Class 12 Home science ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर ) 2022 ( 15 Marks ) | PART – 4

B.S.E.B इंटर बोर्ड परीक्षा 2022 के लिए यहां पर गृह विज्ञान का दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर दिया गया है। जो आपके इंटर बोर्ड परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। तथा दोस्तों Inter Board Exam 2022 Home Science Short Answer Question Answer भी दिया गया है। यह सभी प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसलिए शुरू से अंत तक जरूर देखें।


Class 12 Home Science ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर ) 2022 ( 15 Marks ) | PART – 4

Q31. चेक कितने प्रकार के होते हैं? चेक द्वारा भुगतान करने के लाभों का उल्लेख करें।

उत्तर ⇒ चेक तीन प्रकार के होते हैं
(i) वाहक चेक-इसमें प्राप्तकर्ता के सामने वाहक लिखा होता है। इसकी राशि कोई भी व्यक्ति प्राप्त कर सकता है, इसे खो जाने का खतरा रहता है।
(ii) आदेशक चेक-इंसमें वाहक शब्द काटकर आदेशक लिखा होता है, जिस व्यक्ति के नाम से चेक लिखा होता है। भुगतान उसी को दिया जाता है अथवा वाहक जिसका नाम चेक के दूसरे तरफ लिखा होता है। बैंक वाहक का हस्ताक्षर ‘लेकर ही भगतान – करता है।
(iii) रेखांकित चेक इस चेक की बायीं ओर के ऊपरी सिरे पर दो तिरक्षी समानान्तर रेखाएँ खींची होती है। इसकी राशि का भुगतान नहीं किया जाता है। व्यक्ति के नाम के खाते में राशि जमा कर दी जाती है। इस प्रकार के चेक खोने पर दूसरे व्यक्ति को राशि मिलने की संभावना कतई नहीं होती।

चेकों द्वारा भुगतान करने के लाभ निम्न हैं

(i) सुरक्षित केवल नामित प्राप्तकर्ता ही बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान में चेक भूना सकता है। इसलिए यह सुरक्षित है।
(ii) विश्वसनीय चेक द्वारा भगतान का यह विश्वसनीय तरीका हैं जो पीढ़ी दर पीली चलता आ रहा है।
(iii) संसाधित किया गया बैच इससे कॉल्टयूमर्स को पोस्ट डेटेड चेक बताने की अनुमति __मिलती है जो उन्हें अपने खातों में फंड डालने के लिए समय देता है।


Q32. धन का विनियोग (Investment) करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?

उत्तर ⇒ धन का विनियोग करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए

(i) बचत कर्ता की बचत विनियोग की क्षमता—धन को जमा करना जमाकर्ता के सामर्थ्य पर निर्भर करता है। कई योजनाओं में जैसे यूनिट्स में जमा करने की न्यूनतम राशि निर्धरित की जाती है। यदि वह न्यूनतम राशि
जमाकर्ता के सामर्थ्य से बाहर है , तो उसके लिए यह योजना उचित नहीं है। ऐसी स्थिति में उसे दूसरी बचत योजनाएँ देखनी चाहिए।

(ii)विनियोग की सुरक्षा परिवार के लिए विनियोग का साधन चुनते समय इस बात का अवश्य ही ध्यान रखना चाहिए कि धन राशि हर तरह से सुरक्षित है। जैसे—आग, चोरी, बचत की हानि आदि।
(iii) विनियोग राशि पर उच्च ब्याज दर विनियोग का वही साधन अच्छा होता है, जिसमें हमें अपनी विनियोग की गयी धनराशि पर ब्याज अधिक मिलता हो।
(iv) पूँजी की तरलता (Liquidity) पूँजी की तरलता का अर्थ है कि आपातकालीन स्थिति में अपनी राशि को भुना सकते हैं। इस प्रकार बचत का विनियोग करना चाहिए जिससे आपातकाल में बिना ब्याज खोए धन राशि शीघ्र प्राप्त हो सके।
(v) विनियोग का सरल व उपयुक्त स्थान—विनियोग का स्थान दूर नहीं होना चाहिए अन्यथा धन के भुगतान व अन्य तकनीकी कठिनाइयों के कारण काफी समय नष्ट हो जाता है।
(vi) क्रय क्षमता बढ़ती कीमतों से विनियोग की राशि की क्रय क्षमता भी सुरक्षित होना .’ चाहिए। शेयर, जमीन, यूनिट्स आदि का लाभांश बढ़ती महँगाई को देखते हुए अधिक होता है।


