Bihar Board Class 12 Psychology ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) Long Answer Type Question Answers 2024 ( 15 Marks ) | PART – 1

Psychology Class 12th ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )  :- दोस्तों आज के इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 12 मनोविज्ञान का महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर दिया गया है। दोस्तों यह प्रश्न उत्तर आपके इंटर बोर्ड परीक्षा में ( 15 Marks ) के पूछे जाते हैं। तथा जितने भी क्वेश्चन दिए गए हैं कक्षा 12वीं मनोविज्ञान लंबे प्रश्न उत्तर पीडीएफ डाउनलोड सभी पिछले साल पूछे जा चुके हैं ,तो दोस्तों यह सभी प्रश्न उत्तर आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसलिए शुरू से अंत तक दिए गए प्रश्न उत्तर को जरूर पढ़ें।


Psychology ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) PART – 1

Q1.बुद्धि तथा सर्जनात्या सर्जनात्मकता क्या है? यह बुद्धि से कैसे भिन्न है?

उत्तर ⇔ सर्जनात्मकता का अर्थ है किसी नवीन चीज की खोज करना अथवा किसी समस्या का समाधान नये ढंग से करना। दूसरी ओर बुद्धि का अर्थ है वह समग्र योग्यता जो व्यक्ति को पर्ण चिंतन, उद्देश्यपूर्ण कार्य तथा प्रभावपूर्ण समायोजन में मदद करती है। इस तरह ये दोनों  योग्यताएं एक-दूसरे से भिन्न है। निम्नलिखित भिन्नताएँ देखी जा सकती है

(i) बद्धि एक समग्र मानसिक योग्यता है जबकि सर्जनात्मकता एक विशिष्ट मानसिक योग्यता है।
(ii) बुद्धि की तुलना में सर्जनात्मकता का क्षेत्र सीमित होता है। इसीलिए बुद्धि को सामान्य योग्यता कहते हैं और सर्जनात्मकता को विशिष्ट मानसिक योग्यता कहते हैं।
(iii) बुद्धि का संबंध रचनात्मक तथा गैर-रचनात्मक दोनों तरह के कार्यों से होता है। इसके विपरीत सर्जनात्मकता का संबंध सदा रचनात्मक कार्य से होता है।
(iv) बुद्धि व्यक्ति की सभी तरह की समस्याओं के समाधान में सहायक होती है, जबकि सर्जनात्मकता केवल रचनात्मक कार्य से संबद्ध होती है।
(v) बुद्धि के कई प्रकार होते हैं जिनमें सामाजिक बुद्धि, संवेगात्मक बुद्धि, अमूर्त बुद्धि आदि मुख्य हैं। लेकिन सर्जनात्मकता केवल एक ही प्रकार का होती है।
(vi) बुद्धि सभी तरह के कार्यों या समस्याओं के समाधान में मदद करती है जबकि सर्जनात्मकता केवल रचनात्मक कार्य में ही सहायक होती है। इन भिन्नताओं के बावजूद बुद्धि तथा सर्जनात्मकता के बीच सकारात्मक सहसंबंध (Positive co-relation)
होता है। कारण यह है कि सर्जनात्मकता तथा बुद्धि दोनों संज्ञानात्मक योग्यताएँ (cognitive abilities) हैं।


Q2. संवेगात्मक बुद्धि क्या है? इसके प्रमुख संघटकों या तत्त्वों का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ संवेगात्मक बुद्धि व्यक्ति की वह योग्यता है जिसके द्वारा वह अपने तथा दूसरों के भाव, विचार तथा संवेगों को पहचानता और उन्हें नियंत्रित तथा दिशानिर्देशित करता है। गोलमैन (Golman) के अनुसार सांवेगिक बुद्धि के निम्नलिखित संघटक या तत्त्व हैं
(i) अपने संवेगों से अवगत होना–सांवेगगिक बुद्धि का एक मुख्य संघटक यह है कि व्यक्ति अपने भीतर उत्पन्न संवेगों की पहचान कर उसके अनुरूप व्यवहार करता है।
(ii) अपने संवेगों का प्रबंधन-संवेगात्मक प्रबंध संवेगात्मक बुद्धि का दूसरा मुख्य सपटक है। इसका अर्थ है अपने संवेगों के स्वरूप, तीव्रता तथा अभिव्यक्ति को समन्वित करना। 
(iii) अपने आप को प्रारत करना-संवेगात्मक बुद्धि की इस घटक का पहचान यह है कि व्यक्ति कठिन कार्य के लिए अपने आप को प्रेरित करता हो, लंबे समय तक कार्य करता हो तथा अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आशावादी तथा उत्साहपूर्ण हो।
(iv) दसरों के संवेगों को पहचानना तथा प्रभावित करना.— इस घटक में जो व्यनि ‘संवेगात्मक रूप से बुद्धिमान होता है, वह दूसरे लोगों के संवेगों को पहचानता है और समझता है कि वे वर्तमान परिस्थिति में किस तरह के संवेग का अनुभव कर रहे हैं।
(v) संबंध निभाना-संवेगात्मक बुद्धि का एक घटक संबंधों को निभाना है। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो दूसरों के साथ उत्तम एवं संतोषजनक संबंध बनाये रखने में सक्षम . होते हैं। ऐसे लोगों में संवेगात्मक बुद्धि अधिक होती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि सांवेगिक बुद्धि के कई घटक
या तत्त्व हैं। इन घटकों की प्रबलता होने से व्यक्ति में सांवेगिक बुद्धि अधिक होती है।


