कक्षा 12 राजनीति विज्ञान लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर 2024 ( Part – 4 ) | Intermediate Exam 2024 Bihar Board

अगर आप कक्षा बारहवीं के छात्र हैं और इस बार इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपके लिए कक्षा 12 राजनीतिक शास्त्र का लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर दिया हुआ है जो कि आने वाले इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है और साथ में यहां पर ( Inter Board Exam 2024 Political Science Question Answer ) बिहार बोर्ड कक्षा 12 राजनीतिक शास्त्र का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर भी मिल जाएगा।

दोस्तों यह सभी प्रश्न आपके इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए बहुत-बहुत महत्वपूर्ण है राजनीति शास्त्र का लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर इसलिए इन सभी प्रश्नों को याद जरूर करें तथा अपने कॉपी में लिख ले ताकि आने वाले इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए कोई दिक्कत का सामना ना करना पड़े।

राजनीतिक शास्त्र ( लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर ) |PART – 4

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Q.101. कृषि क्षेत्र में सुधार लाने के लिए क्या प्रयत्न किए गये ?

Ans :-असमानता को दूर करने के लिए भूमि सुधार किया गया तथा उत्पादन में वृद्धि लाने के लिए उन्नत बीजों का प्रयोग किया गया। सिंचाई सुविधाओं का विस्तार किया गया। कृषि में आधुनिक मशीनों तथा उपकरणों का प्रयोग में लाया गया।


Q.102. भारत अमेरिकी सम्बन्धों की उत्पत्ति कैसे हुई ?

Ans :- भारत और अमेरिका के सम्बन्ध पुराने हैं। स्वतंत्रता-प्राप्ति से पूर्व राष्ट्रीय आन्दोलन के समय से ही अमेरिका भारत के प्रति सहानुभूति रखता था और उसने भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन को सहारा दिया था। इस हेतु द्वितीय विश्वयुद्ध के काल में अमेरिका ने ब्रिटेन पर दबाव बनाया कि भारत को भी आत्मनिर्णय का अधिकार मिलना चाहिए। भारत के लोगों के प्रति अमेरिका की सहानुभूति सोवियत प्रभाव को रोकने के उद्देश्य से भी थी।


Q.103. पंचायती राज व्यवस्था में त्रिस्तरीय प्रणाली से आपका क्या अभिप्राय है?

Ans :-त्रिस्तरीय प्रणाली का कार्य है-ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत होगी जिसके दायरे में एक अथवा एक-से ज्यादा गाँव होंगे। उसके बाद समिति अथवा प्रखंड स्तर पर पंचायत समिति होगी तत्पश्चात् जिला स्तर पर जिला परिषद् होगा। इसके अधीन जिले का पूरा ग्रामीण क्षेत्र आयेगा। परन्तु जिन राज्यों की जनसंख्या 20 लाख नहीं होगी, उन राज्यों की समिति स्तर पर पंचायतों के गठन न करने
का विशेषाधिकार प्राप्त है।


Q.104. पंचायत समिति की आय के क्या स्रोत हैं ?

Ans :- पंचायत समिति की आय के स्रोत निम्नलिखित हैं
(i) पंचायत समिति को राज्य सरकार द्वारा दिया गया धन है जो कि गाँव के विकास के लिए दिया जाता है।
.. (ii) पंचायत समिति कई प्रकार के लोगों को लाइसेंस देती है। इससे भी उसे आय की आमदनी होती है।
(iii) यह पंचायत स्तर पर मेलों, पशु मंडलियों और विभिन्न प्रदर्शनियों का आयोजन करती है। उससे भी उसे धन की प्राप्ति होती है।
(iv) पंचायत समिति की अपनी कुछ सम्पत्ति होती है, उस सम्पत्ति से भी विभिन्न प्रकार से . प्राप्त होती है।


