Class 12 Psychology ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) 2024 ( 15 Marks ) | PART – 6

दोस्तों आज के इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 12 मनोविज्ञान का महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर दिया गया है। दोस्तों यह प्रश्न उत्तर आपके इंटर बोर्ड परीक्षा में ( 15 Marks ) के पूछे जाते हैं। तथा जितने भी क्वेश्चन दिए गए हैं कक्षा 12वीं मनोविज्ञान लंबे प्रश्न उत्तर पीडीएफ डाउनलोड सभी पिछले साल पूछे जा चुके हैं ,तो दोस्तों यह सभी प्रश्न उत्तर आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसलिए शुरू से अंत तक दिए गए प्रश्न उत्तर को जरूर पढ़ें।


Psychology ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART – 6

Q55. रूढ़ियुक्तियों के कारणों का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ रूढ़ियुक्तियों के कारण

(i) व्यक्तिगत अनुभव (Personal experience)—रूढ़ियुक्तियों के निर्माण का मौलिक आधार वास्तविक अनुभवं है, किसी समूह या वर्ग के कुछ सदस्यों में जिन शीलगुणों का वास्तविक अनुभव होता है, उन्हें उस समूह या वर्ग के सभी सदस्यों पर आरोपित कर दिया जाता है। उस समूह या वर्ग के संबंध में एक धारणा प्रचलित हो जाती है, जिसे हम रूढ़ियुक्ति कहते हैं।
(ii) अनुकरण (Imitation) रूढ़ियुक्तियों के निर्माण एवं विकास का एक निर्धारक, अनुकरण है। व्यक्ति अपने समूह के सदस्यों के विचारों तथा व्यवहारों का अनुकरण करके भिन्न-भिन्न रूढ़ियुक्तियों को सीख लेता है। .
(iii) परम्परा एवं लोकरीतियाँ (Traditions and folkways)—रूढ़ियुक्तियों के विकास पर किसी वर्ग. या समूह की परम्पराओं तथा लोकरीतियों का भी प्रभाव पड़ता है।
(iv) सामाजिक शिक्षण (Social learning) सामाजिक शिक्षण के कारण रूढ़ियुक्तियों का निर्माण तथा विकास होता है।
(v) सामाजिक तथा सांस्कृतिक दूरी (Social and cultural distance) सामाजिक दूरी के कारण एक समाज के लोग दूसरे समाज के संबंध में तथा एक समुदाय के लोग दूसरे समुदाय के संबंध में वास्तविक जानकारी नहीं रख पाते हैं। शारीरिक सम्पर्क के अभाव में व्यक्तिगत अनभव प्राप्त करना संभव नहीं होता है। अतः उस समाज, समह या समुदाय में प्रचलित यक्तियों को बिना छान-बीन के ही स्वीकार कर लिया जाता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि रूढ़ियुक्तियों के कई कारण है।


कक्षा 12 मनोविज्ञान दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर पीडीएफ डाउनलोड 2024

Q56. सामाजिक व्यवहार क्या है? व्याख्या करें।

उत्तर ⇔ रेबर तथा रेबर (Rcber & Reber, 2001) ने सामाजिक व्यवहार को परिभाषित करते हुए कहा है कि “विशेष रूप से सामाजिक व्यवहार का तात्पर्य समूह व्यवहार या उस व्यवहार जो समह में घटित होता है
तथा प्राथमिक रूप से समूह द्वारा निर्धारित होता है।” सामाजिक व्यवहारों की विशेषताएँ(Characteristics of social behaviour)—सामाजिक व्यवहार की निम्नलिखित विशेषताएँ या कसौटियाँ
(criteria) हैं

