इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए ( Hindi ) हिंदी का 10 वायरल निबंध पक्का आएगा

इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए ( Hindi ) हिंदी का 10 वायरल निबंध :-  दोस्तों बिहार बोर्ड इंटर परीक्षा 2024 के लिए यहां पर कक्षा 12 हिंदी का 10 महत्वपूर्ण निबंध दिया गया है जो पिछले वर्ष पूछा गया है यह निबंध बहुत ही महत्वपूर्ण है  ( Bihar board class 12th Hindi top 10 nibandh ) इसलिए इस निबंध को एक बार शुरू से जरूर पढ़ें क्योंकि इसी 10 निबंध से आपके इंटर बोर्ड परीक्षा में निबंध पूछे जाएंगे इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए ( Hindi ) हिंदी का 10 वायरल निबंध


1. आरक्षण और सामाजिक न्याय, आरक्षण नीति

 

1. भारतवर्ष में आरक्षण कोई नयी व्यवस्था नहीं हैमारा सामाजिक सरचना में कछ ऐसी बातें रही हैं जिमें आरक्षण देखा जा सकता हैभारतवर्ष विद्या. शस्त्र. व्यापार और सेवा क्रमशः ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्रा आराक्षत रहा हैविद्या के प्रश्न पर तो और भी बहत कछ कहा जा सकता हैइस सबंध में स्त्रियों को भी बख्शा नहीं गयाकहना होगा कि शिक्षा केवल ब्राह्मण आर राजघरानों के पुरुष वर्ग में आरक्षित रहीइसका भयानक परिणाम यह हुआ कि सामाजिक समायोजन नहीं हो सकासमाज का एक विशावर्ग समाज का मुख्य धारा कट गयाउसके सामने कोई नप होहिं हमें का हानिकी बात चरित्राथ हान लगाफलतः देश में एक सामाजिक संगठन स्थापित नहीं हो सका। अपन हा दशवासिया के शोषण का शिकार वह विशाल जनसमुदाय अज्ञाता, अशिक्षा आर आथि अभाव के दलदल में फंस गयाइस विशाल वर्ग के प्रति भगवान बुद्ध आदि ने सोचा अवश्य, किन्तु भारतीय समाज की संरचना के कारण उसका विकास अवरुद्ध रहाइस आरक्षण का परिणाम हमें तब देखने के लिए मिला जब विदेशियों के हाथ भारत गुलाम हो गयाअगर सामाजिक संरचना में सबके समायोजन के योग्य जगह होती तो राष्ट्रीयता का इतना पतन नहीं होता। 

स्पष्ट है कि आजादी के बाद भारतीय नेताओं और चिंतकों ने यह महसूस किया कि भारत की सामाजिक व्यवस्था में कुछ ऐसी त्रुटियाँ रह गयी हैं, जिनके चलते विशाल वर्ग का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया हैअगर सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन की मुख्यधारा में उसे जोड़ने का प्रयत्न किया जाय तो उसके लिए आरक्षण की व्यवस्था करनी होगीउस वर्ग के पास आर्थिक, शैक्षिऔर राजनीतिक आदि जागरुकता के अभाव को देखते हुए संविधान निर्माताओं ने आरक्षण की व्यवस्था कीसंविधान में आरक्षण की व्यवस्था उन तमाम जातियों के लिए की गयी है, जो आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पीछे रही हैं और आज भी हैंऐसी जातियों के पास साधन और सुविधाओं का अभाव रहा है, जिसके कारण इनके बच्चे सम्पन्न लोगों के बच्चों की तरह मानसिक रूप से विकसित नहीं हो पायी है। ऐसी परिस्थिति में उन जातियों के लिए आरक्षण आवश्यक है; क्योंकि उनके सामने अभाव और शोषण हैइसलिए विकसित जातियों के बच्चों की तरह अगर खुली प्रतियोगिता में अविकसित जातियों के बच्चों को शामिल किया जाय तो स्थिति लत हो जायेगीइसलिए भी आरक्षण आवश्यक हैऐसी स्थिति में पिछड़ी जातियों के बच्चे भी आगे बढ़ेंगे


इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए ( Hindi ) हिंदी का 10 वायरल निबंध

2. कोरोनावायरस

 

कोरोनावायरस जिसे WHO द्वारा कोविड19 भी कहा गया या एक अत्यधिक सूक्ष्म परन्तु बहुत की भयंकर जानलेवा वायरस है। 

