Class 12th Geography ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर ) long Question Answer 2024 ( 15 Marks ) PART- 4

दोस्तों आज के इस पोस्ट में कक्षा 12 भूगोल ( Geography  ) का महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर दिया हुआ है। दोस्तों यह प्रश्न उत्तर आपके इंटर बोर्ड परीक्षा में ( 15 Marks ) के पूछे जाते हैं। Geography Class 12th ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर ) 2024 ( 15 Marks )  तथा यह सभी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसलिए शुरू से अंत तक दिए गए प्रश्न उत्तर को जरूर पढ़ें।

NOTE……..

दोस्तों इस पोस्ट में कक्षा 12 भूगोल का दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर दिया हुआ है जो कि आपके इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए अति आवश्यक है और यह प्रश्न उत्तर आपके इंटर बोर्ड परीक्षा 2024  में हमेशा पूछे जा चुके हैं इसलिए इन सभी प्रश्नों पर विशेष ध्यान दें


  • Geography Class 12th ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर ) 2024 ( 15 Marks ) PART- 4

Q31. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में उत्तरी अटलांटिक समुद्री मार्ग के महत्व का वर्णन कीजिए।

उत्तर यह मार्ग औद्योगिक दृष्टि से विश्व के दो सर्वाधिक विकसित प्रदेशों उत्तर-पर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी यूरोप को मिलाता है। विश्व का एक चौथाई विदेशी व्यापार इस मार्ग द्वारा परिवाहित होता है। इसलिए यह विश्व का व्यस्ततम व्यापारिक जलमार्ग है। इसे “वृहद् ट्रंक मार्ग” भी कहा जाता है। दोनों तटों परं पत्तन और पोताश्रय की उन्नत सुविधाएँ हैं। रोटरडम, लंदन, ग्लासगो, लीवरपुल, मैनेचेस्टर इत्यादि यूरोप के मुख्य पत्तन हैं। ये पतन उत्तर सागर, बाटिक सागर और इंगलिश चैनेल को एक दूसरे से जोड़ते हैं। दूसरी ओर संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के तट पर न्यूयार्क, बोस्टन, मांट्रियल, क्यूबेक इत्यादि पत्तन और सेंटलॉरेंस तथा महान झीलों के जलमार्ग द्वारा जुड़े टोरंटो पत्तन स्थित हैं। इस मार्ग से यूरोप से कृषि उत्पाद, कपड़ा, रसायन, मशीनें, उर्वरक, इस्पात, शराब इत्यादि अमेरिका और कनाडा को निर्यात की जाती है। इसी प्रकार अमेरिका और कनाडा से भारी मात्रा में खाने-पीने की वस्तुएँ, गेहूँ, मांस, रूई, तम्बाकू, कागज, मशीनें, परिवहन के उपकरण रसायन इत्यादि यूरोपीय देशों को निर्यात किए जाते हैं।


Q32. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पनामा नहर की महत्ता का वर्णन करें।

उत्तर पनामा नहर को प्रशांत महासागर का सिंहद्वार कहा जाता है। यह मध्य अमेरिका के पनामा देश में पनामा जलडमरूमध्य के आर-पार पनामा नगर और कोलोन के बीच बनायी गयी है। यह पश्चिम में प्रशांत महासागर को पूर्व में अटलांटिक महासागर से जोड़ती है। इसका निर्माण कार्य 1904 में शुरू हुया और 1914 में पूरा हुआ। इसपर पनामा देश की सरकार का स्वामित्व है। इसकी लम्बाई 72 1कमी०, न्यूनतम गहराई 13 मीटर तथा चौड़ाई 100-330 मीटर है। 

