Hindi पाठ-6 ( जनतंत्र का जन्म ) Subjective Question Answer 2023 Bihar Board 10th । गोधूलि भाग-2 काव्य खंड Subjective Question 2023

[ Class 10 Hindi Objective & Subjective Question Answer 2023 ] Hindi पाठ-6 जनतंत्र का जन्म :- दोस्तों नीचे कक्षा 10 हिंदी गोधूलि भाग 2 के महत्वपूर्ण चैप्टर जनतंत्र का जन्म सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर दिया गया है। जिनके लेखक रामधारी सिंह दिनकर है। दोस्तों अगर अभी तक Hindi पाठ-6 जनतंत्र का जन्म का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन नहीं पढ़े हैं, तो इसका लिंक नीचे दिया गया है। जिसे क्लिक करके आप Hindi पाठ-6 जनतंत्र का जन्म का Objective Question Answer को पढ़ सकते हैं।


class 10 Hindi jantantra ka Janm subjective question answer

Q1. कविता का मूल भाव क्या है ? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।

Ans :- भारत में जनतंत्र की स्थापना हो रही है। फावड़े और हल अब राजदंड बनेंगे । मटमैलापन-धूसरता सोने से शृंगार सजा रही है। रास्ता दो! समय बदल गया है। समय का रथ घर्घर नाद सुनाई पड़ रहा है। सिंहासन खाली करो, जनता आ रही है। भारत की 33 करोड़ जनता अब सिंहासनारूढ़ हो रही है।


Q2. कवि जनता के स्वप्न का किस तरह चित्र खींचता है?

Ans :- सौ-सौ साल, हजार-हजार साल बीते जाते हैं। जनता राजा की अधीनता में चुपचाप पड़ी रह जाती है। अब अंधकार चीरने-फाड़ने के लिए जनता उमड़ रही है। जनता के स्वप्न को कोई जीत नहीं सका है। जनता का स्वप्न विजयी होता है। जनता जब उठ खड़ी होती है तो आसमान दहकने लगता है। कवि जनता का अत्यंत सही पर उग्र चित्र खींचता है।


Q3. कवि की दृष्टि में समय के रथ का घर्घर नाद क्या है? स्पष्ट करें।

Ans :- ‘जनतंत्र का जन्म’ पाठ में कवि ने समय के रथ का घर्घर नाद का अर्थ समयचक्र का परिवर्तन बतलाया है। समय परिवर्तनशील है। उसके परिवर्तन अथवा बदलाव को समझना ही रथ के घर्घर का नाद सुनना है। आज जनतंत्र का जन्म हो रहा है। राजतंत्र समय के ‘भूडोल में नष्ट हो रहा है। जनता की ताकत प्रकट हो रही है। यही समयचक्र का परिवर्तन है। इस समय कवि समय के रथ की घर्घर आवाज के रूप में सुनता है।


Q4. निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।

हुंकारों से महलों की नींव उखड़ जाती, साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है। जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ ? वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है।

Ans :- प्रस्तुत काव्यांश राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘जनतंत्र का जन्म’ से उद्धृत है। इसमें जनशक्ति के तूफान का वर्णन है। जनता के उदय – हो जाने पर महलों की नींव हिल जाती है। राजा का ताज छिन जाता है। जब जनता
जाग जाती है तो उसकी गति को समय भी रोक नहीं पाता है। जनता की इच्छा और इशारे पर काल मुड़ता है।


Hindi jantantra ka Janm subjective question answer class 10 2023

Q5. व्याख्या करें : –

सदियों की ठंडी-बुझी राख सुगबुगा उठी
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है।

Ans :- प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिनकर रचित कविता ‘जनतंत्र का जन्म’ से उद्धृत हैं। यह कविता आधुनिक भारत में जनतंत्र के उदय का जयघोष करती है। सदियों की देशी-विदेशी पराधीनता अब खत्म हुई। भारत आजाद हुआ। अब जनता सिंहासन पर बैठेगी। ।
कवि कहता है कि अब सदियों की ठंढी-बुझी आग सुग-बुगा उठी है। आजादी के बाद भारत की मिट्टी सोने का ताज पहनकर इठलाती है, गर्व महसूस करती है। अब जनता सिंहासन पर बैठेगी।


Q6. “जनतंत्र का जन्म’ शीर्षक कविता का मूल भाव क्या है? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। अथवा, “जनतंत्र का जन्म’ शीर्षक कविता का भावार्थ लिखिए।

