रे० तापमान, 100 से 200 सेंमी० वर्षा और डेल्टाई मिट्टी की आवश्यकता होती है। जूट को सड़ाने के लिए तालाब या जलाशय आवश्यक हैं।पश्चिम बंगाल में जूट के उत्पादन की सारी भौगोलिक आवश्यकताएँ पूरी होती हैं। पश्चिम बंगाल को भारत का जूट क्षेत्र कहा जाता है। देश का दो-तिहाई जूट अकेला यही राज्य उत्पन्न करता है। इस राज्य के 4 लाख हेक्टेयर भूमि में जूट का उत्पादन होता है। मुख्य उत्पादन क्षेत्र राज्य के पूर्वी भाग में हगली नदी के किनारे स्थित हैं।
मुर्शिदाबाद, दीनाजपुर, कूच बिहार, हुगली, 24 परगना, नादिया, जलपाईगुडी माल्दा, बर्द्धमान और हावड़ा जिले जूट उत्पादन के लिए विख्यात हैं।


Bihar Board Class 12 Geography Short Answer Question Answer 2024

Q36. विशेषीकृत फलोत्पादन एवं सब्जी वाली कृषि शहरों के निकट विकसित होती है। क्यों? (Truck farming is developed neur urban centres why ?)

उत्तर शहरों में जनसंख्या की अधिकता के कारण फलों और सब्जियों की माँग अधिक होती है। फल और सब्जी शीघ्र खराब होने वाले कृषि उत्पाद है; अत: दूर से लाने पर इनके खराब होने का भय रहता है। इस कारण इनकी खेती शहरों के निकट ही होती है। लेकिन आजकल यातायात के तीव्र साधनों के विकास के कारण इन्हें दूर से लाने में सुविधा हो गयी है और इनकी खेती शहरों से दूर भी होती है। फिर भी, ताजा फल और सब्जी के लिए शहर निकटवर्ती क्षेत्र पर ही निर्भर रहता है।


Q37. शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि में क्या अन्तर है? (What is difference between dry farming and humid farming ?)

उत्तर शुष्क कृषि पद्धति उन क्षेत्रों में अपनायी जाती है, जहाँ वार्षिक वर्षा 75 सेमी० से कम है। वर्षा के अभाव में यहाँ ऐसी फसलें उपजायी जाती है, जो शुष्कता को सहन कर सके, जैसे रागी, बाजरा, मूंग, चना, ज्वार इत्यादि। इन क्षेत्रों में आर्द्रता संरक्षण तथा वर्षा जल के प्रयोग की अनेक विधियाँ अपनाई जाती हैं। इसके विपरीत आर्द्र कृषि उन क्षेत्रों में होती हैं, जहाँ वर्षा ऋत में जल पौधों की जरूरत से अधिक होता है। इन क्षेत्रों में वे फसलें उपजायी जाती है, जिन्हें पानी
की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है, जैसे—चावल, जूट, गन्ना इत्यादि।


Q38. भारतीय कृषि की तीन विशेषताओं को लिखिए। (Write there characteristics of Indian agriculture.)

उत्तर भारतीय कृषि की तीन विशेषताएँ हैं

(i) भारत में गहन निर्वाहक कृषि (Intensive Subsistence Farming) होती है।
(ii) भारत में वर्ष में तीन मौसमी फसलें उपजायी जाती हैं खरीफ, रबी और जायद।
(iii) भारतीय कृषि मुख्यतः वर्षा पर आधारित है।


Q39. गन्ना की खेती के लिए आदर्श परिस्थितियाँ क्या होनी चाहिए? (What should be the ideal condition for cultivation of sugarcane?)

उत्तर गन्ना एक उष्णकटिबंधीय फसल है। इसकी खेती के लिए आदर्श परिस्थितियाँ हैं
(i) दीर्घकालीन ग्रीष्मऋतु जिसमें तापमान 21 सें० ग्रे० से 27° सें० ग्रे० तक हो।
(ii) कम से कम 150 सेमी० वार्षिक वर्षा या सिंचाई का प्रबंध।
(iii) पर्याप्त धूप और पाले से रक्षा।
(iv) उपजाऊ दोमट या हल्की चिकनी मिट्टी और
(v) पर्याप्त सस्ते मजदूर।


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Q40. कृषि सेक्टर में भारतीय श्रमिकों का सर्वाधिक अंश संलग्न है। स्पष्ट करें। (Most of the Indian workers are engaged in agricultural sector.” Explain.)