सर्वप्रथइस वायरस का प्रकोप चीन के वुहान शहर में मध्य दिसंबर 2019 में देखने को मिला इसके पश्चात् पूरी दुनिया में इस वायरस के घातक परिणाम देखने को मिले यह विषाणु (वायरस) संक्रमण फैलाने वाला होता है यह मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर स्वभाव तंत्र से संबंधित रोगों जैसेगले में खराश, नाक बहना, जुकाम खांसी, सांस लेने में समस्या बुखार आदि को जन्म देता है। यह वायरस मनुष्य द्वारा मनुष्य में आसानी से चला जाता है तथा बड़ी मात्रा में लोगों को संक्रमित करता है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति द्वारा छींकने, संक्रमित हाथों द्वारा किसी सतह या वस्तुओं को छूने खाँसते वक्त निकली सूक्ष्म बूंदों द्वारा फैलता है । अनेक देश पूर्ण प्रयासों द्वारा कोरानावायग्य की बात पर हैं वर्तमान में इस वायरस से बचाव ही इसका इलाज है । 

तः पूरा विश्व आज कोविड-19 जैसी भयंकर वैश्विक महामाहै परन्तु हमें लोगों को जागरूक करना चाहिए तथा इसम ना डाट दुर दर टन नियां बरतनी चाहिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना हस कार : हम सुरक्षित रहेंगे तथा इस भयंकर महामारी पर विजय प्राप्त करने में  सफल रहेंगे


3. बिहार में शराबबंदी कानून

 

1 अप्रैल, 2016 से बिहार सरकार द्वारा लागू किया या शराबबंदी कानन निवासिक कदम हैबिहार सरकार के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कमार जी का यह फैसला अत्यंत प्रशंसनीय हैमुख्यमंत्री के इस निर्णय से प्रदेश की महिलाएँ. वद्ध, बच्चे, सुशिक्षित वं सभ्य लोगों को नशाखोरी से बड़ी राहत पाप्त हई है। नशा व्यक्ति को अपराध एवं दमित यौन इच्छाओं के लिए प्रेरित करता हैशराब के लत से व्यक्ति का जीवन बर्बाद हो रहा था। 

शराबबंदी एक साहसिक कदम हैजब से बिहार में शराबबंदी लाग हआ है, तबसे निश्चय ही सड़क दुर्घटनाएँ, घरेलू हिंसा, यौन अपराध, सामाजिक हिंसा, जातीय तनाव, साम्प्रदायिक दंगे कम हुए हैंबिहार सरकार ने शराबबंदी को जिस कठोरता से लागू किया है, वह अत्यन्त सराहनीय हैशराब का सेवन नेता, मंत्री पदाधिकारी पुलिस इत्यादि सभी वर्ग के लोग करते थेमदिरापन करने वालों का तर्क है कि शराबबंदी व्यक्ति के खाने पीने के मूल अधिकार का हनन हैशराबबंदी कानून के अन्तर्गत किसी भी व्यक्ति को झूठे मुकदमें में फसाया जा सकता हैशराबबंदी से सरकारी राजस्व की बड़ी हानि हैशराब के साथ ताड़ी पर प्रतिबंध उचित नहीं हैताड़ी गाँव के श्रमजीवी वर्ग का पेय पदार्थ हैपानमशाला, खैनी, तम्बाकू इत्यादि नशा सामग्री पर प्रतिबंध नशाखोरों को असह्य हो रहा हैनशाखोरों को नशाबंदी असह्यय तो लगेगा ही, लेकिन यह उनके लिए कड़वी दवा की रह है जो उनके कुसंस्कारों, कुप्रवृत्तियों से मुक्ति के लिए जरूरी हैशराबबंदी से सबसे अधिक आहत दलित वर्ग के लोग हो रहे हैं, लेकिन सबसे अधिक लाभ इन्हें ही होगा। 

शराबबंदी से सरकारी राजस्व का घाटा तो हुआ है, लेकिन इससे पारिवारिक अपव्यय रूका हैगरीब लोग जिस पैसे को शराब में उड़ा जाते थे, उन्हें वे अब अपने बच्चों के वस्त्र, आहार एवं शिक्षा पर खर्च करेंगेनशाबंदी से लोगों में नया संस्कार जन्म लेगा। लोगों में विवेक, सुविचार जन्म लेगासामाजिक सद्भाव का एक नया वातावरण तैयार होगासुसभ्य और सुसंस्कृत बिहार का निर्माण होगा। इस्लाम में शराब हराम हैहिन्दू धर्म शास्त्रों में भी मदिरापन वर्जित और प्रतिबंधित हैबौद्ध और जैनधर्म में हिंसा और नशा पूर्णतः वर्जित है। 

पूर्व के राज्य सरकारों एवं शराब व्यावसायियों ने अतिशय धन कमाने की लालच में शराब उत्पादन और बिक्री को व्यापक उद्योग बना दिया थाभारत के अन्य राज्यों में भी शराबबंदी की आवश्यकता हैभारत नशामुक्त देश बने तो वह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी


वसंत ऋतु पर निबंध कैसे लिखें

4. वसंत ऋतु

 