इससे प्रतिदिन 80 जहाज गुजरते हैं और एक जहाज को गुजरने में 8 घंटा का समय लगता है। नहर अत्यधिक ऊँचे-नीचे क्षेत्र से होकर गुजरती है जो गहरी कटान से युक्त है। इसमें छः जलबंधक तंत्र (लॉकगेट) हैं, जिनके द्वारा कहीं जहाज ऊपर उठाये जाते हैं और कहीं नीचे लाये जाते है। पनामा नहर के द्वारा न्यूयार्क से सैन-फ्रांसिस्को के बीच 13000 किमी०, न्यूयार्क से याकोहामा (जापान) के बीच 5440 किमी०, न्यूयार्क से ऑकलैंड (न्यूजीलैंड) के बीच 4000 किमी० और सैन फ्रांसिस्को से लिवरपुल (यू०के०) के बीच 8000 किमी० की दूरी कम हो गई है। इससे लाभान्वित क्षेत्र उत्तरी अमेरिका के पूर्वी और पश्चिमी तटीय क्षेत्र, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी व पश्चिमी देश, पश्चिमी यूरोप के देश तथा एशिया के पूर्वी देश हैं।


Q33. पत्तन किस प्रकार व्यापार के लिए सहायक होते हैं ?

उत्तर पत्तन समुद्र तट पर वह स्थान है, जहाँ दूसरे देशों से आयात किए गए माल को उतारा जाता है तथा देश के उत्पादित माल को निर्यात के रूप में बाहर भेजा जाता है। इस प्रकार यह एक “प्रवेश एवं निकास बिंदु” का कार्य करता है। यह अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अतः इसे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रवेश द्वार (तोरण) भी कहा जाता है। इसी के द्वारा जहाजी माल तथा यात्री विश्व के एक भाग से दूसर भाग को जाते हैं। पत्तन जहाज के ठहरने के लिए गोदी. सामान को लादने. उतारने तथा भंडारण हेतु सविधाएँ प्रदान करते हैं। इन सुविधाओं को प्रदान करने के लिए पत्तन के अधिकारी नौगम्य द्वारों का रख-रखाव, रस्सों व बजरों (छोटी अतिरिक्त नौकाएँ), जहाजों को खींचने वाली मशीनों, श्रम तथा प्रबंधकों इत्यादि की व्यवस्था करते हैं।


Q34. पत्तनों का वर्गीकरण उनकी अवस्थिति के आधार पर कीजिए।

उत्तर अवस्थिति के आधार पर पत्तन दो प्रकार के होते हैं
(i) अंतर्देशीय या आंतरिक पतन (Inland ports) ⇒ यह पतन समुद्र तट से दूर स्थित होते हैंकिन्तु किसी नदी या नहर द्वारा समुद्र से जुड़े होते हैं। चपटे तलों वाले जहाजों अथवा बजरों द्वारा हा य गम्य होते हैं। मैनचेस्टर और कोलकाता इसके उदाहरण हैं। मैनचेस्टर एक नहर पर तथा कोलकाता हुगली नदी पर स्थित हैं।

(ii) बाह्य पत्तन (Outports) ये गहरे पानी के पत्तन हैं, जो वास्तविक पत्तन से दर गहरे समुद्र में बनाए जाते हैं। जो जहाज अपने बड़े आकार के कारण या अधिक मात्रा में अवसाद एकात्रत हो जाने के कारण वास्तविक पत्तन तक नहीं पहुँच पाते, उन्हें बाह्य पत्तन लंगर डालने या खड़ा होने की सुविधा प्रदान कर वास्तविक पत्तनों की सहायता करते हैं। ग्रीस में एथेंस का बाह्य पत्तन पिरॉस इसका उदाहरण है।


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Q35. भारत में परिवहन के मुख्य साधन कौन-कौन से हैं? इनके विकास को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें।

उत्तर भारत में परिवहन के मुख्य साधन स्थल, जल और वायु हैं। स्थल परिवहन के अंतर्गत सड़क, रेलवे और पाइप लाइन; जल परिवहन के अंतर्गत अंत:स्थलीय और सागरीय व महासागरीय मार्ग; तथा वायु परिवहन के अंतर्गत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन आते हैं। इनमें सड़क परिवहन सर्वप्रमुख है, जिससे प्रतिवर्ष 85 प्रतिशत यात्री तथा 70 प्रतिशत भार यातायात का परिवहन किया जाता है। जल परिवहन ईंधन दक्ष तथा पारिस्थितिकी अनुकूल है तथा यह सस्ता साधन है और भारी तथा स्थूल सामग्री के परिवहन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। महासागरीय मार्ग विदेशी व्यापार के लिए सर्वप्रमुख है; भारत में भार के अनुसार 95% और मूल्य के अनुसार 70% विदेशी व्यापार इस मार्ग से होता है। भारत में परिवहन के साधन के विकास को प्राकृतिक, आर्थिक और राजनैतिक कारकों ने प्रभावित किया है “