Q33. घरेलू बजट का क्या महत्त्व है? परिवार के लिए बजट बनाते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?

उत्तर ⇒ प्रत्येक परिवार अपनी आय का व्यय बहुत सोच समझकर कर सकता है क्योंकि धन एक सीमित साधन है तथा यह प्रयास करता है कि अपनी सीमित आय द्वारा अपने परिवार की समस्त आवश्यकताओं को पूर्ण करके
भविष्य के लिए कुछ-न-कुछ बचत कर सके। यही कारण है कि गृह स्वामी तथा गृहस्वामिनी मिलकर सोच समझ करके अपने परिवार की आय का उचित व्यय करने के लिए लिखित एवं मौखिक योजना बनाते हैं और उस
योजना को क्रियान्वित करने के लिए उन्हें अपने व्यय का पूरा हिसाब-किताब रखना पड़ता है। कोई भी परिवार घरेलू बजट बनाकर ही व्यय को नियंत्रित कर सकता है।

घरेलू बजट बनाने के निम्नलिखित लाभ हैं

(i) घरेलू हिसाब-किताब प्रतिदिन लिखने से हमें यह ज्ञात रहता है कि हमारे पास कितना पैसा शेष बचा है जो परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अत्यंत आवश्यक है जिससे पारिवारिक लक्ष्य की प्राप्ति हो सके।
(ii) घरेलू हिसाब-किताब रखने से अधिक व्यय पर अंकुश रहता है।
(iii) विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक सामान्य दिशा निर्देश का आभास होता है।
(iv) असीमित आवश्यकताओं और सीमित आय के बीच संतुलन बनाने में मदद मिलती है।
(v) सही ढंग से व्यय करने के फलस्वरूप बचत व निवेश में प्रोत्साहन मिलती है।
(vi) इससे परिवार का भविष्य सुरक्षित रहता है।

परिवार के लिए बजट बनाते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान रखना चाहिए

(i) आय और व्यय के बीच ज्यादा फासला न हो अर्थात् आय की तुलना में व्यय बहुत अधिक नहीं हो।
(ii) बजट से जीवन लक्ष्यों की पूर्ति हो यानी परिवार को उच्च जीवन स्तर की ओर प्रेरित कर सके।
(iii) बजट बनाते समय अनिवार्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखना चाहिए।
(iv) सुरक्षित भविष्य को ध्यान में रखकर बजट बनानी चाहिए ताकि आकस्मिक खर्चों जैसे—बीमारी, दुर्घटना तथा विवाह आदि के लिए धन की आवश्यकता की पूर्ति समय पर हो सके।
(v) व्यय को आय के साथ समायोजित होना चाहिए ताकि ऋण का सहारा न लेना पड़े।
(vi) बजट बनाते समय महँगाई को भी ध्यान में रखना चाहिए।


Q34. पारिवारिक आय के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।

उत्तर ⇒ पारिवारिक आय को मुख्य रूप से तीन भागों में बाँटा जा सकता है

(i) मौद्रिक आय
(ii) वास्तविक आय और
(ii) मानसिक आय

(i) मौद्रिक आय–एक निश्चित समय में परिवार को मुद्रा के रूप में जो आय प्राप्त होती ” है उसे मौद्रिक आय कहते हैं। ग्रौस और कैण्डले के अनुसार “मौद्रिक आय से तात्पर्य उस क्रय
शक्ति से हैं जो मुद्रा के रूप में एक निश्चित समय में एक परिवार को प्राप्त होती है। परिवार में मौद्रिक आय विभिन्न रूपों से प्राप्त की जा सकती है। जैसे—वेतन, मजदूरी, बोनस, पेंशन, ब्याज,
लाभ, उपहार, लगान, किराया, रॉयल्टी आदि।