भारत अनेक ऋतुओं का देश हैयहाँ गर्मीसर्दी, बरसातपतझड वसंत व हेमन्त आदि छह ऋतुओं का आगमन होता रहता हैइनमें वसंत सब की प्रिय ऋतु है जिसके आगमन पर सभी प्राणी हर्ष और उल्लास से झूम उठते हैंइसलिए वसंत को ऋतुराजकहा जाता है। 

इस समय ऋतु अत्यन्त सुहावनी होती हैसर्दी का अंत और गर्मी का आरंभ हो रहा होता हैसर्दी से कोई ठिठुरता नहीं और गर्मी किसी का बदन नहीं जलाती हैहर एक व्यक्ति बाहर घूमने-फिरने का इच्छुक होता हैयह इस मीटी ऋतु की विशेषता हैसभी जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों में नवजीवन का संचार हो जाता हैवृक्ष नएनए पत्तों से लद जाते हैंफूलों का सौन्दर्य तथा हरियाली की छटा मन को मुग्ध कर देती हैआमों के वृक्षों पर बौर आ जाता है तथा कोयल भी मीठी कू करती हैइस सुगंधित वातावरण में सैर करने से बीमारियाँ भी कोसों दूर भाग जाती हैंठंडीठंडी वसंती पवन मनुष्य की आयु और बल में वृद्धि कर देता है। 

खेतों में नई फसल पकने लग जाती हैसरसों के खेतों में पीलेपीले फूल संके आगमन पर झूलझूल कर हर्ष व्यक्त करते हैं और सिट्टे सिर उठाये हुए ऐसे लगते हैं, जैसे ऋतुराज का स्वागत कर रहे होंसरोवरों में कमल के फूल खिल कर पानी को इस तरह छिपा लेते हैं, मानो मनुष्यों को संदेश दे रहे हों कि हमारी तरह अपने मन को खिला कर दुनिया के समस्त दुःखक्लेशों का समेट लोआकाश में पक्षी किलकारियाँ भरते ऋतुराज का अभिनंदन करते हैं। 

वसंत पंचमी को ऋतुराज के स्वागत के लिए उत्सव होता हैइस दिन लोग नाचगा कर, खेलकूद कर तथा झूला झूल कर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हैंघरघर में संती हलवा, चावल और केसरिया खीर बनती हैलोग पीले वस्त्र पहनते हैं तथा बच्चे पीले पतंग उड़ाते हैं। वसंत पंचमी के दिन धर्मवीर हकीकत राय को भी याद किया जाता हैहकीकत राय को आज के दिन अपना धर्म छोड़ने के कारण मौत के घाट उतार दिया गया थाउस वीर बालक की याद में स्थानस्थान पर मेले लगते हैं तथा उसको श्रद्धांजलियाँ अर्पित की जाती हैं। 

हमें इस ऋतु में अपना स्वास्थ्य बनाना चाहिएप्रातः उठ कर बाहर घूमने जाएँ, ठंडीठंडी वायु में घमें और प्राकृतिक सौन्दर्य का निरीक्षण करेंवसंत ऋतु एक इश्वरीय वरदान है और हमें इस वरदान का पूरापूरा लाभ उठाना चाहिए

5. प्रदूषण/ प्रदूषण/ की समस्या

 

आज सम्पूर्ण विश्व के लिजो सर्वाधिक चिंता का विषय है उसे पर्यावरण की समस्या कहते हैंइसके कारण मानव का स्तित्व खतरे में पडता जा रहा हैहम जिस प्राकतिक वातावरण में रहते हैं, अर्थात् हमारे आसपास चारों ओर जो प्राकृतिक आवरण है उसे हम पर्यावरकहते हैंवायुमंडल, वन, पर्वत नाहि जल आदि इसके अंग कहलाते हैं। 

हमारे जीवित रहने की जितनी र्ते हैं उनमें पर्यावरण की शद्धता महत्त्वपर्ण हैलेकिन, आज हमारा यह र्यावरण ही प्रदूषित हो गया हैमानव ने अपनी सुखसुविधा के लिए जो कुछ किया है, उसी से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो गई हैपर्यावरण के घटकों के संतुलन बिगड़ने को ही पर्यावण प्रदषण कहा जाता हैपर्यावरण प्रदूषण के कई रूप हैं वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा (मिट्टी) प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण आदि। 