Q3. क्रियात्मक अथवा अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण के गुणों तथा सीमाओं का वर्णन करें)

उत्तर ⇔ क्रियात्मक परीक्षण में प्रयोज्य को भाषा का उपयोग नहीं करना पड़ता है, न कुछ लिखने की आवश्यकता होती है और न पढ़ने की। गुण (Merits) क्रियात्मक परीक्षण के निम्नलिखित गुण या उपयोगिताएँ (uses) हैं :

(i) क्रियात्मक परीक्षण के प्रश्न किसी भाषा में दिये हुए नहीं होते हैं। यहाँ प्रयोज्य को – कुछ गति-क्रिया (motor activity) करना पड़ता है। इस परीक्षण द्वारा पढ़े-लिखे व्यक्तियों के साथ-साथ अनपढ़ व्यक्तियों की बुद्धि भी मापी जाती है।
(ii) यह बुद्धि-परीक्षण संस्कृतिमुक्त (culture free) है।
(iii) क्रियात्मक परीक्षण से किसी व्यक्ति की मूर्तबुद्धि (concrete intelligence) की जानकारी अधिक सम्भव होती है।
(iv) वैयक्तिक क्रियात्मक परीक्षण में वैयक्तिक परीक्षण के गुण तथा सामूहिक क्रियात्मक परीक्षण में सामूहिक परीक्षण के गुण पाये जाते हैं।

सीमाएँ (Limitations) क्रियात्मक परीक्षण के कई गुणों एवं लाभों की चर्चा ऊपर की गयी है। फिर भी, इस परीक्षण में कुछ दोष या सीमाएँ हैं जो निम्नलिखित हैं :

(i) इस परीक्षण से अमूर्त बुद्धि (abstract intelligence) का समुचित मापन नहीं हो पाता है।
(ii) क्रियात्मक परीक्षण के वैयक्तिक परीक्षणों में समय अधिक लगता है तथा अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
(iii) क्रियात्मक परीक्षण के सामूहिक प्रकार में दोष यह है कि इसके द्वारा बुद्धि का सही परीक्षण नहीं हो पाता है।


Q4. शाब्दिक बुद्धि परीक्षण के गुण-दोषों का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ शाब्दिक बुद्धि-परीक्षण उसे कहते हैं, जिसमें भाषा का उपयोग करना पड़ता है, इसमें अनेक प्रश्न होते हैं जो किसी भाषा में लिखे होते हैं। प्रयोज्य द्वारा दिये गये या चुने गये उत्तरों के आधार पर उनकी बुद्धि की जाँच की जाती है। (Merits) शाब्दिक बुद्धि-परीक्षण के निम्नलिखित गुण हैं

(i) इससे अमूर्त बुद्धि (abstract intelligence) का मापन अधिक होता है।
(ii) शाब्दिक वैयक्तिक परीक्षण द्वारा किसी व्यक्ति की बद्धि सही तौर पर मापना संभव होता है।
(iii) शाब्दिक सामूहिक परीक्षण द्वारा बहुत से व्यक्तियों की बद्धि थोडे समय में एक ही साथ मापना सम्भव होता है।

दोष (Demerits)—शाब्दिक बुद्धि परीक्षण में निम्नलिखित दोष हैं

(i) दस परीक्षण से अनपढ़ बच्चों या व्यक्तियों की बद्धि मापना संभव नहीं होता है।
(ii) ऐसा परीक्षण किसी एक ही संस्कृति तक सीमित होता है।
(iii) इसमें श्रम एवं समय अधिक लगता है।