(i) वास्तविक आय-यह दो प्रकार का होता हैं

(a) प्रत्यक्ष वास्तविक आय — प्रत्यक्ष वास्तविक आय में वे सभी सेवाएँ तथा . सविधाएँ आती हैं जिनका उपयोग प्रत्यक्ष रूप से परिवार द्वारा बिना धन व्यय किए किया जाता है। इनके प्राप्त न होने पर परिवार को अपने मौद्रिक
आय से व्यय करना पड़ता है। उदाहरणस्वरूप—कार्य स्थल पर मुफ्त मकान नौकर की सुविधा, माली की सुविधा, टेलीफोन की सुविधा, गाड़ी की सुविधा आदि।

(b) अप्रत्यक्ष वास्तविक आय — यह आय मुख्य रूप से परिवार के सदस्यों के निपुणता और कौशल के कारण प्राप्त होने वाली आय हैं। जैसे खाना कपड़े सिलना, कपड़ा धोना, आयरन करना, बच्चों को पढ़ाना, घर में
बागवानी कर सब्जियाँ प्राप्त करना, उपकरण की मरम्मत आदि।

(c) मानसिक आय — मौद्रिक आय एवं वास्तविक आय के व्यय से जो संतुष्टि प्राप्त होती हैं वह मानसिक आय हैं। यह पूर्ण रूप से व्यक्तिगत है। यह प्रत्येक व्यक्ति तथा परिवार की अलग-अलग हो सकती है।


इंटर बोर्ड परीक्षा 2022 गृह विज्ञान लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

Q35. पोषक तत्त्व क्या है? इसके क्या कार्य हैं?

उत्तर ⇒ पोषक तत्त्व-तत्त्व, जो हमारे शरीर की आवश्यकताओं के अनुरूप पोषण प्रदान करते हैं अर्थात् अपेक्षित रासायनिक ऊर्जा देते हैं उसे पोषक तत्त्व कहते हैं।
प्रमुख पोषक तत्त्व निम्नलिखित हैं

(i) कार्बोहाइड्रेट-यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।’
(ii) प्रोटीन-यह शरीर की वृद्धि करता है।
(iii) वसा-इससे शरीर को तीन प्रकार के अम्ल प्राप्त होते हैं (i) लिनोलीन, (ii) लिनोलोनिक तथा (iii) अरकिडोनिक। शरीर में घुलनशील विटामिनों के अवशोषण के लिए इसकी उपस्थिति आवश्यक है।
(iv) कैल्शियम यह अस्थि के विकास एवं मजबूती के लिए आवश्यक है। ‘ (v) फॉस्फोरस—यह भी अस्थि के विकास के लिए आवश्यक है।
(vi) लोहा-यह शरीर की रक्त-अल्पता, हिमोग्लोबिन और लाल रक्तकण प्रदान कर दूर करता है। गर्भावस्था एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए अति आवश्यक है।
(vii) विटामिन–यह दो प्रकार के होते हैं—(i) जल में घुलनशील विटामिन, जैसे विटामिन-B, विटामिन C तथा (ii) वसा में घुलनशील विटामिन जैसे विटामिन A, विटामिन—D, विटामिन E, विटामिन K। यह शरीर के लिए अति आवश्यक है।
यह कई रोगों से बचाता है।


Q36. दाग-धब्बों को कितनी श्रेणियों में बाँटा गया है?