प्रदूषण के कई कारण हैंसर्वप्रथम वृक्षों की कटाई ही इसका बड़ा कारण हैवैध अथवा वैध तरीकों से बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई के कारण पर्यावरण संतुलन में बाधा उत्पन्न हुई हैपेड़पौधे वायुमंडल के कार्बन का अवशोषण करते हैंइससे एक ओर वायुमंडल अर्थात् वायु की स्थिति सामान्य बनी रहती है तथा दूसरो और इससे वर्षा भी होती हैइसी तरह, ईंधन के रूप में लकड़ी का प्रयोग, बढ़ती हुई गाड़ियों के प्रयोग से धुआँ तथा बड़े पैमाने पर जहरीले और हानिकारक गैसों के वातावरण में मिलने से वायु प्रदूषण हो रहा है। बड़ेबड़े नगरों और औद्योगिक कारखानों से निकलनेवाले जहरीले अवशेष नदियों में गिराए जा रहे हैंइससे जल प्रदूषण का खतरा उत्पन्न हो गया हैवाहनों और कलकारखानों से होनेवाली तेज आवाज के कारण ध्वनि प्रदूषण की समस्या बढ़ रही हैइसी तरह, रासायनिक और कीटनाशक औषधियों के प्रयोग से मिट्टी भी प्रदूषित हो रही है। पर्यावरण प्रदूषण से अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं और संभावनाओं का खतरा बढ़ता जा रहा हैइसका सबसे भयानक प्रभाव मनुष्य के स्वास्थ्य के ऊप पडता हैजहरीली गैसें हवा में मिलती जा रही हैंकार्बन डाइऑक्साइड की बढोत्तरी हो रही हैइसका बुरा प्रभाव मानवशरीर के ऊपर की उर्वरा शक्ति का नाम अनियमित वर्षा और प्रदूषित वायुमंडल के कारण हमारे खेतों की उपज में कमी होगीइसम ऋतुचक्र प्रभावित होगागर्मी अधिक पड़ेगीपेयजल का संकट का होगा। वनों की कटाई से वायुमंडल में जलवाष्प की कमी हो गई हैवर्षा कम होने से जलस्तर जमीन के नीचे गिता जा रहा हैइससे वाष्पनिर्माण का संकलन बिगड़ रहा हैइसका परिणाअकाल, अनावृष्टि के रूप में सामने आएगा। 

पर्यावरण प्रदूषण के कारण ओजोन संकट उत्पन्न हो हा हैधरातल से 25 किलोमीटर ऊपर एक बीस किलोमीटर का गैस आवहै, जिससे धरती की सुरक्षा होती हैइस आवरण को ओजोनमंडल हा जाता है। इससे धरती के ऊपर के वायुमंडल की सुरक्षा होती है था सूर्य की किरणों को ससे पार करना पड़ता है


6. महंगाई /महंगाईकी समस्या

 

वर्तमान समय में निम्न मध्य वर्ग महँगाई की समस्या से त्रस्त है यह रुकने का नाम ही नहीं लेती, यह तो सुरसा की तरह बढ़ती ही चली है ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार का महँगाई पर कोई नियंत्रण रह ही नहीं है महँगाई जानलेवा हो गई हैइसने आम नागरिकों की कमर तोड़कर ग्ट हैमहँगाई दर 8% तक चला गया हैबिहार में 41.4% लोग नियंत हैं, स्थिति में महँगाई की मार उनपर किस तरह पड़ रही है सोच सकते हैं 

महँगाई बढ़ने के कई कारण हैं उत्पादन में कमी तथा मांग में वृद्धि दर महँगाई का प्रमुख कारण हैमाँग और पूर्ति के असंतुलित होते ही महँगई के अन पाँव फैलाने का अवसर मिल जाता हैकभीकभी सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि प्राकृतिक प्रकोप भी उत्पादन को प्रभावित करते हैं । जमाखोरी भी महँगाई बढ़ाने के प्रमुख कारण हैजमाखोरी से शुरू होती है कालाबाजारीदोषपूर्ण विनय प्रणाली, अंधाधुंध मुनाफाखोरी की प्रवृत्ति तथा सरकारी अंकुश का अप्रभव हंन भी महँगाई के कारण हैंये कालाबाजारी पहले वस्तुओं का नकली अभाव उत्पन्न करते हैं और फिर जब उन वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है तब महंगे दाम पर बंचते हैं।  रोटी, कपड़ा और मकान प्रत्येक व्यक्ति की मौलिक आवश्यकताएँ हैं वह इन्हें पाने के लिए रातदिन प्रयास करता रहता है एक सामान्य व्यक्ति केवल इग्न चाहता है कि उसे जीवनोपयोगी वस्तुएँ आसानी से और उचित दर पर उपलब्ध हो 

कीमतों की वृद्धि एक अभिशाप हैदेश को हर हालत में इसे मुक्त करना अनिवार्य हैइसके लिए उत्पादन में वृद्धि करना चाहिएउत्पादनकार्य हर हालत में चलता रहेयही सब लोगों का प्रयास होना चाहिए व्यापारियों को कालाबाजार का धंधा बंद करना चाहिएइस कार्य में हर नागरिक का सहयोग अपेक्षित हैफिर, सभी क्षेत्रों में फैले भ्रष्टाचार एवं भाईभतीजावाद के विरुद्ध जेहाद बोलना अनिवार्य है। 


7. दूरदर्शन

 