उत्तर भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का आधार है। यही कारण है कि भारत की कामगार जनसंख्या का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि में संलग्न है। कुल श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग 58.2 प्रतिशत कृषक और कृषि मजदूर हैं, जबकि केवल 4.2 प्रतिशत श्रमिक घरेलू उद्योगों में लगे हैं
और 37.6 प्रतिशत अन्य श्रमिक हैं जो गैर-घरेलू उद्योगों, व्यापार, वाणिज्य, विनिर्माण तथा अन्य सेवाओं में कार्यरत हैं।


Q41. उत्तरी भारत में सिंचाई के मुख्य साधन क्या हैं? (What are the main sources of irrigation in Northern India ?)

उत्तर उत्तरी भारत में सिंचाई के मुख्य साधन नहर, कुआँ और नलकूप हैं। इनमें नहर द्वारा सिंचाई का विशेष महत्त्व है। समतल और मुलायम चट्टानों की उपस्थिति, विस्तृत कृषि उपजाऊ भूमि, कम गहराई में, नदी से या अन्य जल-स्रोत से जल की पर्याप्त पूर्ति के कारण उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार इत्यादि राज्यों में इन साधनों से सिंचाई होती है।


Q42. भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याओं का उल्लेख करें। (Discuss main problems of Indian agriculture.)

उत्तर भारतीय कृषि अनेक प्राकृतिक, आर्थिक, सामाजिक और अवसंरचना संबंधी समस्याओं से ग्रसित है। प्राकृतिक समस्याओं में प्राकृतिक आपदा (बाढ़, सूखा), जल जमाव, परती तथा बंजरभूमि, मिट्टी अपरदन, मिट्टी का अत्यधिक उपयोग आदि मुख्य हैं।
आर्थिक समग्याओं के अन्तर्गत किसानों की निर्धनता, अधिक उत्पादन लागत तथा कम उत्पाद मूल्य उल्लेखनीय हैं। कषि भूमि पर जनसंख्या का बढ़ता बोझ, भूमि सुधार कार्यक्रम का अप्रभावशाली कार्यान्वयन किसानों का तिरस्कार आदि सामाजिक समस्याएँ हैं। सिंचाई, उत्तम बीज, रासायनिक खाद, ऋण सविधा भंडारण तथा व्यवस्थित बाजार की कमी अब संरचना संबंधी समस्याएँ हैं।


Q43. सामूहिक कृषि का वर्णन करें। (Explain collective farming.)

उत्तर सामूहिक कृषि में उत्पादन के साधनों का स्वामित्व संपूर्ण समाज एवं सामूहिक श्रम पर आधारित होता है। सभी कृषक अपने संसाधन जैसे—भूमि, पशुधन एवं श्रम को मिलाकर कृषि कार्य करते हैं। ये अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भूमि का छोटा-सा भाग अपने अधिकार में भी रखते हैं। सरकार उत्पादन का वार्षिक लक्ष्य निर्धारित करती है
एवं उत्पादन को सरकार ही निर्धारित मूल्य पर खरीदती है। कृषि का यह प्रकार पूर्व सोवियत संघ में प्रारंभ हुआ था. जहाँ इसको “कोलखहोज” का नाम दिया गया।


Q44. बाजारी सब्जी कृषि नगरीय क्षेत्रों के समीप ही क्यों की जाती है? (Market gardening is practised near urban areas only. Why ?)

उत्तर बाजारी सब्जी कृषि में अधिक मुद्रा मिलने वाली सब्जियों के अतिरिक्त फल और फूल की खेती होती है। इसमें गहन श्रम एवं अधिक पूँजी लगती है तथा इन्हें खराब होने से बचाने के लिए शीघ्र बाजार में पहुँचाया जाता है। इनकी माँग नगरीय केन्द्रों में अधिक है, जहाँ ऊँची आय वाले उपभोक्ता रहते हैं। नगरों में इन्हें शीघ्र पहुँचाने के लिए इनकी खेती
नगरीय क्षेत्रों के समीप की जाती हैं।


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Q45. बारानी या वर्षा आधारित कृषि से आप क्या समझते हैं? – (What do you understand by rainfed agriculture farming ?)