Q.105. भारत में साम्प्रदायिकता की स्थिति पर टिप्पणी करें।

Ans :- साम्प्रदायिकता की जड़ भारत में बहुत पुरानी है। समस्या का जन्म वास्तव में अंग्रेजों की – ‘फूट डालो और शासन करो’ की नीति के कारण हुआ। अंग्रेजों ने यहाँ अपने पाँव जमाने के लिए  तत्कालीन प्रेम, भाईचारे पर आधारित सामाजिक संरचना और सहिष्णुता को अपनी कुटिल नीति ‘फूट डालो और शासन करो’ से नष्ट किया। तत्काल मुस्लिम शासकों की अधिनायक नीति और अंग्रेजों के लोकतांत्रिक दृष्टिकोण के कारण भी इसे जनता का समर्थन मिला।
बाद में स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान ऐसी घटनाएँ घटीं जिसने आग में घी डालने का काम किया। भारत के स्वतंत्रता की औपचारिक शुरुआत सर सैयद अहमद खाँ द्वारा चलाए जाने वाले अलीगढ़ आन्दोलन से मानी जाती है। अंग्रेजों की मुसलमानों के प्रति तुष्टिकरण की नीति ने भी हिन्दू-मुस्लिम के बीच की खाई को बढ़ाने का प्रयास किया। उदाहरणार्थ, 1882 के एक्ट में पृथक् प्रतिनिधित्व की व्यवस्था, बंगाल का विभाजन, मुस्लिम लीग की स्थापना में सहयोग आदि कदम हिन्दुओं के प्रति अंग्रेजों की अलगाववाद की नीति के परिचायक हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच की खाई बढ़ती गई। धीरे-धीरे दूसरे सम्प्रदायों के बीच भी वैमनस्य और घृणा बढ़ने लगी जिसकाअन्तिम परिणाम भारत के विभाजन और पाकिस्तान के जन्म के रूप में हुआ। स्वतंत्रता के बाद साम्प्रदायिकता की स्थिति में काफी बदलाव आया। विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों और सरकार की नीतियों के परिणामस्वरूप साम्प्रदायिकता सौहार्द्र के निर्माण में काफी मदद .. मिली है। लेकिन फिर भी देश के विभिन्न भागों में हो रहे साम्प्रदायिक दंगे इस बात का संकेत करते हैं कि अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।


Q.106. संविधान क्या है ?

Ans :- संविधान ऐसे नियमों तथा सिद्धान्तों का समूह है, जिसके अनुसार शासन के विभिन्न अंगों का संगठन किया जाता है, उनको शक्तियाँ प्रदान की जाती हैं, उनके आपसी सम्बन्धों को नियमित किया जाता है तथा नागरिकों और राज्य के बीच सम्बन्ध स्थापित किये जाते हैं। इन नियमों के समूह को ही संविधान कहा जाता है।


Q.107. भारतीय संविधान के दो संघीय तत्त्व लिखें।

Ans. भारतीय संविधान के दो संघीय तत्त्व निम्नलिखित हैं
(i) यह लिखित संविधान है।
(ii) संविधान में केंद्र व राज्यों के बीच शक्ति-विभाजन किया गया है
(a) संघ सूची
(b) राज्य सूची
(c) समवर्ती सूची

इन तीनों सूचियों में अलग-अलग विषय दिये गये हैं।


Q. 108. भारत में विभिन्नता में एकता है, समझाइये।

Ans :- भारत में अनेक जाति, संस्कृति व भौगोलिकताओं के लोग रहते हैं, भारत में अनेक पर्व, वेशभूषा व त्योहार पाये जाते हैं परन्तु फिर भी सभी लोग भारतीयता के तार से जुड़े हुए हैं। सभी एक-दूसरे के पर्व व त्योहारों में शामिल होते हैं। भारत के बारे में यह सही कहा जाता है। कि भारत में विभिन्नता में एकता है। भारत के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि भारत एक देश नहीं बल्कि एक महाद्वीप है। भारत में थोड़ी-थोड़ी दूर पर भाषा, बोली, भौगोलिकता बदल जाती है। फिर भी सभी का साझा इतिहास है, साझे सुख-दुःख हैं व साझी भविष्य की आकांक्षाएँ हैं। सभी ने मिलजुल कर राष्ट्रीय स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी व स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद सभी सामूहिक मोटारी के साथ राष्ट्र के निर्माण व राज्य के विकास में लगे हुए हैं। चाहे वे हिन्दू हों मुसलमान हों. सिक्ख हों या ईसाई हों । सभी पहले भारतीय हैं बाद में कछ और हैं। हर संकट की घड़ी में सभी भारतीयों ने इस तथ्य को सिद्ध भी किया है। भारत के लोगों ने अपने पिछले आजादी के नाट 60 वर्षों में यह सिद्ध कर दिया है कि भारत में अनेकता में एकता है।


Q.109. अविश्वास प्रस्ताव पर टिप्पणी लिखिए।

Ans :-भारत में संसदीय सरकार की स्थापना की गई है और संसदीय सरकार में कार्यपालिका अर्थात प्रधानमंत्री व मंत्रिपरिषद् अपने समस्त कार्यों के लिए संसद (विशेष तौर से लोकसभा) के प्रति उत्तदायी होती है। संसद मंत्रियों से उनके विभागों के कार्यों के सम्बन्ध में उनसे प्रश्न पूछकर, उनके विरुद्ध काम रोको प्रस्ताव तथा निन्दा प्रस्ताव पास कर सकती है। इनके अतिरिक्त लोकसभा यदि मंत्रिपरिषद् के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पास कर दे तो सारी मंत्रिपरिषद् को त्याग पत्र देना पड़ता है। इस प्रकार अविश्वास प्रस्ताव द्वारा लोकसभा मंत्रिपरिषद् पर नियंत्रण रखती है।


Q.110. शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व क्या है ?