(i) समूह-संबंद्धता (Group affiliation)—सामाजिक व्यवहार की मूल विशेषता यह है कि उसका संबंध किसी समूह के साथ हो।
(ii) पारस्परिक क्रिया (Interaction) सामाजिक व्यवहार की एक विशेषता पारस्परिक क्रिया है। सामाजिक व्यवहार एक ऐसी क्रिया है जो दो या अधिक व्यक्तियों के बीच न केवल घटित होता है, बल्कि एक-दूसरे को प्रभावित भी करता है।
(iii) सामूहिक लक्ष्य (Common goal) सामाजिक व्यवहार में सामूहिक लक्ष्य की विशेषता पायी जाती है।
(iv) आंशिक स्वतंत्रता(Partial Independence)—सामाजिक व्यवहार में आशिक स्वतंत्रता की विशेषता भी पायी जाती है।
(v) सामाजिक स्वीकृति(Social acceptance) सामाजिक व्यवहार में सामाजिक स्वीकृति की विशेषता भी पायी जाती है। इससे सामाजिक व्यवहार को प्रोत्साहन मिलता है।


Q57. रोगी केन्द्रित चिकित्सा क्या है? इसके गुण एवं दोषों का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ रोगी केन्द्रित चिकित्सा का प्रतिपादन कार्ल रोजर्स द्वारा 1940 के दशक में किया गया। यह चिकित्सा निम्नलिखित विधि निम्नलिखित अभिधारणाओं पर आधारित हैं –

(i) रोगी अपनी समस्या को समझने तथा समाधान करने की क्षमता दूसरों की अपेक्षा स्वयं अधिक रखता है।
(ii) विश्वास किया जाता है कि रोगी का उपचार नहीं बल्कि सहायता की आवश्यकता होती है।
(iii) यह चिकित्सा विधि इस विश्वास पर आधारित है कि रोगी मूलतः स्वस्थ तथा अच्छा होता है। उसमें विकास एवं परिपक्वता के लिए क्षमता निहित होती है और उपयुक्त परिस्थिति उपलब्ध होने पर वह अपनी समस्या
के संबंध में सूक्ष्म हासिल करके उसका समाधान कर सकता है।

रोगी केन्द्रित चिकित्सा के मुख्य गुण निम्नलिखित हैं :
(i) यह विधि साधारण व्यक्तित्व विकृतियों के उपचार में अधिक सफल है।
(ii) रोगी-केन्द्रित चिकित्सा कुसमायोजित व्यवहारों के उपचार के लिए उपयोगी होता है।
(iii) यह चिकित्सा तीव्र बुद्धि को रोगियों के लिए उपयुक्त तथा लाभप्रद होती है।
(iv) इस चिकित्सा विधि से बहिर्मखी रोगियों को अधिक लाभ होता है। कारण, ऐसे ही चिकित्सक के पास जाने में पहल करते हैं।

कई गुणों के होते हुए भी इस चिकित्सा में निम्नलिखित दोष हैं :

(i) किस्कर के अनुसार यह चिकित्सा गंभीर मानसिक विकृतियों के उपचार के लिए साल नहीं है।
(ii) मंद-बुद्धि के रोगियों के उपचार के लिए यह चिकित्सा-विधि उपयुक्त तथा सफल नहीं है।
(iii) यह चिकित्सा-प्रविधि अंतर्मखी रोगियों के लिए लाभदायक नहीं होती है।


Q58. मानसिक विकारों के उपचार में योग चिकित्सा की भूमिका का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ वैकल्पिक चिकित्सा से तात्पर्य वैसे चिकित्सा से है जो मनोचिकित्सा या जैव-औषधिय चिकित्सा के विकल्प के रूप में उपलब्ध होती है। योग चिकित्सा का सूत्रपात महर्षि पतंजलि द्वारा किया गया है। पतंजलि योग सूत्र में अष्टांग योग का वर्णन किया गया है जिसका उपयोग मानसिक एवं शारीरिक. रोगों के उपचार में किया जाता है। ये अष्टांग योग हैं ।

