मैट्रिक बोर्ड परीक्षा 2024 हिंदी आविन्यों लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर | Class 10th Aawinyo Subjective Question Answer 2024

[ Class 10 Hindi Objective & Subjective Question Answer 2024 ] कक्षा 10 आविन्यों Subjective :- मैट्रिक परीक्षा 2024 हिंदी गोधूलि भाग – 2 (आविन्यों )  पाठ – 9 का महत्वपूर्ण Subjective Question Answer दिया गया है। अगर अभी तक आविन्यों पाठ का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर को नहीं पढ़े हैं। तो आविन्यों का Objective Question Answer का लिंक नीचे दिया गया है। जिसे Click करके आप Objective Question Answer को पढ़ सकते हैं। aawinyo subjective Question answer 2024 class 10th pdf, कक्षा 10 आविन्यों Subjective Question answer pdf 


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Q1. आविन्यों क्या है ? और वह कहाँ अवस्थित है ?

Ans :- आविन्यों, दक्षिण फ्रांस में रोन नदी के किनारे बसा एक पुराना शहरं । है। यहाँ कभी कुछ समय के लिए पोप की राजधानी थी और अब गर्मियों में फ्रांस और यूरोप का एक अत्यंत प्रसिद्ध लोकप्रिय रंग समारोह हर बरस होता है।


Q2. आविन्यों के बारे में प्रकाश डालें।

Ans:- आविन्यों रोन नदी पर अवस्थित कला केन्द्र है। इसका स्वतंत्र नाम है-वीलनव्व आविन्यों अर्थात् आविन्यों का नया गाँव। दरअसल वहाँ फ्रेंच शासकों ने पोप की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किला बनाया था। चौदहवीं शताब्दी में फ्रेंच क्रांति तक उसका धार्मिक उपयोग होता रहा।


Q3. आविन्यों किसलिए प्रसिद्ध है? पिकासो की विख्यात कृति का शीर्षक क्या है ?

Ans दक्षिण फ्रांस में रोन नदी के किनारे बसा आविन्यों एक महत्त्वपूर्ण काव्य केन्द्र है। पिकासो की विख्यात कृति का शीर्षकं है। ‘लमादामोजेल द आविन्यों’।

Q4. हर बरस आविन्यों में कब और कैसा समारोह हुआ करता है ?

Ans :- हर वर्ष गर्मी में फ्रांस और यूरोप के बड़े-बड़े नाटककार तथा साहित्यकार आविन्यों में आते थे। तथा रंगारंग समारोह का आयोजन होता था।


Q5. लेखक किसके प्रति कृतज्ञ हैं ? उसकी गहरी पीड़ा का क्या कारण है।

Ans :- लेखक शत्रूज मठ के प्रति कृतज्ञ हैं कि वहाँ उन्नीस दिन रह कर उन्होंने उस शांत और मोहक वातावरण में पैंतीस कविताएँ और सत्ताईस गद्य रचनाएँ लिखी। लेखक के मन में गहरी पीड़ा का कारण उनके सान्निध्य से वंचित होना था।


Q6. नदी के तट पर लेखक को किसकी याद आती है और क्यों ?

Ans :- नदी के पास नदी होकर लेखक को दूसरे कवि विनोद कुमार शुक्ल
की एक कविता याद आती है। कविता का शीर्षक है-‘नदी-चेहरा लोगों’ से मिलने जाने की बात कहते है।
शायद सिर्फ नदी किनारे रहनेवाले ही नदी-चेहरा नहीं हो जाते, हम जो कभी-कभार और थोड़ी देर के लिए नदी किनारे जो बैठ पाते हैं, हम भी कुछ देर के लिए ही सही, नदी-चेहरा हो जाते हैं। नदी के तट पर ‘नदी-चेहरा’ शीर्षक कविता लेखक को भी नदी-चेहरा बना रही थी इसलिए याद आती है। और नदी भी तो कविता के समान है।


Q7. लेखक आविन्यों किस सिलसिले में गए थे ? वहां उन्होंने क्या देखा सुना ?

Ans :- आविन्यों में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला समारोह में भाग लेने के लिए कवि अशोक बाजपेई भी जाते थे। इसकी सुंदरता को देखते थे। तथा इस शहर के इतिहास को सुनते थे।


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Q8. “ला” सत्रुज क्या है? और वह कहां अवस्थित है आजकल इसकी क्या उपयोग होता है ?