Q5. बुद्धि मापने के किसी दो भारतीय बुद्धि परीक्षणों का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ बुद्धि मापने के निम्नलिखित भारतीय परीक्षण हैं

(i) सामान्य बुद्धि परीक्षण इस बुद्धि परीक्षण का निर्माण एस० एम० मोहसिन (S.M. Mohsin) ने 1954 में किया। वास्तव में यह एक सामूहिक शाब्दिक परीक्षण है, जिसके 6 उप-परीक्षण (Sub-tests) हैं। इनमें क्रमश: 20, 30, 40, 22, 26 तथा 18
समस्याएँ हैं। निर्धारित समय क्रमशः 5, 5, 8,5,7 तथा 10 मिनट हैं। प्रत्येक सही उत्तर के लिए अंक दिया जाता है। कुल प्राप्तांक (obtained scores) के आधार पर बुद्धि निर्धारित की जाती है। , वर्ग (class) या आयु (age) के आधार पर मानक अंक
(standard score) निकाला जाता है। यह परीक्षण 15 वर्ष तक के बच्चों के लिए है। अतः अधिकतम मानक अंक 103 है। इस प्रकार, प्राप्तांक तथा मानक अंक के आधार पर प्रभा-निर्देशिका (Index of Brightness, I.B.) निकाला जाता है
जिसका सूत्र इस प्रकार है-I.B. = Obt. Score-Standard Score + 100

(ii) जोशी सामान्य बुद्धि परीक्षण मोहन चन्द्र जोशी ने 1956 में एक शाब्दिक बुद्धि परीक्षण का निर्माण किया। इस परीक्षण को जोशी सामान्य बुद्धि परीक्षण कहते हैं। इसका उपयोग सामूहिक तथा वैयक्तिक परीक्षण दोनों रूपों में किया जाता है। इसमें 100 एकांश हैं। प्रत्येक सही उत्तर के लिए एक अंक (score) दिया जाता है। इसलिए अधिकतम अंक 100 होता है और न्यूनतम अंक शून्य होता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि भारतीय परिवेश में कई तरह के बुद्धि परीक्षण विकसित हुए हैं। अत: बुद्धि मापने के लिए उपयुक्त दो परीक्षण मुख्य रूप से प्रसिद्ध हैं।


Q6. सामूहिक बुद्धि परीक्षण के गुण-दोषों का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ सामूहिक बुद्धि परीक्षण का तात्पर्य ऐसे परीक्षण से है जिसके द्वारा एक समय में एक से अधिक व्यक्तियों की बद्धि मापी जा सकती है। कई प्रयोज्यों (testees) पर एक ही साथ एक ही स्थान पर सामूहिक रूप से परीक्षण का उपयोग करके उनकी बुद्धि को माप लिया जाता है।

सामूहिक बुद्धि परीक्षण के गुण (Merits of group intelligence test)—सामूहिक ध-परीक्षण के कुछ विशेष गण हैं, जिनका अभाव वैयक्तिक परीक्षण में है। पहला, सामहिक अध परीक्षण से समय तथा श्रम की बड़ी बचत होती है। एक ही साथ बहुत सारे प्रयोज्यों (testees) ‘का मापन सम्भव होता है। दूसरा, सामूहिक बुद्धि-परीक्षण (जैसे मोहसिन बुद्धि-परीक्षण सकता है। परन्तु का व्यवहार वैयक्तिक परीक्षण (individual test) के रूप में भी किया जा सकता है। वैयक्तिक परीक्षण का उपयोग सामूहिक परीक्षण के रूप में नहीं किया जा सकता है। नी व्यावसायिक चयन (vocational selection), शैक्षिक-निर्देशन (educational guidance परिस्थितियों में बुद्धि मापने के लिए सामूहिक-परीक्षण काफी उपयोगी है।

सीमाएँ (Limitations)

सामूहिक बुद्धि परीक्षण में उपर्युक्त गुणों के बावजूद इसकी उपयोगिताएँ सीमित हैं। पहल इस प्रकार के परीक्षण द्वारा व्यक्ति की बुद्धि की सही जाँच नहीं हो पाती है। कारण, परीक्षा (tester) के लिए यह सम्भव नहीं होता है कि वह प्रत्येक प्रयोज्य पर व्यक्तिगत ध्यान दे सके दूसरा, कभी-कभी प्रयोज्य परीक्षक के निर्देश को ठीक से नहीं समझ पाता है। तीसरा, छोटे बच्चों की बुद्धि को इस परीक्षण से मापना और भी कठिन है।