Ans :- ‘जियो और जीने दो’ का वाक्य शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व है जिसमें युद्ध का कोई स्थान नहीं है।


Q.111. विकास से आप क्या समझते हैं ?

Ans. वर्तमान भौतिकवादी युग में विकास का अभिप्राय आर्थिक विकास से लगाया जाता है। परन्तु भारत के परिप्रेक्ष्य में विकास का अर्थ ढूँढें तो यहाँ विकास का तात्पर्य भौतिक और आध्यात्मिक दोनों रहा है।


Q. 112. समानता से आप क्या समझते हैं ?

Ans :- साधारण भाषा में समानता का अर्थ है-सब व्यक्तियों का समान दर्जा हो, सबकी आय एक जैसी हो, सब एक ही प्रकार से जीवन-यापन करें। पर यह सम्भव नहीं है। लास्की ने कहा है, “समानता का अर्थ यह नहीं कि प्रत्येक व्यक्ति को समान वेतन दिया जाये, यदि ईंट ढोनेवाले का वेतन एक प्रसिद्ध गणितज्ञ अथवा वैज्ञानिक के समान कर दिया जाए, तो समाज का उद्देश्य ही नष्ट हो जायेगा। इसलिए समानता का यह अर्थ है कि कोई विशेष अधिकार वाला वर्ग न रहे। सबको उन्नति के समान अवसर प्राप्त हों।”


Q.113. आर्थिक समानता के बारे में आप क्या जानते हैं ?

Ans :- वर्तमान काल में आर्थिक समानता ने एक महत्वपूर्ण स्थान ले लिया है। इसका यह अर्थ नहीं है कि सब व्यक्तियों की आय अथवा वेतन समान कर दिया जाए। इसका अर्थ है-सबको उन्नति के समान अवसर प्रदान किये जाएँ। सभी की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति की जाए। प्रत्येक व्यक्ति को काम मिले।


Q.114. स्वतंत्रता की कोई एक परिभाषा देते हुए इसके प्रकारों का उल्लेख करें।

Ans :-  स्वतंत्रता की परिभाषा विभिन्न विद्वानों ने विभिन्न प्रकार से दी है। परंतु लास्की स्वतंत्रता की परिभाषा बहुत ही न्यायोचित ढंग से इस प्रकार देते हैं, “आधुनिक सभ्यता में मनुष्य की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी के लिए जो सामाजिक परिस्थितियाँ आवश्यक हैं उनके अस्तित्व में किसी प्रकार के प्रतिबंध के अभाव का नाम ही स्वतंत्रता है।”
स्वतंत्रता के प्रकार-स्वतंत्रता का प्रयोग विभिन्न अर्थों में किया गया है। फलत: इसके विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं
(i) प्राकृतिक स्वतंत्रता,
(ii) नागरिक स्वतंत्रता,
(iii) राजनीतिक स्वतंत्रता,
(iv) धार्मिक स्वतंत्रता.
(v) आर्थिक स्वतंत्रता,
(vi) सामाजिक स्वतंत्रता,
(vii) नैतिक स्वतंत्रता।


Class 12 political science objective questions bihar board 2024

Q.115. धार्मिक स्वतंत्रता का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

Ans :- मनुष्य के नैतिक तथा सामाजिक जीवन में धर्म का महत्वपूर्ण स्थान है। अतः प्रत्येक मनुष्य को अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म के स्वीकार करने, इसका पालन करने, पाठ, उपासना .. आदि की स्वतंत्रता को ही धार्मिक स्वतंत्रता कहते हैं। इसमें राज्य का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।और इसका किसी धर्म-विशेष के प्रति पक्षपात नहीं होना चाहिए।


Q. 116. न्याय का क्या अभिप्राय है ?  अथवा, न्याय का अर्थ समझाएँ।

Ans :- न्याय सदा से ही चिंतन का महत्त्वपूर्ण विषय रहा है। प्राचीन काल में इसे धर्म का पर्याय माना जाता था। इसे “जैसी करनी वैसी भरनी”, “कर्मों का फल”, “पूर्व जन्म का फल”,
“ईश्वर की इच्छा” कह कर पुकारा गया।
न्याय अर्थात् जस्टिस (Justice) शब्द लैटिन भाषा के ‘जस’ शब्द से बना है, इसका अर्थ – है “बंधन” या “बाँधना”। इस प्रकार न्याय का अभिप्राय उस सामाजिक व्यवस्था से है जिसमें व्यक्ति परस्पर संबंधों में बंधे रहते हैं। वास्तव में न्याय का उद्देश्य व्यक्ति के बीच अधिकारों का नियमन करना है। न्याय की अवधारणा का मुख्य उद्देश्य सम्पूर्ण समाज की भलाई है। प्लेटो के शब्दों में, “न्याय वह गुण है जो अन्य गुणों के बीच सामंजस्य स्थापित करता है।”


Q.117. प्रेस की स्वतंत्रता से आपका क्या अभिप्राय है ?

