Political Science Class 12th ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर ) 2024 ( 15 Marks ) | PART – 4

इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए यहां पर आज के इस पोस्ट में राजनीति विज्ञान ( Political Science ) का दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर दिया गया है। यह प्रश्न उत्तर इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 में ( 15 Marks ) के पूछे जाएंगे। इसलिए राजनीति विज्ञान कक्षा 12 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को शुरू से अंत तक जरूर पढ़ें।


Political Science Class 12th ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर ) 2024 ( 15 Marks ) | PART – 4

Q30. अयोध्या स्थित विवादित ढाँचे (राम मंदिर अथवा बाबरी मस्जिद) के अक्टूबर 1992 के विध्वंस से लेकर बाद की घटनाओं का एक लेख के रूप में विवरण दीजिए।

उत्तर ⇒ 1. अयोध्या में जो हिंदू संगठन राम मंदिर (एक भव्य और नए मंदिर) के निर्माण का समर्थन कर रहे थे उन्होंने 1992 के दिसंबर में एक कार सेवा’ कार्यक्रम का आयोजन किया। इसके अंतर्गत रामभक्तों का आह्वान किया गया कि वे अयोध्या पहुँचकर राम मंदिर के निर्माण में श्रमदान करें।

2. भाजपा, आर.एस.एस. विश्व हिंदू परिषद्, शिव सेना, बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी, आदि के आह्वान पर कार सेवा के इच्छुक लोग बड़ी संख्या में अयोध्या पहुँचे। देश में माहौल तनावपूर्ण हो गया। अयोध्या में यह तनाव सबसे ज्यादा दिखाई दिया।
3. मान्यवर सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह विवादित स्थल की सुरक्षा का पूरा प्रबंध करे। जो भी हो 6 दिसंबर 1992 को उत्तर प्रदेश की सरकार उस स्थल की रक्षा नहीं कर सकी और उस ढाँचे को लोगों ने धराशायी कर दिया।
4. मस्जिद के विध्वंस के समाचार से देश के कई भागों में हिन्दू और मुसलमानों के बीच झड़प हुई। 1993 के जनवरी में एक बार फिर मुंबई में हिंसा भड़की और अगले दो हफ्तों तक जारी रही। अयोध्या की घटना से कई बदलाव आए। उत्तर प्रदेश में सत्तासीन भाजपा की राज्य सरकार को केंद्र ने बर्खास्त कर दिया। इसके साथ ही दूसरे राज्यों में भी, जहाँ भाजपा की सरकार थी, राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। चूँकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस बात का शपथ पत्र दिया था कि ‘विवादित ढाँचे’ की रक्षा की जाएगी इसलिए सर्वोच्च न्यायालय में उनके विरुद्ध अदालत की अवमानना का मुकदमा दायर हुआ।
5. भारतीय जनता पार्टी ने अधिकारिक तौर पर अयोध्या में घटित होने वाली घटना पर गहरा खेद व्यक्त किया। एक जाँच आयोग नियुक्त किया गया और उसने सरकार के निर्देशानुसार उन घटनाओं की जाँच शुरू की जिनकी वजह से अयोध्या स्थित प्राचीन ऐतिहासिक मस्जिद का विध्वंस हुआ। अनेक नेताओं ने देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप पर सवाल उठाए। धर्म के नाम पर हिंसा कोई भी सरुप्रदाय करे या कोई राजनीतिक पार्टी करे चाहे वह 1984 के सिख विरोधी दंगे हों या 1992-93 में हुए साम्प्रदायिक दंगे मुम्बई एवं अन्य शहरों और स्थानों में हुए हों या 2002 में फरवरी मार्च में गुजरात में हिंदू या मुसलमानों के विरुद्ध हुए हों। दंगों में दोनों सम्प्रदायों और अनेक निर्दोष अन्य धर्मावलंबियों की भी जान, मान और माल को हानि पहुँचती है।
सर्वोच्च न्यायालय ने नवम्बर, 2019 को अपने फैसले में अयोध्या में रामलला मंदिर के अस्तित्व को स्वीकार कर लिया है। मुस्लिमों को अलग 5 एकड़ जमीन दी गई है। अतएव यह समस्या का अंत हो गया।