दूरदर्शन महत्वपूर्ण आधुनिक आविष्कार हैयह मनोरंजन का साधन भी है और शिक्षा ग्रहण करने का सशक्त उपकरण भीमनुष्य के मन में दूर की चीजों को देखने की प्रबल इच्छा रहती हैचित्रकला, फोटोग्राफी और छपाई के विकास से दूरस्थ वस्तुओं, स्थानों, व्यक्तियों के चित्र सुलभ होने लगेपरन्तु इनके दर्शनीय स्थान की आशिक जानकारी ही मिल सकती हैदूरदर्शन के आविष्कार ने अब यह संभव बना दिया हैदूर की घटनाएँ हमारी आँखों के सामने उपस्थित हो जाती हैं। दूरदर्शन का सिद्धान्त रेडियो के सिद्धान्त से बहुत अंशों में मिलता हैरेडियो प्रसारण में वक्ता या गायक स्टुडियो में अपनी वार्ता या गायन प्रस्तुत करता हैउसकी आवाज से हवा में तरंगें उत्पन्न होती हैं जिन्हें उसके सामने रखा हुआ माइक्रोफोन बिजली की तरंगों में बदल देता है जो उन्हें रेडियो तरंगों में बदल देता हैइन तरंगों को टेलीविजन एरियल पकड़ लेता हैदूरदर्शन के पुर्जे इन्हें बिजली तरंगों में बदल देते हैंफिर उसमें लगे लाउडस्पीकर से ध्वनि आने लगती है जिसे हम सुन सकते हैंदूरदर्शन कैमरे में कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले चित्र आने लगते हैं। 

दूरदर्शन के पर्दे पर हम वे ही दृश्य देख सकते हैं जिन्हें किसी स्थान पर दूरदर्शन कैमरे द्वारा चित्रित किया जा रहा है और उनके चित्रों को रेडियो तरंगों के द्वारा दूर स्थानों भेजा जा रहा होइसके लिए दूरदर्शन के विशेष स्टुडियो बनाए जाते हैं जहाँ वक्ता, गायक, नर्तक आदि अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैंटेलीविजन के कैमरामैन उनके चित्र विभिन्न कोणों से प्रति क्षण उतारते रहते हैंस्टूडियो में जिसका चित्र जिस कोण से लिया जाएगा दूरदर्शन सेट के पर्दे पर उसका चित्र वैसा ही दिखाई पड़ेगाप्रत्येक वस्तु के दो पहलू होते हैंजहाँ फूल हैं वहाँ कांटे भी अपना स्थान बना लेते हैंटेलीविजन भी इसका अपवाद नहीं हैछात्र वर्ग तो टेलीविजन पर लटू दिखाई देते हैं। कोई भी और कैसा भी कार्यक्रम क्यों हो, वे अवश्य देखेंगेदीर्घ समय तक टेलीविजन के आगे बैठे रहने के कारण उनके अध्ययन में बाधा पड़ती हैउसका शेष समय, कार्यक्रमों की विवेचना करने में निकल जाता हैरात को देर तक जागते रहने के कारण प्रातः देर से उठना, विद्यालय में विलम्ब से पहँचना, सहपाठियों से कार्यक्रमों की चर्चा करना, श्रेणी में ऊँघते रहना आदि उनके जीवन के सामान्य दोष बन गए हैंयदि दूरदर्शन पर मनोरंजनात्मक कार्यक्रम के साथसाथ शिक्षात्मक कार्यक्रम भी दिखाएँ जाएँ तो यह विशेष उपयोगी बन सकता हैपाठ्यक्रम को चित्रों द्वारा समझाया जा सकता हैआशा है, भविष्य में कछ सधार अवश्य हो सकेंगे।  दरदर्शन के अनेक उपयोग हैं, लगभग उतने ही जितने हमारी आँखों के सामने नाटक, संगीत, खेलकूद आदि के दृश्यदूरदर्शन के पर्दे पर देखकर हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं। राजनीतिक नेता दूरदर्शन के द्वारा अपना संदेश अधिक प्रभावशाली ढंग से जनता तक पहुँचा सकते हैंशिक्षा के क्षेत्र में भी टेलीविजन प्रयोग सफलता से किया जा रहा हैकुछ देशों में दूरदर्शन के द्वारा किसानों को लेनी की नईनई विधियाँ दिखाई जाती हैंसमुद्र के अन्दर खोज करने के लिए दरदर्शन का प्रयोग होता हैयदि किसी डूबे हुए जहाज की स्थिति का सहीसही पता लगाना हो तो जंजीर के सहारे दूरदर्शन कैमरे को समुद्र के जल के अन्दर उतारते हैंउनके द्वारा भेजे गए चित्रों से समुद्र तक की जानकारी ऊपर के लोगों को मिल जाती है। 

निश्चय ही दूरदर्शन आज के युग का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण मनोरंजन का साधन हैइसका उपयोग देकी प्रगति के लिए किया जाना चाहिएयह कहना उपयुक्त ही होगा कि निकट भविष्य में भारत के प्रत्येक क्षेत्र में दूरदर्शन कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाने लगेंगे