(i) यम- यम का अर्थ बाह्य एवं आंतरिक इंद्रियों के संयम की क्रिया से होती है। यम पाँच प्रकार के होते हैं—अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य तथा अपरिग्रह।

(ii) नियम- योग का दूसरा चरण नियम है। इसमें व्यक्ति को सदाचार का पालन करना होता है। नियम भी पाँच प्रकार के हैं शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय एवं ईश्वर . प्राणिधान। इनकी पालन से व्यक्ति की आत्मा विकाररहित
होकर शुद्ध होती है।
(iii) आसन- आसन में मन को एकाग्र कर शरीर को विशेष मुद्रा में स्थिर रखना।
(iv) प्राणायाम- प्राणायाम श्वास-प्रश्वास का नियमन अथवा उसमें एक क्रम लाने की – तकनिक है।
(v) प्रत्याहार–प्रत्याहार में इंद्रियों को बाह्य या भीतरी उत्तेजनाओं से इच्छानुसार हटा लेने का प्रयास किया जाता है।
(vi) धारणा- धारणा का अर्थ है चित को वांछित विषय पर जमाना। इससे मानसिक विचलन नियंत्रित होता है।
(vii) ध्यान- इसमें मन को किसी एक बिंदु पर केंद्रित कर मानसिक एकाग्रता का अभ्यास किया जाता है।
(viii)समाधि- इसमें मन अपने ध्येय विषय के साथ पूर्णरूपेण एकाकार हो जाता है। इस प्रकार योग मनोविकारों की चिकित्सा एवं निवारण की विधियों के साथ-साथ जीवन-यापन की एक शैली भी है।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर कक्षा 12 मनोविज्ञान कक्षा 12 2024

Q59. एस० एम० मोहसिन का द्विस्तरीय संप्रत्यय मनोवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या किस तरह करता है? सोदाहरण वर्णन करें।

उत्तर ⇔ एस० एम० मोहसिन का द्विस्तरीय संप्रत्यय मनोवृत्ति परिवर्तन की प्रक्रिया में दो स्तर होते हैं जो इस प्रकार हैं

(A) पहला स्तर तादात्मय (identification) का होता है जहाँ एक व्यक्ति वह होता है जिनकी मनोवृत्ति बदलनी होती है, दूसरा वह होता है जिसके प्रभाव के माध्यम से मनोवृत्ति में परिवर्तन दोती है। पहले तरह का व्यक्ति को लक्ष्य व्यक्ति तथा दूसरे तरह के व्यक्ति को स्रोत कहा जाता है।

(B) दूसरे चरण में स्रोत व्यक्ति मनोवृत्ति वस्तु के प्रति अपने व्यवहार में परिवर्तन लाकर मनोवृत्ति में परिवर्तन कर लेता है। अब लक्ष्य व्यक्तिइसका प्रेक्षण या अनुकरण करता है, तो उसी अनुरूप मनोवृत्ति वस्तु की ओर वह अपने मनोवृत्ति वस्त की ओर वह अपने मनोवृत्ति में परिवर्तन कर लेता है।

उदाहरण- संगीता समाचार पत्र में यह पढ़ती है कि जो बिस्कुट वह खाती है, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। परंतु संगीता टेलीविजन पर यह देखती है कि उसके पसंदीदा फिल्मी कलाकार लोगों को वही बिस्कुट को अपनी पसंद तथा लोगों से खाने की अपील भी करता है। चूंकि संगीता का वह एक पसंदीदा कलाकर है, अत: वह उसके साथ तादात्म्य स्थापित कर लेती है और उसका अनुकरण भी करना चाहेगी। अब कलाकार उक्त बिस्कुट के प्रति लोगों की मनोवृत्ति अनुकूल से प्रतिकूल में बदलना चाहता है। तब कलाकार अपने प्रशंसकों के प्रति एक धनात्मक भाव दिखलायेगा और तब वह एक दूसरा बिस्कुट खाने का सिफारिश करेगा क्योंकि यह बाद वाला बिस्कुट अधिक स्वादिष्ट एवं स्वास्थ्यरक्षक है और कहेगा कि स्वयं वह भी अब यही बिस्कुट खाना प्रारंभ कर दिया है (पहला चरण) अगर कलाकार अपना व्यवहार बदल देता है, तो बहुत उम्मीद यह होती है कि संगीता भी
अपने चहेते कलाकार का अनुकरण करते हुए मनोवृत्ति में परिवर्तन कर लेगी (दूसरा चरण)