Q31. शांति स्थापना कार्यवाही से आप क्या समझते हैं ? उसमें भारत की भूमिका का वर्णन कीजिए।

उत्तर ⇒ विश्व शांति की स्थापना में संयुक्त राष्ट्र ने महत्वपूर्ण कार्य किया है। 1950-60 के दशकों में विश्व के विभिन्न भागों में विवाद उत्पन्न हुए। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत तथा संयक्त राष्ट के अधीन विश्वशांति की स्थापना के लिए अहम भूमिका निभायी। इसके लिए भारत ने अपनी सेनाएँ भेज कर योगदान दिया। भारतीय सेना ने कुछ अत्यंत कठिन मिशन में भाग लिया और काफी नुकसान उठाते हुए शांति स्थापित करायी। भारत ने कोरिया में युद्ध पीड़ितों और घायलों की सेवा के लिए पैरामेडिकल युनिट का प्रावधान किया। कोरिया में 1953 में युद्ध विराम के बाद भारत को तटस्थ राष्ट्र आयोग (Neutral Nations Repatitation Commission) का चेयरमैन नियुक्त किया गया। भारत ने मध्य एशिया में शांति स्थापना में भी मदद की है। यूनाइटेड नेशन्स इमरजेन्सी फोर्स (UNEF) अर्थात् संयुक्त राष्ट्र आपात सेना 1956 में भारत ने इन्फेन्ट्री बटालियन उपलब्ध करायी। यह कार्यक्रम 11 वर्ष तक 1956 से 1967 तक चलाया गया। भारत 1954 में अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण आयोग (International Control Commission) का चेयरमैन रहा जिसने वियतनाम और लाओस, कम्बोडिया और फ्रांस में युद्ध विराम लागू कराया। 1970 तक भारत ने अपनी इन्फैन्ट्री बटालियन को भेजा। 1960 में, कांगो में भी भारतीय सेना के मानवतापूर्ण कार्यों और अनुशासन की बड़ी प्रशंसा हुई थी। यमन में 1960 में, साइप्रस में संयुक्त राष्ट्र आपरेशन के तहत तथा ईरान-इराक सीमा विवाद के तहत भारत ने सहायता दी। फार्स कमाण्डर तथा आवजर्वर भेजे गये। संयुक्त राष्ट्र नामाबिया ऑपरेशन में भी कोर्स कमांडर भारतीय अफसर ही था। मोजाम्बिक में विदेशी सेना को वापस भेजना तथा निर्वाचन में संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गयी कार्यवाही में भी भारत ने अपने अफसर तथा इंजीनियरों को भेजा। विश्व के अधिकांश भागों में भारत ने इस प्रकार के शांति प्रयासों में कदम उठाए हैं। अफ्रीकी एशियाई एकता तथा संयुक्त राष्ट्र में शांति स्थापना के प्रयासों में भारत अपनी जोरदार आवाज उठाता रहा है।


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Q32. संयुक्त राष्ट्र का महासचिव पर संक्षिप्त संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर ⇒ संयुक्त राष्ट्र महासचिव ( The Secretary General of United Nations) – संयुक्त राष्ट्र के कार्यों का संचालन करने के लिए एक सचिवालय है। इसके अध्यक्ष को महासचिव कहा जाता है। सर्वप्रथम नार्वे के त्रिगवेली प्रथम महासचिव बने थे। वर्तमान महासचिव काफी अन्नान हैं। ये दोबारा निर्वाचित हुए हैं। महासचिव के प्रमुख कार्य निम्नलिखित होते हैं –