Q7. बुद्धि की परिभाषा दें तथा बुद्धि में वैयक्तिक भिन्नताओं की भूमिका को विवेचना करें

उत्तर ⇔ बुद्धि की सबसे अधिक संतोषजनक परिभाषा वेश्लर (Weschler) ने दी है। उनके अनुसार “बुद्धि एक समग्र योग्यता है जो तर्कपूर्ण चिंतन, उद्देश्यपूर्ण कार्य तथा प्रभावपूर्ण समायोजन में सहायक होती है।” बुद्धि के संबंध में वैयक्तिक भिन्नता पायी जाती है। सभी व्यक्तियों की बुद्धि की मात्रा अलग-अलग होती है। 90 से 110 बु०ल० (I.Q.) वाले व्यक्ति को सामान्य बुद्धि का कहा जाता है। 90 से कम I.Q. वाले व्यक्ति को मंद बुद्धि का माना जाता है, 110 I.Q. से अधिक बुद्धि वाले को तीव्र बुद्धि का माना जाता है। इसी प्रकार 140 या अधिक बुद्धि वाले को जीनियस (genius) कहा जाता है। इसी तरह 70 I.Q. अथवा इससे कम I.Q. वाले को मानसिक दुर्बल (deficient) कहा जाता है। बुद्धि में वैयक्तिक भिन्नता का मुख्य आधार वंशपरंपरा (heredity) है। जिन बच्चों के
माता-पिता या पूर्वज तीव्र बुद्धि के होते हैं, उन बच्चों की बुद्धि तीव्र होती है। इसी प्रकार मंद बुद्धि के माता-पिता या पूर्वज के बच्चे मंद बुद्धि के होते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि बुद्धि में वैयक्तिक भिन्नताएँ भी स्पष्ट रूप से देखी जाती है।


Q8. बुद्धि में आनुवंशिकता बनाम पर्यावरण का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ बुद्धि के संदर्भ में एक समस्या यह है कि बौद्धिक योग्यता के विकास पर आनुवंशिकता तथा पर्यावरणीय कारक का प्रभाव किस रूप में पड़ता है। जहाँ तक बुद्धि तथा आनुवंशिकता का प्रश्न है तो मनोवैज्ञानिकों ने प्रमाणित करने का प्रयास किया है कि बुद्धि का आधार जीन (genes) है। इसी जीन के माध्यम से माता-पिता से बौद्धिक योग्यता बच्चों तक पहुँचती है। बच्चे की उम्र या परिपक्वता (Maturity) में बुद्धि के साथ-साथ यह योग्यता भी विकसित होती जाती है। बुद्धि में आनुवंशिकता के महत्त्व की पुष्टि अनेक मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से होती है। इनमें पारिवारिक समरूपता से संबंधी अध्ययन महत्त्वपूर्ण है। कौनरेड तथा जोन्स ने माता-पिता तथा उनके बच्चों की बुद्धि-लब्धि में 49 का सह-संबंध पाया। न्यूमैन आदि (Newman etal.)ने अपने अध्ययन में समान जुड़वाँ बच्चों की बुद्धि-लब्धि के बीच 88 तथा असमान जुड़वाँ बच्चों की बुद्धि-लब्धि के बीच .63 का सहसंबंध पाया। आनुवंशिकता से स्पष्ट है कि बुद्धि तथा आनुवंशिकता के बीच एक बड़ी हद तक संबंध है। परंतु बुद्धि पर शिकता के साथ-साथ वातावरण का भी प्रभाव पड़ता है. जो व्यक्ति के संज्ञानात्मक विकास उसके गर्भाधान के दिन से ही प्रभावित करता है। मनोवैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में जिन व कारकों का प्रभाव बुद्धि पर अधिक पड़ते देखा है. उनमें प्रधान है. उत्तेजनाओं का स्तर level of stimulation), घर का सावागक वातावरण आहार स्वास्थ्य आदि। कछ अध्ययनों में वैसे बच्चे जिन्हें गरीबी एवं अनाभिप्रेरणात्मक मरणात्मक (Unstimulating) वातावरण में पाले-पोसे गये थे, की तलना वैसे बच्चों से की गई जो प्रेरणात्मक एवं धनी वातावरण में रखकर पाले-पोसे गये थे। परिणाम में पाया गया कि धनी एवं प्रेरणात्मक वातावरण के बच्चे में बुद्धि-लब्धि तुलनात्मक रूप से अधिक थी। वेलमैन (Wellman, 1980) ने भी अपने अध्ययन में पाया कि नर्सरी स्कूल के समद्ध वातावरण के कारण बच्चों की बुद्धि-लब्धि में .66 की वृद्धि हुई। निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि बुद्धि आनुवंशिकता तथा पर्यावरण दोनों की अन्त:क्रिया का प्रतिफल है।