(i) प्राकतिक कारक (Physical factors) मैदानी क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण आसान और सस्ता होता है, जबकि पहाड़ी और पठारी क्षेत्रों में कठिन एवं महँगा होता है। इसलिए मैदानी क्षेत्रों की सड़कें घनत्व और गुणवत्ता में अधिक ऊँचे, बरसाती तथा वनीय क्षेत्रों की तुलना में बढ़िया होती है। यही कारण है कि देश के उत्तरी मैदान में सड़क और रेलमार्ग का सघन जाल मिलता है, जबकि हिमालय, उ०पू० भारत और प० राजस्थान में इनका विरल जाल है।

(ii) आर्थिक कारक (Economic factors) आर्थिक दृष्टि से विकसित क्षेत्रों में परिवहन का सघन जाल मिलता है; क्योंकि इससे उत्पादक और उपभोक्ता क्षेत्रों के बीच सामानों का आदान-प्रदान होता है। भारत के मैदानी, व्यापारिक और औद्योगिक क्षेत्रों में रेल और सड़क दोनों मार्ग सघन है। समुद्रतटीय क्षेत्रों में महाराष्ट्र-गुजरात के सतीवस्त्रोद्योग, केरल के मसाले और पं० बंगाल के जूट उद्योग के कारण समुद्री मार्ग का भी विकास हुआ है और इन्हें आंतरिक क्षेत्र से जोड़ने के लिए रेल और सड़क मार्ग का भी।

(iii) राजनैतिक कारक (Political factors) ⇒ ब्रिटिश शासन काल में रेलों का विकास प्रमुख नगरों को जोड़ने और शासन की सुविधा के लिए किया गया, किन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति क बाद देश के सर्वांगीण विकास के लिए रेल और सड़क मार्ग का विकास हुआ।


Q36. “परिवहन के सभी साधन एक-दूसरे के पूरक होते हैं।” विवेचना करें।

उत्तर परिवहन एक ऐसा तंत्र है, जिसमें यात्रियों और माल को एक स्थान से दूसर स्थान लाया और ले जाया जाता है। परिवहन के मुख्य साधन स्थल, जल और वायु हैं। स्थल परिवहन के अन्तर्गत सड़क, रेलवे और पाइप लाइन, जल परिवहन के अन्तर्गत अन्तःस्थलीय, सागरीय और पदासागरीय मार्ग तथा वायु परिवहन के अन्तर्गत राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय वायु परिवहन आते हैं। ने सभी मार्ग हर जगह नहीं विकसित किये जा सकते हैं। जल परिवहन नहर, नदी, सागर और दासागर तक सीमित रहते. हैं। रेल परिवहन का विकास मुख्यतः समतल स्थलीय भागों में होता है और अधिक ऊँचाई पर इन्हें विकसित नहीं किया जा सकता है। इन सभी साधनों के विपरीत सडक परिवहन का विकास मैदानी, उबड़-खाबड़ और दूर-दराज के क्षेत्रों में भी हो सकता है। रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा तथा नदी और समुद्री बंदरगाह तक पहुँचने के लिए सड़क का सहारा लेना पड़ता है। लम्बी दूरी तय करने के लिए रेलवे और शीघ्र लम्बी दूरी तय करने के लिए वायु परिवहन उपयुक्त हैं। भारी पदार्थ का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मुख्यतः समुद्री मार्गों द्वारा होता है। इन सभी साधनों तक पहुँचने के लिए एक दूसरे साधन का प्रयोग करना पड़ता है। इस प्रकार एक . संबंधित परिवहन प्रणाली में परिवहन के सभी साधन एक दूसरे के पूरक होते हैं।


Q37. पाइपलाइन परिवहन से लाभ एवं हानि की विवेचना करें।

उत्तर तरल पदार्थों और गैसों की लंबी दूरी के परिवहन के लिए पाइप लाइन परिवहन का सबसे सुविधाजनक साधन है। नगरों में जल आपूर्ति के लिए पाइप लाइनों का उपयोग काफी समय से हो रहा है, लेकिन पेट्रोलियम एवं इसके उत्पादों का पाइपलाइनों द्वारा परिवहन एक अपेक्षाकृत नया विचार है। इनके द्वारा ठोस पदार्थों, यथा लोहा को भी
गाद या गारा में बदलकर परिवहन होता है। पाइपलाइन परिवहन से निम्नलिखित लाभ हैं.