1. महासचिव सुरक्षा परिषद, आर्थिक तथा सामाजिक परिषद आदि की बैठकों को आमंत्रित करता है।
2. संघ के विभिन अंगों के द्वारा लिये गये निर्णयों को लागू करता है।
3. यदि विश्व में कहीं भी शांति को खतरा पैदा होता है तो उसकी सूचना सुरक्षा परिषद को देता है।
4. सचिवालय के सारे कार्यों की रिपोर्ट महासभा को देता है।
5. अंतर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाना, अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का सर्वेक्षण, अंतराष्ट्रीय गोष्ठियों का आयोजन आदि।


Q33. गुजरात के मुस्लिम विरोधी दंगे, 2002 पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए। –

उत्तर ⇒ पृष्ठभूमि (Background) – कहा जाता है गोधरा (गुजरात) रेलवे स्टेशन पर एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी इस हिंसा का तात्कालिक उकसाना बहुत ही हानिकारक और दुखदायी साबित हुआ। अयोध्या (उत्तर प्रदेश) की ओर से आ रही एक रेलगाड़ी की बोगी कार सेवकों से भरी हुई थी और न जाने किस कारण से उसमें आग लग गई।
इस आग की दुर्घटना में 57 व्यक्ति जीवित जलकर मर गए। कुछ लोगों ने यह अफवाह फैला दी कि गोधरा के खड़े रेल के डिब्बे में आग मुसलमानों ने लगायी होगी अथवा लगवाई होगी।
अफवाहें बड़ी खतरनाक और हानिकारक होती है। गोधरा की दुर्घटना से जुड़ी-अफवाह जंगल की आग की तरह संपूर्ण गुजरात में फैल गई। अनेक भागों में मुसलमानों के विरुद्ध बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। हिंसा का यह तांडव लगभग एक महीने तक चलता रहा। लगभग 1100 व्यक्ति इस हिंसा में मारे गए। मुसलमानों के विरुद्ध हुए दंगों को रोकने के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने पीड़ित भुक्तभोगियों के परिजनों को राहत देने और दोषी दंगाईयों को तुरंत कानून के हवाले करने एवं पर्याप्त दंड देने के लिए कहा गया। आयोग का यह कहना था पुलिस और सरकारी मशीनरी ने अपने राजधर्म का निर्वाह नहीं किया है सरकार ने अनेक लोगों को राहत दी है। अनेक लोगों पर मुकदमें चल रहे हैं लेकिन यह मानना पड़ेगा कि आतंकवाद और साम्प्रदायिकता के कारण दंगे करना या कराना हमारे देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था (System) के किसी भी तरह से अनुकूल नहीं है।


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Q34. भारत अमेरिका समझौता का वर्णन करें।

उत्तर ⇒ भारत की परमाणु नीति दो बातों पर निर्भर करती है। भारत के पड़ोसी चीन और पाकिस्तान परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र हैं, अतः सुरक्षात्मक आवश्यकता है कि भारत परमाणु शक्ति सम्पन्न दुश्मनों से अपनी सुरक्षा व्यवस्था निश्चित करने के लिए परमाणु नीति को अपनाये। परमाणु नीति के संदर्भ में दूसरी बात यह है कि भारत को अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए परमाणु संयंत्रों की जरुरत है –
1974 तथा बाद में 1999 में दो बार भारत परमाणु परीक्षण कर चुका है। इस कारण अमेरिका सहित विश्व के सभी विकसित राष्ट्रों का इसे कोपभाजन होना पड़ा। फिर भी भारत ने स्पष्ट किया कि उसके सभी परीक्षण शांतिपूर्ण कार्यों के लिए हैं।
भारत पर अमेरिका द्वारा प्रारंभ से ही एन० पी० टी० तथा सी. टी० बी० टी० जैसे संधियों पर हस्ताक्षर करने का दबाव पड़ता रहा है। इसका अर्थ है कि भारत परमाणु परीक्षण नहीं कर सकता है। भारत इन संधियों को भेदभाव पूर्ण मानता है। भारत की स्पष्ट नीति है कि जबतक विश्व के कुछ देश परमाणु शक्ति सम्पन्न रहेंगे या परमाणु परीक्षण का अधिकार रखेंगे, तब तक भारत अपने को इससे वंचित रखने का निर्णय नहीं ले सकता है। भारत की घोषणा है –