Q9. बुद्धि के किसी एक सिद्धांत का मूल्यांकन करें। अथवा, स्पीयरमैन के बुद्धि के द्विकारक सिद्धांत की विवेचना करें।

उत्तर ⇔ स्पीयरमैन (Spearman) ने 1927 में बुद्धि के द्विकारक सिद्धांत को प्रतिपादित किया। उनके अनुसार बुद्धि दो कारकों पर आधारित होती है। इन्हें सामान्य कारक (G-factor) तथा विशिष्ट कारक (S-factor) कहा जाता है। सामान्य कारक का
आधार अधिक बड़ा होता है। लगभग 95% बुद्धि सामान्य कारक पर आधारित होती है। बुद्धि का यह भाग एक व्यक्ति के सभी कार्यों या समस्याओं के समाधान में समान रूप से सहायक होता है। दूसरा कारक विशिष्ट कारक होता है। इसकी मात्रा केवल 5% होती है। स्पीयरमैन के अनुसार प्रत्येक मानसिक कार्य करने में कुछ विशिष्ट क्षमताओं की भी जरूरत पड़ती है क्योंकि प्रत्येक मानसिक कार्य एक-दूसरे से कुछ-न-कुछ भिन्न होता है। जैसे—अभियंता, डॉक्टर, वैज्ञानिक आदि सामान्य कारक के साथ ही साथ उनमें कुछ विशिष्ट कारक होती है जिसके कारण वे अपने क्षेत्र में विशिष्ट होते हैं। इस प्रकार बुद्धि में व्यक्ति का G-कारक तथा S-कारक दोनों ही सम्मिलित होते हैं।

गुण (Merits)

(i) इस सिद्धांत का शोध-मूल्य अधिक है। इससे प्रभावित होकर बुद्धि के कई अन्य सिद्धांत विकसित हुए हैं।
(ii) एक व्यक्ति के व्यवहारों में समानता की व्याख्या सामान्य कारक के आलोक में करना सहज रूप से संभव है।
(iii) विशिष्ट कारक के आलोक में व्यक्ति के व्यवहारों की व्याख्या संभव होती है।
(iv) यह सिद्धांत वैयक्तिक विभिन्नताओं की व्याख्या करने में सफल है।

अवगुण (Demerits)

(i) थॉर्नडाइक ने आलोचना करते हुए कहा है कि बुद्धि के दो तत्त्व नहीं बल्कि अनेक तत्त्व होते हैं।
(i) पीयर्सन (Pearson) ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि यह सिद्धांत मात्र कुछ – ही प्रयोगों पर आधारित है। इस प्रकार स्पीयरमैन के सिद्धांत में कुछ अवगुणों के बावजूद बुद्धि के स्वरूप तथा संचा की व्याख्या करने में यह सिद्धांत एक बड़ी हद तक सक्षम है।


Q10. बुद्धि के पास मॉडल या सिद्धान्त का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ बुद्धि के पास मॉडल का विकास जे०पी० दास, जैक नागलीयरी तथा किर्वी का 1994 में किया गया। बुद्धि का यह सिद्धान्त लूरिया द्वारा मस्तिष्क की संरचनाओं का किया ग विश्लेषण पर आधारित है। बुद्धि का यह मॉडल योजना (Planning P), अवधान-उत्तेजन (Attention-arousal OrA) समकालिक संज्ञानात्मक प्रक्रिया (Simultaneous Cognitive Processina Or S) एवं आनुक्रमिक संज्ञानात्मक प्रक्रिया (Successive cognitive Processing or S) जैसे चार कार्यों का प्रतीक है। इन चारों के प्रथम अक्षरों को मिलाकर पास मॉडल (PASS Model) का नामकरण किया गया है। ये चार तत्व इस प्रकार है-