बिहार में शराबबंदी कानून पर निबंध कैसे लिखें,

8. पुस्तकालय

 

पुस्तकऔर आलन्हीं दो शब्दों के सालभ मम्मिश्रण पुस्तकालयशब्द की उत्पत्ति हुई हैपुस्तकालय में उपन्याग, कहानी, नाटक, कादरा 47 आलोचना सम्बन्धी पुस्तकें रहती हैं। पुस्तकालय तीन प्रकार के होते हैं व्यक्तिगत पम्तकला, कीय पाराला तथा सार्वजनिक पस्तकालयव्यक्तिगत पस्तकालय किमी व्याक्त १० संचालित होता हैइस उपयोग कोई विशेष व्यक्ति तथा उसके परिवार के सदस्य ही करते हैंराजकीय पस्तकालय में सरकारी कर्मचारियों के हितार्थ पुस्तक रहता है सार्वजनिक पुस्तकालय सर्वसाधारण के अधीन रहता हैसामान्यतः प्रत्यक शहर में सार्वजनिक पुस्तकालय स्थापित रहता हैपुस्तकालय के प्रवन्ध कला प्रबन्धसमिति गठित होती हैइस समिति में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष, मन्त्र, कोषाध्यक्ष और आयव्यय निरीक्षक आदि निर्वाचित होते हैं। पुस्तकालय ज्ञानप्रसार का उत्तम साधन हैशिक्षा के प्रचार और प्रसार में पुस्तकालय का अपूर्व योगदान हैपुस्तकालय में विद्यालय या महाविद्याकी पाठ्यपुस्तकें भी संचित रहती हैंइससे गरीब विद्यार्थी अपना काम चलते हैं पुस्तकालय में दैनिक, साप्ताहिक, मासिक और पाक्षिक पत्रपत्रिकाएँ आती हैंइन पत्रपत्रिकाओं का अध्ययन कर हम ज्ञानार्जन करते हैंपहले भारतवर्ष में नालन्दा, तक्षशिला. विक्रमशिला जैसे महाविद्यालयों में सम्पन्न, सुसज्जित पुस्तकालय और सिन्हा पस्तकालय, पटना, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय पुस्तकालय और कलकता के राष्ट्रीय पुस्तकालय विशेष प्रसिद्ध पुस्तकालय है। 

आज भी कतिपय ग्राम ऐसे हैं जहाँ पुस्तकालय नहीं हैकुछ पुस्तकालय सहयोगशन्यता के कारण बन्द होते जा रहे हैंतः पुस्तकालय के संचालकों को आपसी मतभेद भुला देना चाहिए। हमारे देश में इन दिनों चलपुस्तकालय की भी व्यवस्था की जा रही हैपस्तकाध्यक्षों को प्रशिक्षण देने का प्रबन्ध भी किया गया है, लेकिन ये सभी काम धीमी गति से हो रहे हैं। पस्तकालयों में पुस्तकों का चुना अच्छे ढंग से होना चाहिएबालकों तथा महिलाओं की आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखना चाहिए। पुस्तकों के उपयोग पर भी सबको ध्यान रखना चाहिए


इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए ( Hindi ) हिंदी का 10 वायरल निबंध

9. समाचार पत्र

 

मनुष्यसमाज अखिल सृष्टि की सर्वोत्कृष्ट कृति कहलाने का गौरव प्राप्त करता हैइसका कारण है, उसकी चेतना तथा जिज्ञासु प्रवृत्ति वह अपने आसपास के वातावरण के प्रति कभी उपेक्षा का भाव नहीं रख सका आदिकाल से ही उसमें अपने आसपास तथा दूर के समाचारों और घटनाओं को जानने की उत्सुकता रही हैसमाचारपत्र के विकास के पीछे भी मानव की यही भावना है। समाचारपत्र का जन्म कब, कहाँ और क्यों हुआयह तो दावे के साथ नहीं कहा जा सकता फिर भी यह निश्चित है कि समाचारपत्र आधुनिक सभ्यता की देन हैजब विश्व के देश धीरेधीरे वैचारिक रूप से एकदूसरे के निकट आए तो लोगों के मन में एकदूसरे के विषय में जानने की जिज्ञासा हुई, इसी जिज्ञासा के परिणामस्वरूप समाचारपत्र का जन्म हुआ। भारत में समाचारपत्र का जन्म अंग्रेजी राज्य के समय 1720 में हुआ समाचारपत्रों के कई रूप आज प्रचलित हैंमें प्रमुख है दैनिक, साप्ताहिक पाक्षिक एवं मासिक परन्तु लोगों में दैनिक समाचार-पत्रों के प्रति अधिक रुचि है क्योंकि वे शीघ्रातिशीघ्र विश्व के अन्य देशों अथवा देश के अन्य भागों से अपने को जुड़ा हुआ देखना चाहते हैंसाप्ताहिक पाक्षिक तथा मासिक पत्रों में समाचारपत्रों में अतिरिक्त अन्य उपयोगी सामग्री का भी प्रकाशन होता है । सामयिक विषयों पर सामग्री इन पत्रपत्रिकाओं की प्रमुख विशेषता है। 