उत्तर ⇒ दाग-धब्बों को निम्नलिखित आठ श्रेणियों में बाँटा गया है—

(i) जान्तव धब्बे, उदाहरण अंडे, दूध, मांस, रक्त आदि।
(ii) वानस्पतिक धब्बे, उदाहरण—चाय, कोको, कॉफी, फल, मधु आदि।
(iii) चिकनाईयुक्त धब्बे, उदाहरण मक्खन, तेल, घी, पेंट, वार्निश, सब्जियाँ आदि।
(iv) खनिज धब्बे, उदाहरण—जंग, स्याही, दवाएँ आदि।
(v) रंगीन धब्बे, उदाहरण-रंग के धब्बे (आम्लिक एवं क्षारीय दोनों)।
(vi) पसीने के धब्बे, उदाहरण पसीने के धब्बे मात्र।
(vii) झुलसने के धब्बे, उदाहरण—गर्म इस्तिरी या गर्म धातु के छूने से प्राप्त धब्बे।।
(viii) घास के धब्बे, उदाहरण घास के धब्बे (क्लोरोफिलयुक्त)।


Q37. गृह सज्जा से आप क्या समझते हैं? गृह सज्जा करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर ⇒ घर को सजाने एवं सँवारने की कला को गृह सज्जा कहते हैं। सजाने की वस्तुओं का चयन एवं सजाने की विधि घर में रहने वाले की अभिरुचि एवं व्यक्तित्व को प्रदर्शित करती है। गृह सज्जा सुविधा एवं सौदर्य पर आधारित होती है। गृह सज्जा घर को सुन्दर, मनोहारी,
आकर्षक मनभावना नैसर्गिक अलौकिक एवं सुविधापूर्ण बनने वाली सभी कलाओं तथा वैज्ञानिक तथ्यों एवं सिद्धांतों का सम्मिश्रण है। गृह सज्जा करते समय निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए

(i) घर में अवश्यकतानुसार सामान रखना चाहिए।
(ii) कमरे के आकार के अनुरुप फर्नीचर का चुनाव करना चाहिए।
(iii) सजावटी वस्तुओं या फर्नीचर को रखते समय एकता एवं अनुरुपता का ध्यान रखना चाहिए।
(iv) कमरे की सजावट करते समय कला के तत्त्वों जैसे रेखा, बनावट, अकार, रंग, आकृति आदि को ध्यान में रखना चाहिए।
(v) आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रखना चाहिए।
(vi) समय-समय पर सजावट की व्यवस्था में परिवर्तन करते रहना चाहिए।
(vii) खुली या काँच वाली आलमारी में सजावट की वस्तुओं को इस प्रकार रखना चाहिए ताकि देखने में आकर्षक लगे।
(viii) हल्के रंग से पुते कमरे में चमकीले रंग की सजावटी वस्तुएँ अधिक अच्छी लगती है।


Q38. कपड़ों की गुणवत्ता किन-किन कारकों पर निर्भर करती है?

उत्तर ⇒ कपड़ों की गुणवत्ता निम्न कारको पर निर्भर करती है

(1) बुनाई सधन बुनाई के कपड़े अच्छे होते हैं।
(2) सिलाई-सिलाई पक्की, साफ व धागे का रंग कपड़े के रंग से मिलता जुलता होना चाहिए। जोड़ में काफी दबाव होना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर कपड़ा छोटा-बड़ा किया जा सके। किनारों पर इंटरलॉक किया होना चाहिए ताकि धागा न निकले।
(3) बनावट—जिस वस्त्र की बनावट एवं परिसज्जा अच्छी होती है वह वस्त्र अच्छा माना जाता है।
(4) प्रकार — बाजार में विभिन्न प्रकार के वस्त्र मिलते हैं। अपनी आवश्यकता, अवसर एवं मौसम को ध्यान में रखकर ही ले।
(5) मजबूती कपड़े वही अच्छे माने जाते है जो मजबूत तथा अधिक दिनों तक चलता है।
(6) स्वरूप वस्त्र जो मजबूती के साथ देखने में अच्छा लगे तथा उसका आकार अच्छा हो उस पर सिलवटे न पड़े।
(7) उचित रंग वस्त्रों का रंग पक्का होना चाहिए। वस्त्र का रंग व्यक्ति के देहाकृति के अनुरूप होना चाहिए। कच्चे रंग के वस्त्र दूसरे वस्त्र पर लगकर वस्त्र की रूप रेखा बिगाड़ देते हैं।
(8) डिजाईन वस्त्र विभिन्न प्रकार के डिजाईन के बनते है। कौन-सा डिजाईन किस व्यक्ति पर अच्छा लगेगा इसको ध्यान में रखकर तैयार करना चाहिए। डिजाईन को आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न रंग के कपड़ों का प्रयोग किया जाता है।
(9) चिकना वस्त्र की चिकनाई अच्छी होती वह वस्त्र पहनते वाले के लिए अरामदायक होता है। रूखड़ी सतह का वस्त्र शरीर को अराम नहीं देता है।