Ans :- “ला” सत्रुज एक इमारत है। जो आविन्यों शहर में स्थित है। जो आजकल संग्रहालय के रूप में उपयोग किया जाता है यह बेहद शांत और नीरव स्थान है। पचासों सैलानी यहां देखने आते हैं।


Q9. लेखक आविन्यों क्या साथ लेकर गए थे ? और वहां कितने दिनों तक रहे लेखक की उपलब्धि क्या रही ?

Ans :- लेखक आविन्यों की यात्रा में अपने साथ हिंदी का टाइपराइटर 34 पुस्तकें तथा संगीत के कुछ टिप्स ले गए थे। वह वहां 19 दिनों तक रहे, जिसमें लेखक ने 35 कविताएं तथा 27 कहानियां की रचना की थी।


Q10. किसके पास तटस्थ रह पाना संभव नहीं हो पाता और क्यों ?

Ans :- नदी और कविता के पास तत्पर रहना संभव नहीं है। क्योंकि नदी हमें जल्द से भिगो देती है। तो कविता मन को दुख और सुख पहुंचाती है।


Q11. इस कविता से आप क्या सीखते हैं ?

Ans :- इस कविता का अर्थ है जिस प्रकार पत्थर सुख और दुख को जेल कर एक जगह स्थिर रहती है ठीक उसी प्रकार मानव को सुख और दुख में धैर्य से काम करना चाहिए।


Q12. नदी के तट पर बैठे हुए लेखक को क्या अनुभव होता है ?

Ans :- नदी के तट पर बैठे हुए लेखक का अनुभव होता है कि जल स्थिर है, और तट बह रही है।


Q13. ला शत्रुज के निदेशक को किस बात का अचरज हुआ ?

Ans :- ला शत्रुज के निदेशक को इस बात का अचरज हुआ था कि अल्पावधि में ही पुस्तक में विपुल सामग्री थी।


Q14. नदी के तट पर बैठे हुए लेखक को क्या अनुभव होता है ?

Ans :- रोन नदी के किनारे कुछ देर लेखक बैठा था। जलप्रवाह को एक-टक – देखते रहने पर उसे लगता था कि जल स्थिर है और तट ही बह रहा है। नदी के – तट पर बैठना भी नदी के साथ बहना है। कई बार नदी स्थिर होती है, हम तट पर । बैठे रहते हैं। नदी के पास होना नदी. होना है।


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Q15. ‘प्रतीक्षा करते हैं पत्थर’ कविता से आप क्या सिखाते है ?

Ans :- प्रतीक्षा करते हैं पत्थर’ पाठकों में धीरज का पाठ पढ़ाता है। को प्रत्येक स्थिति में स्थिर, धैर्यशील और शांत रहना चाहिए। प्राचीनता के – रखना चाहिए। अपना विश्वास हमें हर परिस्थिति में कायम रखना चाहिए। अपन स्वप्न को हमें बुनते रहना चाहिए। अपनी कल्पनाओं को हमें आकार देना चाहिए। यह कविता अंततः धीरज बनाए रखने का निवेदन हमसे करती है। धीरज से ही मनुष्य संसार झेल लेता है। और अधैर्य में संतुलन खो बैठता है। यही सीख हमें इस कविता में से मिलती है।


Q16. आविन्यों के प्रति लेखक कैसे अपना सम्मान प्रदर्शित करते हैं ?

Ans :- आविन्यों फ्रांस का एक प्रमुख कलाकेन्द्र रहा है। अति यथार्थवादी | कवयित्री आन्द्रे ब्रेताँ, रेने शॉ और पाल एलुआर ने मिलकर तीस संयुक्त कविताएँ | आन्वियों में साथ रहकर लिखी थीं। विकासों की विख्यात कृति का शीर्षक है। ल’ मादामोजेल द आन्वियों।
हर जगह हम कुछ पाते, बहुत सा गँवाते हैं। ला शत्रूज में लेखक ने जो पाया – उसके लिए गहरी कृतज्ञता उसके मन में है और जो गँवाया उसकी गहरी पीड़ा।


Q17. नदी और कविता में लेखक क्या समानता पाता है ?