(i) भारत हथियारों की दौड़ से बाहर रहकर आवश्यक परमाणु अवरोधक शक्ति बना रहेगा।
(ii) भारत भविष्य में भूमिगत परमाणु विस्फोट नहीं करेगा।
(iii) भारत ने स्वेच्छा से इनका पहले प्रयोग न करने के सिद्धांत को स्वीकार किया है। बदलते संदर्भ में परमाणु कार्यक्रमों को जारी रखते हुए भारत अमेरिका से अपने संबंध सुधारने तथा आवश्यक समझौता करने का निर्णय लिया। इस हेतु प्रयत्न वाजपेयी सरकार के समय से ही किया जा रहा था। अंतत: 2008 में राष्ट्रपति बुश तथा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच समझौता सम्पन्न हुआ। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 2016 में आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, तकनीकी एवं हथियार संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किया है जिसके कारण दोनों देशों का संबंध अधिक मधुर हुआ है। 24 एवं 25 फरवरी, 2020 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत आकर प्रधानमंत्री मोदी के साथ विभिन्न तरह के समझौतों पर हस्ताक्षर किया है।


Q35. पुर्तगाल से गोवा मुक्ति का संक्षेप में विवरण दीजिए। अथवा, गोवा का भारत में विलय किस प्रकार हुआ?

उत्तर ⇒ भारत में गोवा का विलय आसानी से नहीं हुआ। इसका कारण पुर्तगालियों फ्रांसीसीयों का जिद्दी दृष्टिकोण था। वह इसे अपनी इज्जत का चिह्न समझते थे और वे इसे अपने नियंत्रण में रखना चाहते थे। उनका यह दृष्टिकोण भारतीय दृष्टिकोण के बिल्कुल विपरीत था जो इसे पुर्तगालियों द्वारा भारत के आक्रमण की कार्यवाही और उसे जबरदस्ती हथियाये रखने का अपने देश के सम्मान के लिए एक धब्बा मानते थे। भारतीय सरकार ने भरसक कोशिश की कि पुर्तगालियों को गोवा छोड़कर जाने के लिए राजी करे। गोवा को प्राप्त करने के लिए पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में अपना कार्यालय खोला ताकि वहाँ की सरकार को गोवा छोड़ने के लिए राजी किया जा सके लेकिन आखिरकार 1953 को यह कार्यालय बंद कर दिया गया क्योंकि, भारत के तमाम कूटनीतिज्ञ प्रयास विफल रह गए।
अब भारतवासियों ने गोवा राष्ट्रीय कमेटी का गठन किया ताकि गोवा में आजादी के कार्य के लिए संलग्न सभी राष्ट्रवादी पार्टियों की गतिविधियों में सामंजस्य स्थापित किया जा सके और गोवा को भारत संघ में शामिल किया जा सके। 18 जून, 1954 को अनेक सत्याग्रही कैद कर लिए गए जब उन्होंने गोवा में भारतीय ध्वज लहराया। 22 जुलाई को क्रांतिकारियों ने दादर-नागर हवेली को आजाद करा लिया इस कार्य में जनसंघ और गोवावादी लोगों की पार्टी (Goan Peoples party) का संयुक्त रूप से क्रांतिकारियों को समर्थन प्राप्त था। 15 अगस्त, 1955 को गोवा की आजादी ने एक नाटकीय मोड़ लिया। इस दिन हजारों भारतवासी चलकर गोवा में प्रवेश कर गए। ऐसा ही दमन और दीव में भी हुआ। इस प्रक्रिया में 200 प्रदर्शनकारी शहीद हो गए। पुर्तगाल की इस गलत कार्यवाही से भारत भौंचक्का रह गया। हमारे प्रधानमंत्री ने पुर्तगालियों की निंदा की। सभी प्रमुख शहरों में हड़ताल हुई। नवंबर 1961 में पुर्तगालियों ने भारत के एक जहाज पर हमला करके कुछ लोगों को मार दिया। अंततः भारतीय सेना ने कारवाई की और ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) की कार्यवाही रंग लाई। 19 दिसंबर, 1961 को गोवा व दमन दीव पूरी तरह आजाद हो गया।