Q60. वातावरण के प्रति जागरूकता एवं अनुकूली पर्यावरणी व्यवहार को बढ़ाने की । विधियों का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ वातावरण के प्रति जागरूकता एवं अनुकूल पर्यावरण व्यवहार को बढ़ाने की निम्नलिखित प्रविधियाँ हैं

(i) अनौपचारिक पर्यावरणी शिक्षा (Informal environmental education)—बच्चों को अनौपचारिक शिक्षा के माध्यम से वातावरण के विभिन्न पक्षों की जानकारी दी जा सकती है तथा पर्यावरण को प्रदूषित बनाने वाले कारणों का ज्ञान दिया जा सकता है। इसके अतिरिक्त उन्हें प्रदूषित पर्यावरण के हानिकारक परिणामों या प्रभावों से भी अवगत कराया जा सकता है। इस जानकारी या ज्ञान से उन्हें पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाए रखने की प्रेरणा मिल सकती है और वे इस दिशा में सक्रिय बन सकते हैं।

(ii) औपचारिक पर्यावरणी शिक्षा (Formal environmental education) पर्यावरण के प्रति सचेत बनाने तथा अनुकूल वातावरणीय व्यवहार को प्रोत्साहित करने के लिए औपचारिक पर्यावरणीय शिक्षा भी आवश्यक है। औपचारिक शिक्षा का अर्थ वह शिक्षा है जो विद्यालय या महाविद्यालय में दी जाती है। अतः प्राथमिक विद्यालय तथा महाविद्यालय के स्तर पर पर्यावरणी शिक्षा को निर्धारित पाठ्यक्रम का अनिवार्य अंग बना दिया जाना आवश्यक है।

(iii) वयस्क पर्यावरणी शिक्षा (Adult environmental education)—पर्यावरण को प्रदूषण स्वतंत्र (pollution free) बनाए रखने का एक उपाय यह भी है कि सरकार की ओर से ऐसे शिक्षालय की स्थापना की जाए जहाँ वयस्क लोगों को पर्यावरण की शिक्षा दी जाए।

(iv) पर्यावरणी चेतना अभियान (Environmental awareness campaign) पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत बनाने तथा पर्यावरणी-व्यवहार को बढ़ाने की एक सुंदर प्रविधि पर्याव चेतना अभियान है। सरकार की ओर से इस अभियान का आयोजन शहरी क्षेत्र के साथ देवा क्षेत्र में भी किया जाना चाहिए। भारत में भी यह अभियान सीमित क्षेत्रों में आज भी जारी