Ans :- रामधारी सिंह दिनकर रचित कविता ‘जनतंत्र का जन्म’ आधुनिक भारत म जनतंत्र के उदय का जयघोष है। सदियों की देशी-विदेशी पराधीनताओं के बाद स्वतत्रता प्राप्ति हुई और भारत में जनतंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा हई। जनतंत्र , के एतिहासिक और राजनीतिक अभिप्रायों की कविता में उजागर करते हुए कवि यहाँ एक नवीन भारत का शिलान्यासं सा करता है, जिसमें जनता ही स्वयं सिंहासन पर आरूढ़ होने को है। इस कविता का ऐतिहासिक महत्त्व है। जनता सारे कष्ट झेलती रहती है। खून चूसने वाले अगर कितना भी खून चूस लें, वह बोलती नहीं है। हुंकारों से महलों की नींव उखड़ जाती है। भारत में विराट जनतंत्र आ गया। तैंतीस करोड़ जनता मुकुट पहनने को आकुल हो उठी।


Q7. “जनतंत्र का जन्म’ कविता के आरंभ में कवि भारतीय जनता का वर्णन किस रूप में करता है ?

Ans :- जनता सदियों तक सोयी हुई रहती है। जनता मिट्टी की अबोध मूरत है। वह सहज एवं सरल होती है। जनता जाड़े-पाले की सदा कसक सहनेवाली है। जनत अत्यंत सहनशील है। जब अंग-अंग में लिपटे साँप रक्त चूसते रहते हैं तब भी वह कभी मुँह खोलकर अपना दर्द प्रकट नहीं करती है। भारत की जनता भी सहनशील. है। वह भी कुछ मुँह खोलकर नहीं बोलती है। वह सभी दर्द को अपने सीने में समेटे रहती है।


Q8. कवि दिनकर के अनुसार किन लोगों की दृष्टि में जनता फूल या दुधमुंही बच्ची की तरह है और क्यों? कवि क्या कहकर उनका प्रतिवाद करता है ?

Ans :- जनता सचमुच बड़ी वेदना सहती है। जनता फूल की तरह है, जिसे अपना एहसास नहीं है। जब चाहो पत्तों-डालियों से उतार कर सजा ला या जनता कोई दूधमुंही बच्ची की तरह है जिसे बहलाने-बहकाने के लिए चार खिलौने ही पर्याप्त हों। वह बच्ची कुछ नहीं बोलती है, वह खेलती रहती है। जनता को सत्ता को लालच नहीं होती। उसे अपनी अनंत शक्ति का भी पता नहीं होता। भारतीय जनता भी ऐसी ही है। जनता की शक्ति के आगे राजतंत्र कमजोर और झूठा है।


Bihar board class 10 Hindi jantantra ka Janm subjective question 2023

Q9. निम्नलिखित पद्यांश की व्याख्या करें।

आरती लिए तू किसे ढूँढ़ता है मूरख, मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में ? देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे, देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में। – फावड़े और हल राजदंड बनने को हैं,
धूसरता सोने से शृंगार सजाती है। दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।

Ans :- प्रस्तुत पंद्यांश कविता जनतंत्र का जन्म से ली गई है। इसके कवि रामधारीसिंह दिनकर हैं। कवि के कहने का अर्थ यह है कि लोकतंत्र में जनता ही सब कुछ होती है। सारी शक्तियाँ. उसी में निहित है। वही देवता है, वही राजा है, वही लोकतंत्र है। अतः उसे पाने के लिए गाँवों में, खेतों में खलिहानों में, सड़कों पर जाना होगा। उसका वही मंदिर है, राजमहल है, तहखाना है। कवि कहता है कि लोकतंत्र का मूल राजदंड है-जनता का हल और कुदाल। इसी के द्वारा वह धरती से सोना पैदाकर लोकतंत्र को सबल और सुसम्पन्न करेंगे। इसलिए रास्ता शीघ्र दो और सिंहासन खाली करो।


Q10. “सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है, दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।’

Ans :- प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिनकर रचित कविता ‘जनतंत्र का जन्म’ से उद्धृत हैं।
भारत सदियों से गुलाम था। शासक कभी विदेशी थे तो कभी देशी। यह बुझी आग अब सुलग चुकी है। भारत की मिट्टी सोने का ताज पहनकर इठला रही है। समय का घर्घर नाद, नवजागरण की आवाज सबको सुननी चाहिए। अब लोग रास्ता प्रशस्त करें। सिंहासन अब खाली करें। अब भारत की जनता राजगद्दी पर बैठेगी।

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