समाचारपत्रों के माध्यम से विश्व के देशों में बंधुत्व का भाव जागृत करने में बहुत सहायता मिलती हैआज विश्व के विभिन्न देशों में जो निकटता बढ़ रही है उसके मूल में समाचारपत्रों की भूमिका ही हैएक समय था जब लोग संकुचित राष्ट्रीयता की भावना में पड़े रहते थे परन्तु आज राष्ट्रीयता की भावना के साथ लोगों में अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार प्रचार हो रहा हैकिसी भी विषय पर विश्व भर की प्रतिक्रियाएँ समाचारपत्र एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से पहुँचा देते हैंविज्ञापन के क्षेत्र में समाचारपत्रों ने क्रांतिसी उत्पन्न कर दी है। 

समाचारपत्र गरीब और श्रमिकों के लिए तो एक अमोध अस्त्र तथा वरदान हैवे समाचारपत्रों के माध्यम से समयसमय पर अपनी समस्याओं को प्रस्तुत करते रहते हैं, बड़ेबड़े आंदोलनों के पीछे समाचारपत्रों की शक्ति छिपी रहती है। समाचारपत्रों की शक्ति असीम हैशक्ति की यह असीमता प्राय: समाचारपत्रों को कर्त्तव्य से भटका देती हैसभी बड़ेबड़े समाचार-पत्रों पर आज बड़ेबड़े मिलमालिकों का स्वामित्व है। समाचारपत्र आधुनिक समाज के सच्चे साथी है प्रजातंत्र तथा मानवअधिकारों के सजग प्रहरी हैआज हम विश्व-बंधुत्व की जिस भावना को हृदय में लेकर प्रगति के जिन सोपानों की ओर बढ़ रहे हैं उसके निर्माण में समाचारपत्रों का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। 

अखबार की महत्ता बतलाते हुए उर्दू कवि अकबर ने लिखा है 

खीचो कमानों को, तलवार निकालोजब तोप मुकाबिल हो, तो अखबार निकालो


10. गंगा सफाई अभियान

 

भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण एवं पवित्रतमा नदी गंगा जो भारत और बांग्लादेश में मिलाकर 2510 कि० मी. की दूरी तय करती हुई उत्तराखंड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक विशाल भूभाग को सींचती है, यह देश की प्राकृतिक संपदा ही नहीं, जनजन की भावनात्मक अवस्था का आधार भी है2071 कि. मी. तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग कि. मी. क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। 

वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैंगंगा की इस असीमित शुद्धिकरण क्षमता और सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसका प्रदूषण रोका नहीं जा सकता हैफिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफाई की अनेक पारयोजनाओं के क्रम में नवंबर 2008 में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्टीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (1600 कि. मी.) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया या। 

गंगा को साफ करना भारत सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती हैइसमें सबस बड़ी चुनौती गंगा में हर तरफ से रहा मल मूत्र का चरा, औद्योगिक कचरा. बूचरखानों का कचरा हैकेन्द्रीय प्रदषण नियंत्रण बोर्ड ने 1984 में गंगा बासन में सर्वे के बाद अपनी रिपोर्ट में गंगा के प्रदषण पर गंभीर चिंता जताई थीइसके आधार पर पहला गंगा एक्शन प्लान 1985 में अस्तित्व में आयाइसके तहत काम शुरू भी किया गया, लेकिन सफलता बेहद कम मिलीयह 15 साल चलाइस पर 901 करोड़ रुपये खर्च हुएमार्च 2000 में इसे बंद कर दिया गया। 