Ans :- नदी के समान ही कविता सदियों से हमारे साथ रही है। उसमें न जाने – कहाँ-कहाँ से जल आकर मिलते और विलीन होते रहते हैं, वह सागर में समाहित होती रहती है। हर दिन ही, पर उसमें जल का टोटा नहीं पड़ता। ऐसी ही बात कविता में भी होती है। कविता में न जाने कैसी-कैसी बिम्बमालाएँ, शब्द भंगिमाएँ, जीवन वियाँ और प्रतीतियाँ आकर मिलती और तदाकार होती रहती हैं। जैसे नदी जल-रिक्त नहीं होती, वैसा ही कविता शब्द-रिक्त नहीं होती। न नदी के किनारे, न ही कविता के पास हम तटस्थ रह पाते हैं। नदी और कविता में हम बरबस ही शामिल हो जाते हैं। जैसे हमारे चेहरों पर नदी की आभा आती है, वैसे ही हमारे चेहरों पर कविता की चमक। निरन्तरता, नदी और कविता दोनों में हमारी नश्वरता का अनन्त से अभिषेक करती है।


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Q18. ‘प्रतीक्षा करते हैं पत्थर’ शीर्षक कविता में कवि क्यों और कैसे पत्थर का मानवीकरण करता है ?

Ans :- ‘प्रतीक्षा करते हैं पत्थर’ शीर्षक कविता में अशोक वाजपेयी कहते हैं किसी देवता या काल की नहीं, पता नहीं किसकी प्रतीक्षा करते हैं पत्थर। धीरज से रेशा-रेशा झिरते हुए, शिरा-शिरा छिलते हुए प्रतीक्षारत हैं ये पत्थर। मेंह गिरता है, सूखी पत्तियाँ, धूप गिरती है, आवाजें गिरती हैं, रात का सन्नाटा भाँय-भाँय करता है और भयंकर अंधेरा के कोई प्राचीन धुन दुहराते हुए प्रतीक्षा में पत्थर बैठे रहते हैं। पत्थरों को अपलक बाट अगोरते हैं हर सपना, भूरा पहेलियाँ, पीला पड़ता समय, छीजती भाषा और आदिम अंधेरा। एक बेहदी चौगान में पत्थर खड़े रहते हैं। पत्थर बिना माथा झुकाए प्रार्थना करते हैं। पत्थर बिना पसीजे कामना करते हैं। पत्थर बिना शब्द के कविता लिखते हैं। कवि अन्त में कहता है।पता नहीं किसकी प्रतीक्षा ये पत्थर करते हैं। पूरी कविता में कवि ने पत्थरों का मानवीकरण किया है। ये पत्थर प्रतीक्षा करते हैं ।


Q19. मनुष्य जीवन से पत्थर की क्या समानता और विषमता है ?

Ans :- मनुष्य जीवन में कोमलता और कल्पनाशीलता होती है जबकि पत्थर में यह बात नहीं पायी जाती। मनुष्य प्रतीक्षा करते हैं तो पत्थर भी अज्ञात की प्रतीक्षा में सदियों से खड़े हैं। मनुष्यों को सन्नाटा पसंद नहीं जबकि पत्थर भयंकर सन्नाटे में खड़े रहते हैं। मनुष्य का हृदय भेद्य भी और अभेद्य भी जबकि पत्थर अभेद्य ही हैं। पत्थर और मनुष्य प्राचीनता लिए हुए हैं। पत्थर और मनुष्य दोनों बाट जोहते हैं। मनुष्य माथा झुकाकर प्रार्थना करते हैं जबकि पत्थर बिना झुके रहते हैं। मनुष्य पसीजकर, विनम्र होकर कामना करता है जबकि पत्थर ऐसा नहीं करते। मनुष्य शब्दों की सहायता से कविता लिखता है जबकि पत्थरों के पास शब्द नहीं होते। पत्थरों के पास भाषा नहीं होती। मनुष्य मनुष्यों की प्रतीक्षा करते हैं पर पता नहीं पत्थर किसकी प्रतीक्षा करते हैं।

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कक्षा 10 आविन्यों Subjective :- Important Subjective Question Answer of Matriculation Examination 2024 Hindi Twilight Part – 2 (Avinyo) Lesson – 9 has been given. If you have not yet read the objective question answer of the Avinyan text. So the Objective Question Answer link of Avinya is given below. By clicking which you can read the Objective Question Answer.

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