Q36. हमारी राजव्यवस्था के निम्नलिखित पक्ष पर आपातकाल का क्या असर हुआ ?

(a) नागरिक अधिकारों की दशा और नागरिकों पर इसका असर।
(b) कार्यपालिका और न्यायपालिका के संबंध।
(c) जनसंचार माध्यमों के कामकाज।
(d) पुलिस और नौकरशाही की कार्रवाइयाँ।

उत्तर ⇒ (a) सबसे बड़ी बात यह हुई कि आपातकालीन प्रावधानों के अंतर्गत नागरिकों के विभिन्न मौलिक अधिकार निष्प्रभावी हो गए। उनके पास अब यह अधिकार भी नहीं रहा कि मौलिक अधिकारों की बहाली के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएँ। सरकार ने निवारक नजरबंदी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया। इस प्रावधान के अंतर्गत लोगों को गिरफ्तार इसलिए नहीं किया जाता कि उन्होंने कोई अपराध किया है बल्कि इसके विपरीत इस प्रावधान के अंतर्गत लोगों को इस आशंका से गिरफ्तार किया जाता है कि वे कोई अपराध कर सकते हैं। सरकार ने आपातकाल के दौरान निवारक नजरबंदी अधिनियमों का प्रयोग करके बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियाँ की। जिन राजनीतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया वे बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का सहारा लेकर अपनी गिरफ्तारी को चुनौती भी नहीं दे सकते थे। आपातकाल का विरोध और प्रतिरोध की कई घटनाएँ घटीं। पहली लहर में जो राजनैतिक कार्यकर्ता गिरफ्तारी से बच गए थे वे भूमिगत हो गए आर सरकार के खिलाफ मुहिम चलाई।

(b) गिरफ्तार लोगों अथवा उनके पक्ष से किन्हीं और ने उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में कई मामले दायर किए, लेकिन सरकार का कहना था कि गिरफ्तार लोगों को गिरफ्तारी का कारण बताना कतई जरूरी नहीं है। अनेक उच्च न्यायालयों ने फैसला दिया कि आपातकाल की घोषणा के बावजूद अदालत किसी व्यक्ति द्वारा दायर की गई ऐसी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को विचार के लिए स्वीकार कर सकती है जिसमें उसने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी हो। 1976 के अप्रैल माह में सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने उच्च न्यायालयों के फैसले को उलट दिया और सरकार की दलील मान ली। इसका आशय यह था कि सरकार आपातकाल के दौरान नागरिक से जीवन और आजादी का अधिकार वापस ले सकती है। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से नागरिकों के लिए अदालत के दरवाजे बन्द हो गए। इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय के सर्वाधिक विवादास्पद फैसलों में एक माना गया।