गंगा नदी विश्व भर में अपनी शुद्धिकरण क्षमता के कारण जानी जाती हैलंबे समय से प्रचलित इसकी शुद्धिकरण की मान्यता का वैज्ञानिक आधार भी हैनदी के जल में प्राणवायु की मात्रा को बनाए रखने की असाधारण क्षमता हैलेकिन गंगा के तट पर घने बसे औद्योगिक नगरों के नालों की गंदगी सीधे गंगा नदी में मिलने से गंगा का प्रदूषण पिछले कई वर्षों से भारत सरकार और जनता की चिंता का विषय बना हुआ हैऔद्योगिक कचरे के साथसाथ प्लास्टिक कचरे की बहुतायत ने गंगा जल को भी बेहद प्रदूषित किया है। गंगा को निर्मल और अविरल बनने के नाम पर लगभग 40 से 50 हजार करोड रुपये तक का खर्च आने का अनुमान है, जबकि सरकार ने फिलहाल इस काम के लिए 20 हजार करोड़ रुपये आवंटित किये हैंगंगा को स्वच्छ करने में पांच साल का समय लगने की उम्मीद है, जबकि सके घाटों के सौन्दर्याकरण व परिवहन की समची योजना के क्रियान्वयन में लगभग डेढ़ दशक लग सकते हैं। विशेषज्ञों की कहना है कि गगा की स्थिति दुनिया की अन्य नदियों से भिन्न हैलाखों लोग डुबकी लगाते हैंकरोड़ों लोगों की आस्था के महाकंभ जैसे गोल होते हैंइस दी की सफाई के लिए कई बार पहल की गई लेकिन कोई भी संतोषजनक स्थिति तक नहीं पहुँच पाए। प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद नरेन्द्र मोदी ने गंगा नदी में प्रदषण पान करने और इसकी सफाई का अभियान चलाया। इसके बाद उन्होंने जलाई 2014 आम बजट में नमामि गर्गनामक एक परियोजना आरम्भ की। इसी परियोजना हिस्से के रूप में भारत सरकार ने गंगा के किनारे स्थित 48 औद्योगिक इकाइयों को बन्द करने का आदेश दिया है। विभिन्न उपकरणों की मदद से अभियान चलाया जा रहा है। जून 2015 में इसे कानपुर इलाहाबाद वाराणसी मथुरा पटना साहिबगंज हरिद्वार व नवदीप इत्यादि नगरों में पायलट परियोजना के रूप में शुरू किया गया


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11. कंप्यूटर और इंटरनेट

 

वर्तमान युग कंप्यूटर युहैयदि भारतवर्ष पर नजर दौडाकर देखें तो हम पाएँगे कि आज जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में कंप्यूटका प्रवेहो गया हैबैंक रेलवे स्टेशन, वाअड्डे, डाकखाने, बड़े बड़े उद्योग, कारखान, व्यवसा. हिसाब किताब, रुपये गिनने की मशीने कंप्यूटरीकत हो गई हैंअब भी यह कंप्यूटर का पारभिक प्रयोहैआज मनुष्यजीवन जटिल हो गया हैसांसारिक गतिविधियां, परिवहन और संचारउपकरणों आदि का अत्यधिक विस्तार हो गया है आज व्यक्ति के संपर्क बढ़ रहे हैं, व्यापार बढ़ रहे हैं. गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, आकांक्षाएँ बढ़ रही हैं, साधन बढ़ रहे हैंपरिणामस्वरूप सब जगह भागदौड़ और आपाधापी चल रही है। इस पागल गतिको सुव्यवस्था देने की समस्या आज की प्रमुख समस्या है कंप्यूटर एक ऐसी स्वचालित प्रणाली है, जो कैसी भी अव्यवस्था को व्यवस्था में बदल सकती हैहड़बड़ी में होने वाली मानवीय भूलों के लिए कंप्यूटर रामबाणऔषधि हैक्रिकेट के मैदान में अंपायर की निर्णायकभूमिका हो या लाखोंकरोड़ोंअरब की लंबीलंबी गणनाएँ, कंप्यूटर पलक झपकते ही आपकी समस्या हल कर सकता हैपहले इन कामों को करने वाले कर्मचारी हड़बड़ाकर काम करते थेपरिणामस्वरूप काम कम, तनाव अधिक होता थाअब कंप्यूटर की सहायता से काफी सुविधा हो गई है। कंप्यूटर ने फाइलों की आवश्यकता कम कर दी हैकार्यालय की सारी गतिविधियाँ एक्सर्टनल हार्ड डिक्स, सी. डी. या पेन ड्राइव में बंद हो जाती हैं : इसलिए फाइलों के स्टोरों की जरूरत अब नहीं रही। अब समाचारपत्र भी इंटरनेट के माध्यम से पढ़ने की व्यवस्था हो गई हैविश्व के किसी कोने में छपी पुस्तक. फिल्म, घटना की जानकारी इंटरनेट पर ही उपलब्ध हैएक समय थाजब कहते थे कि विज्ञान ने संसार को कुटुंब बना दिया हैकंप्यूटर ने तो माने उस कुटुंब को आपके कमरे में उपलब्ध करा दिया है। 

आज टेलीफोन, रेल, फ्रीज, वाशिंग मशीन आदि उपकरणों के बिना नागरिक जीवन जीना कठिन हो गया हैइन सबके निर्माण या संचालन में कंप्यूटर का योगदान महत्त्वपूर्ण हैरक्षाउपकरणों, हजारों मीकी दूरी पर सटीक निशाना बाँधने, सक्ष्मसेसूक्ष्म वस्तुओं को खोजने में कंप्यूटर का अपना महत्त्व हैआज कंप्यूटर ने मानवजीवन को सुविधा, सरलता, सुव्यवस्था और सटीकता प्रदान की हैतः इसका महत्त्व बहुअधिहै। 

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