(i) पाइपलाइन उबड़-खाबड़ भूमि और पानी के नीचे भी बिछाई जा सकती है।
(ii) इनके संचालन और रख-रखाव की लागत कम होती है।
(iii) इसमें ऊर्जा की बचत होती है। केवल कुछ स्थानों पर पंपिंग में ही कुछ ऊर्जा की खपत होती है, जो नगण्य है।
(iv) माल उतारने और लादने का झंझट नहीं होता है। अतः समय की बचत होती है।
(v) तेल का प्रवाह निरंतर बना रहता है। ट्रकों और रेलों की तरह माल को लेट पहुँचने की .. संभावना नहीं रहती है।
(vi) इसमें प्रदूषण का खतरा नहीं होता है। यह पर्यावरण हितैषी है।

पाइपलाइन परिवहन की कुछ हानियाँ भी हैं, जैसे

(i) इसमें लोच नहीं है। एक बार बिछाने के बाद इसकी क्षमता में वृद्धि नहीं हो सकती है।
(ii) इसकी सुरक्षा कठिन है।
(iii) भूमिगत पाइपलाइन की मरम्मत में कठिनाई होती है।
(iv) पाइप लाइन के टूट जाने पर पेट्रोलियम बह जाता है, कभी कभी इसमें आग लग जाती है और पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है।


Q38. भारत के आर्थिक विकास में रेलवे की भूमिका की विवेचना कीजिए।

उत्तर भारतीय रेल मार्ग एशिया में प्रथम स्थान रखता है। इसका देश के आर्थिक विकास म बड़ा योगदान है। रेलवे ने कृषि और उद्योगों के विकास की गति को तेज करने में योगदान दिया है। रेल यात्रियों की भारी संख्या को दूरदराज के स्थानों तक ले जाती है तथा रेलें भारी मात्रा माल की ढुलाई करती हैं। औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों के विकास में रेल परिवहन की मांग में आधक वृद्धि हुई है। यह निम्नलिखित उदाहरणों से स्पष्ट है

(i) कोयला रेलों द्वारा सबसे अधिक ढोया जाता है। 2001-2002 में रेल द्वारा 230 करोड़ टन कोयला ढोया गया है।
(ii) लौह अयस्क, मैंगनीज, चूना पत्थर आदि की ढुलाई औद्योगिक इकाइयों के लिए की गई है। ।
(iii) रेलवे उर्वरक, मशीन आदि को कृषि कार्य के लिए पहुँचाती रहती है।
(iv) रेलवे तैयार माल को बाजारों तक पहुँचाती हैं।
(v) विदेशों से आयात किये गये माल को देश के आंतरिक भागों तक पहुँचाती हैं।
(vi) रेलों द्वारा श्रमिक एक स्थाने से दूसरे स्थान को रोजगार के लिए जाते हैं।


Q39. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार क्या है? इससे देश कैसे लाभ प्राप्त करते हैं?

उत्तर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को कहते हैं। राष्ट्रों को व्यापार करने की आवश्यकता उन वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए होती है जिन्हें या तो वे स्वयं उत्पादित नहीं कर सकते या जिन्हें वे अन्य स्थान से कम दाम में खरीद सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण तथा आवश्यकता से अधिक उत्पादन का परिणाम है। किसी भी सामग्री का अधिक मात्रा में उत्पादन ही यह सुनिश्चित करता है कि वह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सम्मिलित किया जाएगा। इस प्रकार आयात और निर्यात अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के दो पहलू हैं, और आयातक और निर्यातक देश एक दूसरे के पूरक होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार हैं प्राकृतिक संसाधनों में असमानता, आवश्यकता से अधिक उत्पादन, वस्तुओं की कमी, परिवहन और संचार का विकास, प्रौद्योगिकी में असमानता, सांस्कृतिक विशिष्टता, व्यापारिक नीतियाँ, शान्ति और राजनीतिक स्थिरता, राजनीतिक संबंध और आर्थिक माँग। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वस्तुओं और सेवाओं के तुलनात्मक लाभ, परिपूरकता व हस्तांतरणीयता के सिद्धांतों पर आधारित होता है और सिद्धान्ततः यह व्यापारिक भागीदारों को समान रूप से लाभदायक होना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से देशों को निम्न लाभ पहुँचते हैं– 