Q39. वस्त्र क्यों आवश्यक है? वस्त्र खरीदते समय किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?

उत्तर ⇒ वस्त्र मानव के लिए निम्न कारणों से आवश्यक है
(i) शरीर की सुरक्षा — वस्त्र हमारे शरीर की सुरक्षा प्रदान करता है। वस्त्र हमें सर्दी, गर्मी तथा वर्षा से बचाते हैं।
(ii) व्यक्ति की पहचान — वस्त्र से ही व्यक्ति की पहचान बनती है। उदाहरण के लिए वर्दियों के आधार पर ही हम पहचानते है कि यह फौज का व्यक्ति है या पुलिस का या होटल का या वकील, डॉक्टर इत्यादि।
(iii) व्यक्तित्व निर्माण में — व्यक्ति को सुन्दर एवं आकर्षक बनाने में वस्त्र का महत्वपर्ण स्थान हैं। सुन्दर परिधान शारीरिक एवं मानसिक विकास में सहायक होकर सामाजिक जीवन को सुन्दर एवं सुखमय बनाते हैं। व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास जगता है।
(iv) शारीरिक सौन्दर्य एवं आकर्षण बढ़ाने में आज हरेक व्यक्ति सुन्दर दिखना चाहता हैं। सभी व्यक्ति की शरीर की आकृति एक समान नहीं होती। कोई नाटा, लम्बा, कंधा चौड़ा आदि होती है। उचित परिधान के प्रयोग से बेढंग अंगों को छिपाया जाता है। यह काम परिधान ही करता है।
(v) सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए—आजकल वस्त्रों से हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा का मूल्यांकन होता है।
(vi) मनोवैज्ञानिक सुरक्षा — सही परिधान हमें आत्मबल तथा आत्मविश्वास जागृत करता है। दूसरे के सामने आने में हीन भावना नहीं जागृत होती है। अच्छे एवं सुन्दर वस्त्रों को धारण करने से मन प्रसन्न एवं आनंदित रहता है।

वस्त्र खरीदते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए –

(i) टिकाऊपन—वही वस्त्र अच्छा माना जाता है जो मजबूत तथा अधिक दिनों तक चलता है। अतः कपड़े खरीदते समय टिकाऊपन पर ध्यान देना चाहिए।

(ii) पसीना सोखने की क्षमता—जो कपड़ा पसीना आसानी से सोख लेता है वह अच्छे किस्म का माना जाता है। पसीना नहीं सोखने वाला वस्त्र मनुष्य को बेचैनी बढ़ा देता है। मिश्रित तंतुओं से बने वस्त्र आसानी से पसीना सोख लेते हैं। इसलिए खरीदते समय इसका
ध्यान रखना चाहिए।

(iii) सिलवट अवरोधक — कपड़ा खरीदते समय तन्तुओं को कुछ समय के लिए पकड़ कर रखें उसके बाद देखें कि उसमें सिलवटे तो नहीं पड़ रही है। जिन वस्त्रों पर शीघ्रता से सिलवटे पड़ जाती है उसे अतिरिक्त देखभाल की जरूरत पड़ती है।