उत्तर बारानी या वर्षा आधारित कृषि उस कृषि को कहते हैं, जिसमें सिंचाई का सहारा नहीं लिया जाता है और केवल वर्षा के सहारे खेती की जाती है। इसके दो प्रकार हैं शुष्क भूमि कृषि और आर्द्र भूमि कृषि। भारत में 75 सेमी० से कम वर्षा वाले शुष्क क्षेत्र में रागी, बाजरा, मूंग, चना, ज्वार इत्यादि शुष्कता को सहने में सक्षम फसलें उगाई जाती हैं। इन क्षेत्रों में
आर्द्रता संरक्षण तथा वर्षा जल के प्रयोग की अनेक विधियाँ अपनाई जाती है। आई कृषि के अंतर्गत वर्षा ऋतु में चावल, जूट, गन्ना इत्यादि खेती वर्षा पर आधारित होती है।


Q46. कोको के बारे में आप क्या जानते हैं?  (What do you mean by cocoa?)

उत्तर कोको एक कृषि उत्पाद है, जिससे चॉकलेट, सॉफ्ट ड्रिंक (कोका कोला) इत्यादि बनाया जाता है। इसका उत्पादन पश्चिमी अफ्रीका विशेषकर घाना में होता है। फ्रांसवासियों ने यहाँ इसकी पौधा लगाई थी। इसकी खेती रोपण कृषि के अंतर्गत उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में होती है।

 


Q47. भू-निम्नीकरण से आप क्या समझते हैं? । (What do you mean by land degradation ?)

उत्तर भू-निम्नीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें भूमि खेती के अयोग्य बनती है। इसके जिम्मेवार तत्त्व निम्नलिखित हैं __

(i) खनन,
(ii) अति पशुचारण,
(iii) जलाक्रांतता,
(iv) औद्योगीकरण।


Q48. भारत के चार प्रमुख लौह-इस्पात उद्योग केंद्रों के नाम लिखें। (Name four important centres of iron and steel industry of India.)

उत्तर भारत के चार प्रमुख लौह इस्पात उद्योग केंद्रों के नाम निम्नलिखित हैं __

(i) “टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी” (TISCO)
(II) ” इंडियन आयरन एण्ड स्टील कंपनी” (IISCO)
(iii) विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील लिमिटेड (VISL)
(iv) भिला, (छत्तीसगढ़, राउरकेला (उडीसा) और दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल) के अतिरिक्त बोकारो (झारखंड), पल (तमिलनाडु), विशाखापटनम (आंध्र प्रदेश) और विजयनगर (कर्नाटक) में “स्टील आटी आग, इंडिया लिमिटेड (SAIL)


Q49. आधारभूत उद्योग क्या हैं? उदाहरण दें। (What is basic industry ? Give example.)

उत्तर वे उद्योग जिनके उत्पाद को अन्य वस्तुएँ बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयोग में लाया जाता है उन्हें आधारभूत उद्योग कहते हैं। जैसे—लोहा-इस्पात, वस्त्रोद्योग, चीनी उद्योग इत्यादि में प्रयोग में लाया जाता है। इन उद्योगों को चलाने वाली मशीने भी लोहा-इस्पात से बनती है।


Q50. कुटीर उद्योग एवं लघु उद्योग में अन्तर स्पष्ट कीजिए। (Distinguish between cottage industry and small scale industry.)

उत्तर कुटीर उद्योग या गृह उद्योग निर्माण की सबसे छोटी इकाई है। इसमें शिल्पकार स्थानीय कच्चे माल का उपयोग करते हैं एवं साधारण औजारों द्वारा परिवार के सदस्य मिलकर वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। तैयार माल का या तो वे स्वयं उपभोग करते हैं या इसे स्थानीय — गाँव के बाजार में विक्रय कर देते हैं। इस उद्योग से दैनिक जीवन के उपयोग में
आने वाली वस्तुओं जैसे खाद्य पदार्थ, कपड़ा, चटाइयाँ, बरतन, औजार, फर्नीचर, जूते एवं छोटी मूर्तियाँ उत्पादित के जाती हैं। लघु उद्योग कुटीर उद्योग से भिन्न होता है। इसमें भी स्थानीय कच्चे माल का उपयोग होता है, किंतु इसका कारखाना घर से बाहर रहता है एवं अर्द्धकुशल श्रमिक तथा शक्ति के साधनों से चलने वाले यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। रोजगार के अवसर इसमें अधिक होते हैं। भारत, “चीन, इंडोनेशिया एवं ब्राजील जैसे देश अपनी जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए इस प्रकार के उद्योगों में बिजली, इलेक्ट्रानिक खिलौने, मशीनों के पुर्जे, वस्त्र इत्यादि का निर्माण कर रहे हैं।


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