(A), अवधान-उत्तेजन-उत्तेजन की अवस्था ऐसी अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति उद्दीपकों पर ध्यान देता है। इसके परिणामस्वरूप वह सूचनाओं को संसाधित करने में सफल हो पाता है।
(B) समकालिक प्रक्रमण-समकालिक संसाधन उस समय होता है जब विभिन्न संप्रत्ययों के बीच व्यक्ति संबंध का प्रत्यक्षण करता है तथा उसे बोध के ख्याल से अर्थपूर्ण पैटर्न में समन्वित करता है। इस तरह से समकालिक संसाधन दिए गए अमूर्त आकृतियों के बीच संबंध को समझने में मदद करता है।
(C) अनुक्रमिक प्रक्रमण आनुक्रमिक प्रक्रमण में व्यक्ति मूलतः उद्दीपकों को एक विशिष्ट क्रमिक व्यवस्था में सुसज्जित करता है जहाँ प्रत्येक तत्व दूसरे तत्व से संबंधित होते हैं। इसकी आवश्यकता अंकों तथा अक्षरों को सीखने में काफी होता है।
(D) योजना जब व्यक्ति किसी उद्दीपक पर ध्यान देता है तथा उसे संसाधित करता है, तो योजना जैसे कार्य की शुरूआत होती है और लक्ष्य पर पहुँचने के लिए क्रियान्वयन करता है तथा उसकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन करता है। इस प्रकार स्पष्ट होता है कि बुद्धि के पास मॉडल द्वारा बुद्धि की व्याख्या विभिन्न संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं के संसाधन के माध्यम से उचित ढंग से होता है।


Q11. प्रतिभाशाली बालकों की विशेषताओं का वर्णन करें।

उत्तर ⇔ प्रतिभाशाली बालक उसे कहा जाता है जिसमें उच्च क्षमता, उच्च वचनबद्धता तथा उच्च सर्जनात्मकता का एक अच्छा समन्वय हो। प्रतिभाशाली बालकों की निम्नलिखित विशेषतायें होती हैं

(i) ऐसे बालक अपने विचारों एवं भावों की अभिव्यक्ति उत्तम ढंग से करते हैं।
(ii) ऐसे बालकों में सामान्यीकरण तथा विभेदन करने की क्षमता पर्याप्त होती है।
(iii) ऐसे बालकों में मौलिक एवं सर्जनात्मक चिन्तन का स्तर ऊँचा होता है।
(iv) ऐसा बालक दूसरों के भावों एवं अधिकार के प्रति संवेदनशील होते हैं। कि ऐसे बालक किसी कार्य को तीव्र गति से करते हैं।
(vi) ऐसे बालक विभिन्न तथ्यों के बीच आसानी से संबंधों का प्रत्यक्षण कर लेते हैं।
(vii) ऐसे बालक में आंतरिक अभिप्ररेण अधिक होता है।
(vii) ऐसे बालक प्रायः किसी विचारगोष्ठी में अपना प्रभूत्व दिखलाते हैं। ही ऐसे बच्चों में लम्बे समय तक अकेले में शैक्षिक कार्य करने की इच्छा तीव्र होती है। को ऐसे बालक अपना जिदगी की खुशी या दूसरे व्यक्तियों की खशी को बढ़ाने में भरपूर योगदान करते हैं।


नमस्कार दोस्तों यहां पर नीचे के पोस्ट में कक्षा 10 का विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान (class 10 science and social science) का बहुत ही महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन लघु उत्तरीय प्रश्न तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर (short answer question and long answer question) दिया गया है। अगर आप भी मैट्रिक परीक्षा 2024 की तैयारी कर रहे हैं, तो यह सभी प्रश्न आपके बोर्ड परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि यही सब प्रश्न आपके मैट्रिक बोर्ड परीक्षा 2024 में पूछे जाएंगे। इसलिए शुरू से अंत तक बने रहें। 

BSEB inter Exam Question Answer Pdf Download 2024

 1. Hindi 100 Marks ( हिंदी )
 2. English 100 Marks ( अंग्रेज़ी )
 3. PHYSICS ( भौतिक विज्ञान )
 4. CHEMISTRY ( रसायन विज्ञान )
 5. BIOLOGY ( जीवविज्ञान )
 6. MATHEMATICS ( गणित )
 7. GEOGRAPHY ( भूगोल )
 8. HISTORY ( इतिहास )
 9. ECONOMICS ( अर्थशास्त्र )
 10. HOME SCIENCE ( गृह विज्ञान )
 11. SANSKRIT ( संस्कृत )
 12. SOCIOLOGY ( समाज शास्‍त्र )
 13. POLITICAL SCIENCE ( राजनीति विज्ञान )
 14. PHILOSOPHY ( दर्शन शास्‍त्र )
15. PSYCHOLOGY ( मनोविज्ञान )