(c) आपातकालीन प्रावधानों के अंतर्गत प्राप्त अपनी शक्तियों पर अमल करते हुए सरकार ने प्रेस का आजादी पर रोक लगा दी। समाचारपत्रों को कहा गया कि कुछ भी छापने से पहले अनुमति लेनी जरूरी है। इसे प्रेस सेंसरशिप के नाम से जाना जाता है।
‘इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘स्टेट्समैन’ जैसे अखबारों ने प्रेस पर लगी सेंसरशिप का विरोध किया। जिन समाचारों को छापने से रोका जाता था उनकी जगह ये अखबार खाली छोड़ देते थे। “सेमिनार’ और ‘मेनस्ट्रीम’ जैसी पत्रिकाओं ने सेंसरशिप के आगे घुटने टेकने की जगह बंद होना मुनासिब समझा। सेंसरशिप को धत्ता बताते हुए गुपचुप तरीके से अनेक न्यूजलेटर और लीफलेट्स निकले।

(d) पुलिस की ज्यादतियाँ बढ़ गईं। पुलिस हिरासत में कई लोगों की मौत हुई। नौकरशाही मनमानी करने लगे। बड़े अधिकारी, समय की पाबंदी और अनुशासन के नाम पर तानाशाही नजरिए से हर मामले में मनमानी करने लगे। पुलिस और नौकरशाही ने जबरदस्ती परिवार नियोजन को थोपा। अनाधिकृत ढाँचे गिराए। रिश्वतखोरी बढ़ गई।


Q37. संयुक्त राष्ट्र की कुछ उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।

उत्तर ⇒ संयुक्त राष्ट्र की विधिवत् स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 ई० को हुई। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य विश्व शांति की स्थापना था। अपनी स्थापना के बाद अब तक की संयुक्त राष्ट्र की कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित थीं :

1. इसमें फिलिस्तीन समस्या को हल किया और यहूदियों के लिए 1948 ई. में इजरायल राज्य की स्थापना की।
2. इसने कोरिया तथा हिंद-चीन के युद्ध को समाप्त कराया और कोरिया
की स्वाधीनता पर आँच नहीं आने दी।
3. इसने इंडोनेशिया से डच सेनाओं को वापस लौटने के लिए मजबूर किया। इस प्रकार 1948 ई० में स्वतंत्र इंडोनेशिया का उदय हुआ।
4. इसने 1948 और 1965 में कश्मीर की सीमा पर भारत और पाकिस्तान के युद्ध को बंद कराया।
5. इसने इंगलैंड और मिस्र के बीच स्वेज नहर के झगड़े का अंत कराया। इसने मलाया, लीबिया, ट्यूनेशिया, घाना तथा टोगोलैंड आदि देशों को स्वतंत्र करने में पूरी-पूरी सहायता की।
6. इसने कांगो में शांति स्थापित कराने में पूरी-पूरी सहायता की। इसने सोवियत रूस और अमेरिका (दो गुटों) के आपसी मतभेदों और तनावों को कम किया। 7. इसने विनाशकारी शस्त्रों की रोकथाम के लिए समय-समय पर बड़े राष्ट्र के शिखर सम्मेलन बुलाए।
8. संयुक्त राष्ट्र संघ ने ईरान और इराक के बीच आठ वर्षों से चले आ रहे युद्ध को 1988 ई. में समाप्त केरवा कर एक और सफलता प्राप्त की।


Q38. भारत को संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता से क्या लाभ हुए ?

उत्तर ⇒ जहाँ एक ओर विश्व के राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र को सहयोग देते हैं, वहाँ दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र की विशेष संस्थाओं ने भारत की शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक, तकनीकी तथा वैज्ञानिक उन्नति में सराहनीय योगदान दिया है, जिसका वर्णन निम्न प्रकार हैं –