Q61. मानव व्यवहार पर वायु प्रदूषण के प्रभावों का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ वर्तमान समय वायु प्रदूषण को अनेक स्वास्थ्य समस्याओं (health problems) तथा सामाजिक समस्याओं (social problems) का मुख्य स्रोत समझा जा रहा है। अमेरिका आदि विकसित देशों की तरह भारत आदि प्रगतिशील देशों में भी वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर बनती जा रही है। इस समस्या की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्तमान समय में वायु प्रदूषण वाद-विवाद (debate) का विषय बन गया है। अध्ययनों से पता चलता है कि वायु प्रदूषण से शारीरिक तथा मनश्चिकित्सीय समस्याएं (physical and psychiatric problems) उत्पन्न होती है (Blot et al; 1975, Rotton and Frey, 1985)। इन अध्ययनों के आलोक में यह भी ज्ञात हुआ है कि शहर के पुराने निवासियों की अपेक्षा नये निवासियों में शारीरिक तथा मानसिक समस्याएँ अधिक गंभीर होती हैं। रोटोन तथा फ्रेय (Rotton & Frey, 1985) ने पारिवारिक उपद्रव तथा वायुमंडलीय ओजोन स्तरों (atmospheric ozone levels) के बीच संबंध की जाँच की। निम्न ओजोन-स्तर की अपेक्षा उच्च ओजोन-स्तर की स्थिति में पारिवारिक उपद्रव अधिक पाये गये। इस प्रकार वायु-प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव न केवल स्वास्थ्य पर पड़ता है. बल्कि संवेगात्मक एवं व्यवहारात्मक प्रतिरूप पर भी। श्रीवास्तव (Srivastava, 1994-95) ने मानसिक स्वास्थ्य पर विभिन्न रसोइया ईंधन (cooking fuels) यथा लकड़ी, कोयला, किरोसेन, बायोगैस तथा एल० पी० जी० (L.P.G.) तथा उनके उपयोग करने की विभिन्न अवधियों (durations) के प्रभावों को निर्धारित करने के लिए 300 महिलाओं का अध्ययन किया। उन्होंने निष्कर्ष के रूप में एल०पी०जी० की अपेक्षा कोयला तथा किरोसेन का प्रतिकूल प्रभाव महिलाओं के स्वास्थ्य पर अधिक घातक पाया।
इस प्रकार हम देखते हैं कि वायु प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य व्यवहार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।


Q62. शोर किस प्रकार मानव व्यवहार को प्रभावित करता है? विवेचना करें।

उत्तर ⇔ हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं कि शोरगुल या कोलाहल का प्रभाव कई रूपों में हमारे व्यवहार पर पड़ता है। ” सपहार पर पड़ता है। अध्ययनों से पता चलता है कि आक्रमण (aggression) का एक मुख्य कारण कोलाहल है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि जो लोग कोलाहल वाले वातावरण में रहते हैं उनमें आक्रमणकारी व्यवहार अधिक देखे जाते हैं। ऐसे लोग सामाजिक हिंसा (social violence) अधिक करते हैं। शोरगुल या कोलाहल का प्रतिकूल प्रभाव व्यक्ति के निर्णय (judgement) पर पड़ता है। कोलाहल के कारण व्यक्ति चिन्ता, तनाव तथा चिड़चिड़ापन का शिकार बना रहता है। इसलिए निर्णय करने की क्षमता बाधित हो जाती है। अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि अनिरन्तर कोलाहल (discontinuous noise) अधिक घातक होता है। ऐसे कोलाहल से सिरदर्द, चिड़चिड़ापन तथा तनाव अधिक उत्पन्न होते हैं और ध्यान भंग होते रहने के कारण कार्यक्षमता घट जाती है। इस आधार पर लगातार होने वाला कोलाहल अपेक्षाकृत कम घातक होता है। हवाईयानों द्वारा उत्पन्न शोर (noise) पर किए गए अध्ययनों से कोलाहल के प्रतिकुल तथा हानिकर प्रभाव का प्रमाण मिलता है। टोबिस (Tobis, 1972) ने अपने अध्ययन में पाया कि हवाईयान के शोर से उड़ान निरीक्षकों की श्रवण क्षमता (auditory capacity) काफी घट गयी। उडान प्रशिक्षिक तथा व्यावसायिक यान-चालकों की श्रवण-क्षमता पर और अधिक बाधक प्रभाव देखा गया, क्योंकि वे अधिक समय तक उड़ान पर रहते हैं।


मनोविज्ञान लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर पीडीएफ डाउनलोड 2024

Q63. व्यक्ति के शारीरिक तंदुरुस्ती को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ शारीरिक तंदुरुस्ती को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं

(i) दोषपूर्ण जीवन-शैली (Faulty life-style)–दुर्बल स्वास्थ्य (poor health) अथवा बुरा स्वास्थ्य (bad health) का एक मुख्य कारण दोषूपर्ण जीवन शैली है। जीवन शैली का तात्पर्य जीवन
जीने के ढंग से है।
(ii) प्रारंभिक जीवन-अनुभूतियाँ (Early life-experiences)—बुरा स्वास्थ्य (bad health) के विकास में जीवन की प्रारंभिक अनुभूतियों का भी हाथ होता है।
(iii) प्रतिबलक अस्वस्थता तथा रोग का एक मुख्य कारण प्रतिबलक है। वास्तव में प्रतिबलक का तात्पर्य नकारात्मक घटनाओं (negativeevents) से है, जो दुखद एवं तनावपूर्ण होती है।
(iv) धूम्रपान व्यसन (Smoking addiction)—अध्ययनों से पता चलता है कि धूम्रपान नहीं करने वालों की अपेक्षा धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों का स्वास्थ्य अधिक खराब होता है तथा मृत्यु जोखिम का खतरा
अधिक होता है।
(v) अल्प आहार तथा कुपोषण (Poor diet and malnutrition)—अस्वस्थता का एक मुख्य कारण अल्प आहार है। अल्प आहार के कारण स्वास्थ्य खराब हो जाता है तथा गम्भीर रोग यथा कैन्सर के
विकसित होने की सम्भावना बन जाती है।

(vi) स्वास्थ्य आवश्यकता के प्रति उदासीनता (Indifference towards health needs) दुर्बल स्वास्थ्य (poor health) का एक मुख्य कारण स्वस्थ जीवन को बनाए रखने की आवश्यकताओं के प्रति उदासीन है। व्यक्ति को इस बात की जानकारी रहती है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए अमुक-अमुक आवश्यकताओं को पूरा करना आवश्यक है, फिर भी वह इसके प्रति उदासीन बना रहता है और धीरे-धीरे वह अस्वस्थता का शिकार बन जाता है।


Q64. स्वास्थ्य को उन्नत बनाने के उपायों का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ स्वास्थ्य को उन्नत बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय हैं

(क) प्राथमिक निवारण (Primary Prevention)—प्राथमिक निवारण का अर्थ है अस्वस्थता तथा रोग को उत्पन्न करने वाले कारणों या कारकों से बचना तथा स्वास्थ्यवर्धक योजनाओं पर अमल करना। इस तरह की योजनाएँ या प्रविधियाँ निम्नलिखित हैं उपयुक्त आहार, उपयुक्त शारीरिक क्रिया, व्यक्ति-पर्यावरण उपयुक्त, उपयुक्त संवेगात्मक अभिव्यक्ति, स्वास्थ्य आवश्यकताओं को समझना तथा पालन करना, प्रतिबल प्रबन्ध कौशल, जनसंख्या नियंत्रण तथा जनसमूह अभियान को शामिल किया जा सकता है। ये सभी विधियाँ प्राथमिक निवारण है जिसके द्वारा स्वास्थ्य को उन्नत बनाया जा सकता है।

(ख) द्वितीयक निवारण (Secondary Prevention) द्वितीयक निवारण में जो रोग हो च है, उसकी गम्भीरता (severity) को कम करने का प्रयास किया जाता है। पहले चरण में है। पहचान की जाती है तथा
दूसरे चरण में उसको दूर करने की कोशिश की जाती है। इसके लि निम्नलिखित दो योजनाओं (strategies) का इस्तेमाल किया जाता है