(iv) धोने में सुविधा — कपड़े खरीदते समय यह ध्यान देना चाहिए कि वस्त्र धोने में सुविधाजनक हो। जिन कपड़ों को धोना कठिन होता उन पर ड्राईक्लीन कराने में अधिक व्यय करना पड़ता है।

(v) रंग का पक्कापन — कपड़े का रंग पक्का होना चाहिए। घटिया किस्म के कपड़ों का रंग पक्का नहीं होता वे एक दो बार धोने के बाद पहनने योग्य नहीं रहते। जबकि पक्के रंग का कपड़ों का आकर्षण अधिक समय तक बना रहता है।

(vi) प्रायोजन — वस्त्र का चुनाव प्रायोजन के अनुसार करना चाहिए। जैसे-सूती वस्त्र, परिधान के काम आते हैं। इसका उपयोग घरेल उपयोग में जैसे-तौलिया, झाड़न, मेजपोश, चादर, बेडशीट आदि के लिए किया जाता है।

(vii) मौसम — मौसम के अनुकूल वस्त्रों को चुनने, खरीदने एवं पहनने की समझ सबका हाना चाहिए। गर्मी के मौसम के लिए हल्के रंग के सूती वस्त्र अच्छे रहते हैं क्योंकि इनमें ताप के सवार की क्षमता होती है। वर्षा ऋतु में जल अभेद्य. सर्दी के दिनों में गहरे रंग के ऊनी वस्त्रा का प्रमा करना चाहिए।

(viii) फैशन — फैशन समय-समय पर परिवर्तित होते रहते हैं। कौन-सा फैशन किस तरह क व्यक्तित्व पर फबेगा किस पर नहीं फबेगा खरीदारी करते समय इसका ध्यान रखना चाहिए।

(ix) मूल्य — वस्त्र विभिन्न मूल्य के बाजार में उपलब्ध है। आवश्यक हैं सही मूल्य में सहा वस्त्र खरीदे जाए। अच्छी चीज प्राप्त करने के लिए यदि थोड़े अधिक मूल्य चुकाने पड़े तो भी चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए।

(x) वस्त्रों की देखरेख एवं संचयन — वस्त्र की खरीदारी करते समय यह ध्यान देना चाहिए कि कौन से वस्त्र फफूंदी के प्रति ज्यादा संवेदनशील हैं, कौन से वस्त्र को कीड़े खा सकते हैं, वस्त्र कितने समय के लिए बंद करके रखा जा सकता है, कीड़ों से बचाव कैसे करें आदि।


बिहार बोर्ड कक्षा 12 गृह विज्ञान दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर 2022

Q40. सिले-सिलाये (रेडीमेड) वस्त्र खरीदते समय किन-किन बातों पर ध्यान रखना चाहिए ?

उत्तर ⇒ सिले-सिलाये वस्त्र खरीदने से कई लाभ होते हैं। सिले-सिलाये वस्त्र खरीदने से वस्त्र कम समय में उपलब्ध हो जाते हैं। आजकल अधिकांश लोग रेडीमेड वस्त्र ही खरीदना पसंद करते हैं। रेडीमेड वस्त्र खरीदते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए

(i) सीवन रेडीमेड वस्त्र खरीदते समय उलट-पुलट कर देख लें कि कपड़े का जोड़ सफाई से लगा हो, सिलाई मजबूत हो, कपड़े का दबाव ऐसा हो जिसे जरूरत पड़ने ‘ पर बढ़ाया जा सके, किनारों पर पिको हो। ..
(ii) तुरपन रेडीमेड वस्त्र पर तुरपन इकहरे धागे से एवं पास-पास हो, तुरपन उसी रंग के धागे से हो जिस रंग का वस्त्र है।
(iii) प्लैकेट या बटन की पट्टी वस्त्रों पर बटन पट्टी के अनुरूप लगायी गयी हो। पट्टी लगाते समय वस्त्रों पर झोल न पड़े। बटन या हुक पास-पास लगे हो।
(iv) बटन, हुक, काज बटन पट्टी पर लगे बटन, कपड़े के रंग से मेल खाते हुए हो। काज पूर्ण रूप से सही तरह से भरा होना चाहिए।
(v) आकर्षक रेडीमेड वस्त्रों को आकर्षक बनाने के लिए उन पर मोती, सितारे, कढ़ाई, टाइपिन, फ्रिल, लेस आदि लगाये जाते हैं। यह देखने में आकर्षक हो। यह पहनने वाले व्यक्ति पर अच्छा लगेगा या नहीं।


Q41. वस्त्रों की देखरेख और उसका संचयन आप किस प्रकार करेंगी?

उत्तर ⇒ वस्त्रों की देखरेख और उसका संचयन निम्नलिखित विधि से करना चाहिए

(i) ब्रश करना और धूप-हवा दिखाना—मोटे सूती या ऊनी वस्त्रों को उतारकर टाँगने के पूर्व मुलायम ब्रश से झाड़कर, पसीना लगे वस्त्र को धूप हवा लगाने के बाद संचयन करना चाहिए।
(ii) स्वच्छ संरक्षण सभी वस्त्रों को अल्प या अधिक समय के लिए सहेज कर रखना पड़ता है। अलमारी के भीतर फिनाइल की गोली, नीम की सुखी पत्तियाँ, कीटनाशक पदार्थ अवश्य डाल देना चाहिए। इसके अतिरिक्त अलमारी की सफाई एवं पॉलिश समय-समय पर करना चाहिए।
(iii) तत्क्षण मरम्मत — प्रयोग के दरम्यान प्रायः वस्त्रों की सिलाई उघड़ जाती है या खोंच लगकर फट जाती है। इसे. तुरत मरम्मत कर लेना चाहिए।
(iv) दाग छुड़ाना एवं धुलाई की उचित विधि-वस्त्रों पर खाने-पीने या अन्य वस्तओं के दाग लग जाते हैं। इन्हें छुड़ाने के लिए कई प्रकार की विधियाँ अपनाई जाती है। जो विधि एवं अपमार्जक जिस वस्त्र के लिए उपयुक्त हो उसका प्रयोग करें।
(v) विधिपूर्वक सुखाना — आजकल बाजार में ऑटोमेटिक ड्रायर उपलब्ध है। किन्तु, सभी वस्त्रों को ड्रायर में सुखाना उचित नहीं है। अतः कपड़े को धूप-छाँव आदि में विधिपूर्वक ही सुखाना चाहिए।
(vi) विधिपूर्वक इस्तिरी करना — वस्त्रों पर उचित विधि से इस्तिरी करना आवश्यक है। रासायनिक रेशों पर अधिक गर्म इस्तिरी के प्रयोग से वे जल जाते हैं। अत: उन पर हल्की गर्म इस्तिरी का प्रयोग करना चाहिए।

inter Board Exam 2022 Question Answer

 1. Hindi 100 Marks ( हिंदी )
 2. English 100 Marks ( अंग्रेज़ी )
 3. PHYSICS ( भौतिक विज्ञान )
 4. CHEMISTRY ( रसायन विज्ञान )
 5. BIOLOGY ( जीवविज्ञान )
 6. MATHEMATICS ( गणित )
 7. GEOGRAPHY ( भूगोल )
 8. HISTORY ( इतिहास )
 9. ECONOMICS ( अर्थशास्त्र )
 10. HOME SCIENCE ( गृह विज्ञान )
 11. SANSKRIT ( संस्कृत )
 12. SOCIOLOGY ( समाज शास्‍त्र )
 13. POLITICAL SCIENCE ( राजनीति विज्ञान )
 14. PHILOSOPHY ( दर्शन शास्‍त्र )
15. PSYCHOLOGY ( मनोविज्ञान )