1. उत्तर प्रदेश के तराई प्रदेश को कृषि योग्य बनाने में खाद्य एवं कृषि संगठन ने बहुत सहायता दी है। राजस्थान में रेगिस्तान के प्रसार को रोकने तथा इसे हरा-भरा बनाने में भी यह संगठन प्रयत्नशील हैं।
2. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में जनस्वास्थ्य के लिए प्रशंसनीय कार्य किये। डी. डी. टी. तथा तपेदिक निवारण के लिए बी० सी० जी० वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराये हैं। चिकित्सा क्षेत्र में उच्च अध्ययन के लिए अनेक छात्रवृतियाँ भी दी हैं।
3. शैक्षिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में भी भारत को संयुक्त राष्ट्र से काफी मदद मिली है। इसकी विशेष संस्था ‘यूनेस्को’ ने भारत में शिक्षा-प्रसार में यथेष्ट योगदान दिया है। तकनीकी क्षेत्र में । विभिन्न देशों से अध्यापकों एवं छात्रों के आदान-प्रदान करने में तथा अन्य देशों में सांस्कृतिक संपर्क बढ़ाने में भारत को यूनेस्को से सहायता मिली है।
4. भारत के आर्थिक विकास में भी संयुक्त राष्ट्र ने अनेक प्रकार से सहायता पहुँचाई है। विश्व बैंक ने पंचवर्षीय योजनाओं के लिए ऋण भी दिये हैं। अनेक योजनाओं को सफल बनाने के लिए हमें तकनीकी विशेषज्ञों का परामर्श भी उपलब्ध हुआ है।


Q39. निःशस्त्रीकरण को परिभाषित करें। निःशस्त्रीकरण के मुद्दे पर भारत क्या भूमिका निभाता रहा है ?

उत्तर ⇒ निःशस्त्रीकरण का अर्थ है, विश्व शांति के लिए घातक हथियारों पर रोक लगाना। निःशस्त्रीकरण में भारत की भूमिका निम्नलिखित है –

(a) भारत ने घोषणा की कि :
(i) भारत हथियारों की दौड़ से बाहर रहकर आवश्यक न्यूनतम परमाणु अवरोधक शक्ति बना रहेगा।
(ii) भारत भविष्य में भूमिगत परमाणु विस्फोट नहीं करेगा।
(iii) परमाणु हथियारों के संदर्भ में भारत ने स्वेच्छा से इनको पहले प्रयोग न करने के सिद्धांत को स्वीकार किया।

(b) भारत ने विश्व समुदाय के समझ ‘पहले प्रयोग न करने’ के समझौते को परमाणु हथियारों की समाप्ति की ओर एक कदम के रूप में सुझाया।
(c) भारत, संयुक्त राष्ट्र में नि:शस्त्रीकरण के मुद्दे पर सक्रिय भूमिका निभाता रहा है। यह जेनेवा निःशस्त्रीकरण आयोग का एक सदस्य था। डॉ. होमी जहाँगीर भाभा 1955 में संयुक्त राष्ट्र के परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग के लिए हुए प्रथम सम्मेलन के निर्वाचित अध्यक्ष थे। भारत ने 1957 में वियना में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आई. ए. ई. ए.) के गठन में निर्णायक भूमिका निभाई थी।
(d) भारत ने 1988 में निःशस्त्रीकरण को समर्पित संयुक्त राष्ट्र महासभा में विश्व को परमाणु हथियारों से मुक्त और अहिंसक विश्व व्यवस्था बनाने के लिए एक कार्य योजना प्रस्तुत की।


Class 12th Political Science Objective Question 2024

   S.N Class 12th Political Science Objective Question 2024
   1.   शीत युद्ध का दौर
   2.   दो ध्रुवीयता का अंत
   3.  समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व
   4.   सत्ता के वैकल्पिक केंद्र 
   5.   समकालीन दक्षिण एशिया
   6.   अंतरराष्ट्रीय संगठन 
   7.   समकालीन विश्व में सुरक्षा
   8.   पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन
   9.   वैश्वीकरण
  10.   राष्ट्र निर्माण की चुनौतियां
  11.  एक दल के प्रभुत्व का दौर
  12. नियोजित विकास की राजनीति
 13. भारत के विदेशी संबंध
 14. कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियां और पुनर्स्थापना
 15. लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट
 16. जन आंदोलन का उदय
 17.  क्षेत्रीय आकांक्षाएं
 18. भारतीय राजनीति : नए बदलाव