(i) जाँच कार्यक्रम (Screening programme)-अस्पतालों, समुदाय-संगठनों, महाविद्यालयों तथा सामाजिक संस्थानों में भिन्न-भिन्न रोगों के लिए जाँच कार्यक्रमों की व्यवस्था रहती है।
(ii) स्व-जाँच (Self-examination)-इस निवारण योजना के तहत व्यक्ति अपने रोगों की जाँच खुद करता है। इस तरह व्यक्ति अपने रोग की गम्भीरता को घटा कर अधिक स्वस्थ जीवन जीने के योग्य अपने आप को बना सकता है। स्पष्ट है कि प्राथमिक निवारण तथा द्वितीयक निवारण के माध्यम से व्यक्ति, अपने स्वास्थ्य को उन्नत बना सकता है।


Bihar Board Class 12 Psychology ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) Long Question Answer

Q65. ‘विषय आत्मबोधन परीक्षण का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ विषय आत्मबोधन परिश्रम व्यक्तित्व मापन का एक प्रक्षेपण विधि है। इसमें कुल 31 कार्ड होते हैं जिसमें 30 में अस्पष्ट चित्र बने होते हैं तथा एक पूर्णरूपेण खाली होता है। किसी भी व्यक्ति (स्त्री या पुरुष) पर कुल 21 कार्ड का उपयोग किया जाता है (10 कार्ड स्त्री + 10 कार्ड पुरुष + 10 कार्ड स्त्री या पुरुष दोनों के लिए + 1 खाली कार्ड) प्रयोग्यों को कार्ड दिखाकर यह उल्लेख करने के लिए कहा जाता है कि कार्ड पर उल्लेखित चित्र से

यह बताएँ कि –

(i) पहले कौन सी घटना घटी है।
(ii) अभी क्या घटित हो रही है।
(iii) भविष्य में क्या घटने वाली है। इसके बाद विश्लेषण का प्रयोग के व्यक्तित्व का आकलन परीक्षण में उल्लेखित दस आधार : . पर की जाती है।

गुण

(i) व्यक्तित्व के घटक का सही मापन होता है।
(ii) इसके द्वारा व्यक्तित्व का द्वन्द्व मनोग्रंथियों आवश्यकताएँ इत्यादि का सही मापन होता है
(iii) एक रोचक परीक्षण है अतः व्यक्तित्व का मापन स्वाभाविक रूप में होता है।

दोष

(i) यहाँ व्यक्तित्व संगठन का समुचित मापन नहीं होता है।
(ii) यह एक आत्मनिष्ठ विधि है।
(iii) इसकी विश्वसनीयता तथा वैधता सीमित है।


BSEB inter Exam Question Answer Pdf Download 2024

 1. Hindi 100 Marks ( हिंदी )
 2. English 100 Marks ( अंग्रेज़ी )
 3. PHYSICS ( भौतिक विज्ञान )
 4. CHEMISTRY ( रसायन विज्ञान )
 5. BIOLOGY ( जीवविज्ञान )
 6. MATHEMATICS ( गणित )
 7. GEOGRAPHY ( भूगोल )
 8. HISTORY ( इतिहास )
 9. ECONOMICS ( अर्थशास्त्र )
 10. HOME SCIENCE ( गृह विज्ञान )
 11. SANSKRIT ( संस्कृत )
 12. SOCIOLOGY ( समाज शास्‍त्र )
 13. POLITICAL SCIENCE ( राजनीति विज्ञान )
 14. PHILOSOPHY ( दर्शन शास्‍त्र )
15. PSYCHOLOGY ( मनोविज्ञान )

नमस्कार दोस्तों यहां पर नीचे के पोस्ट में कक्षा 10 का विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान (class 10 science and social science) का बहुत ही महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन लघु उत्तरीय प्रश्न तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर (short answer question and long answer question) दिया गया है। अगर आप भी मैट्रिक परीक्षा 2024 की तैयारी कर रहे हैं, तो यह सभी प्रश्न आपके बोर्ड परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि यही सब प्रश्न आपके मैट्रिक बोर्ड परीक्षा 2024 में पूछे जाएंगे। इसलिए शुरू से अंत तक बने रहें।