(i) देश उन वस्तुओं का आयात कर सकते हैं जिनका उनके यहाँ उत्पादन नहीं होता तथा सस्ते मूल्य पर खरीदा जा सकता है।
(ii) देश अपने यहाँ अतिरिक्त उत्पादन को उचित मूल्य पर अन्य देशों को बेच सकते हैं, जिससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि होगी।
(iii) देश अपने विशिष्ट उत्पादन का निर्यात कर सकते हैं, जिससे विश्व अर्थव्यवस्था में सुधार आता है।
(iv) आधुनिक युग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के अंतर्गत प्रौद्योगिक ज्ञान तथा अन्य बौद्धिक सेवाओं का भी आदान-प्रदान किया जाता है, जिससे दोनों देशों को लाभ पहुँचता है।

(v) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से देशों के बीच आपसी सहयोग और भाईचारा बढ़ता है।


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Q40. कार्यों के आधार पर शहरों का वर्गीकरण करें।

उत्तर कार्य नगरों के उदय और विकास का आधार है। प्रत्येक नगर या शहर अनेक प्रकार के कार्य करता है और विशेषीकृत सेवाओं का निष्पादन करता है। कुछ नगरों को कुछ निश्चित कार्यों में विशिष्टता प्राप्त होती है और उन्हें कुछ विशिष्ट क्रियाओं, उत्पादनों या सेवाओं के लिए जाना जाता है। प्रमुख अथवा विशेषीकृत कार्यों के आधार पर नगरों को मोटे तौर
पर निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जाता है

(i) प्रशासनिक नगर और शहर उच्चतर स्तर के प्रशासनिक मुख्यालयों वाले शहरों का प्रशासनिक नगर कहते हैं। जैसे नई दिल्ली, चंडीगढ. गाँधीनगर, गुवाहाटी इत्यादी
(ii) औद्योगिक नगर जिन नगरों में औद्योगिक कार्य की प्रधानता है, उन्हें औद्योगिक नगर कहते हैं। जैसे—जमशेदपुर, मुंबई, कोयंबटूर आदि।
(iii) परिवहन नगर परिवहन कार्य की प्रधानता वाले रेलवे या सड़क जंक्शन, पत्तन इत्यादि परिवहन नगर कहलाते हैं। जैसे—कांडला, मुगलसराय आदि।
(iv) व्यापारिक नगर व्यापार और वाणिज्य में विशिष्टता प्राप्त नगर इस कोटि में आते हैं, जैसे—कोलकाता, सहारनपुर, सतना इत्यादि।
(v) खनन नगर ⇒ खनन क्षेत्रों में विकसित रानीगंज, झरिया, डिगबोई इत्यादि इस वर्ग में आते हैं।
(vi) गैरिसन (छावनी नगर) ⇒ फौजी छावनी के रूप में विकसित अंबाला, उधमपुर, दानापुर इत्यादि इस प्रकार के नगर हैं।
(vii) धार्मिक और सांस्कृतिक नगर धार्मिक या सांस्कृतिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध वाराणसी, मथुरा, हरिद्वार इत्यादि इस वर्ग के नगर हैं।
(viii) नगर शिक्षा केंद्रों के रूप में विकसित अलीगढ़, वाराणसी, ऑक्सफोर्ड इत्यादि शैक्षणिक नगर हैं।
(ix) पर्यटन नगर ⇒ नैनीताल, मसूरी, शिमला, ऊटी इत्यादि पर्यटन के लिए मशहूर हैं।

बिहार बोर्ड कक्षा 12 भूगोल का लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर 2024

S.N  भूगोल ( लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर ) 20 Marks 
1 Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 1
2. Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 2
3. Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 3
4. Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 4
5. Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 5
6. Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 6
7. Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 7
8. Geography ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) PART – 8