Ans :- प्रेस विचारों की अभिव्यक्ति का सबसे लोकप्रिय, सशक्त और सरल साधन है। इसमें लोगों के विचार प्रकाशित होते हैं। आज के प्रजातांत्रिक युग में तो प्रेस की स्वतंत्रता का बड़ा महत्त्व है। प्रेस को प्रजातंत्र का प्रहरी “Watch dog of democracy” कहा गया है। यदि प्रेस जागरूक रहे तो लोगों की स्वतंत्रता खतरे में नहीं पड़ सकती है। विरोधी दलों के नेताओं के विचारों को प्रकाशित करने से सरकार के मनमाने रवैये की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट करता है। प्रेस अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह तभी कर सकता है जबकि प्रेस स्वतंत्र हो।


Q.118. सामाजिक न्याय से आप क्या समझते हैं ?

Ans :- सामाजिक न्याय का अभिप्राय उस स्थिति से है, जिसमें व्यक्ति की गरिमा और प्रतिष्ठा का सम्मान किया जाए। जाति, रंग, लिंग, धर्म और समुदाय के आधार पर किसी के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाए। शिक्षा और उन्नति के अवसर सभी को समान रूप से सुलभ हों। मनुष्य का मनुष्य होने के नाते सम्मान किया जाए और सभी मनुष्य मिल-जुलकर कला, साहित्य, संस्कृति और तकनीकी साधनों का उपभोग और उपयोग बिना किसी भेदभाव के कर सके। दूसरे शब्दों में, सामाजिक न्याय का मुख्य लक्ष्य बंधुत्व के आदर्श को साकार करना है।


Q.119. अधिकार से आप क्या समझते हैं ?

Ans :- व्यक्ति की उन माँगों को, जिन्हें समाज द्वारा मान्यता प्राप्त तथा राज्य द्वारा संरक्षण प्राप्त न हो, अधिकार कहते हैं। कभी-कभी असंरक्षित माँगें भी अधिकार बन जाती हैं। भले ही उन्हें कानून का संरक्षण प्राप्त न हुआ हो। उदाहरण के लिए काम पाने का अधिकार राज्य ने भले ही स्वीकार न किया हो, परन्तु उसे अधिकार ही कहा जाएगा, क्योंकि काम के बिना कोई भी व्यक्ति अपना सर्वोच्च विकास नहीं कर सकता। बैन तथा पीटर्स (Benn and Peters) ने अधिकार की परिभाषा देते हुए कहा है, “अधिकारों की स्थापना एक सुस्थापित नियम द्वारा होती है। वह नियम चाहे कानून पर आधारित हो या परम्परा पर।” वास्तव में अधिकार समाज या राज्य द्वारा स्वीकार की गई वे परिस्थितियाँ हैं जो मानव विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं और चूँकि समाज का उद्देश्य श्रेष्ठ मानव का निर्माण करना है अतः आदर्श समाज उसी को कहा जा सकता है जिसमें मनुष्य बिना संघर्ष किए इन अनुकूल परिस्थितियों
को प्राप्त कर ले।


Q.120. नागरिकता का क्या अर्थ है ?

Ans :- नागारकता (Citizenship)–नागरिकता से नागरिक के जीवन की एक स्थिति निश्चित होती है जिसके कारण वह राज्य द्वारा दिए गए सभी सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकारों का प्रयोग करता है। राज्य के प्रति कुछ कर्त्तव्यों का पालन करता है। अतः एक नागरिक को राज्य का सदस्य होने के नाते जो स्तर (Status) अथवा पद प्राप्त होता है. उसे नागरिकता कहते हैं।


Q. 121. नागरिक व विदेशी में क्या अन्तर है ?

Ans :- नागरिक तथा विदेशी में निम्नलिखित अंतर हैं
(i) नागरिक उस राज्य का स्थायी निवासी होता है और विदेशी दूसरे राज्य का होता है।
(ii) दोनों के अधिकारों में भी भिन्नता होती है। नागरिकों को राजनीतिक व सामाजिक अधिकार प्राप्त होते हैं, विदेशियों को नहीं।
(iii) अपने राज्य के प्रति वफादारी रखना नागरिक का कर्त्तव्य है परन्तु विदेशी अपने राज्य (जिसका वह नागरिक है) के प्रति वफादार होता है।
(iv) युद्ध के समय विदेशियों को राज्य की सीमा से बाहर जाने के लिए कहा जा सकता है परन्तु नागरिकों को नहीं।
(v) नागरिक अपने राज्य की दीवानी तथा फौजदारी न्यायालयों के क्षेत्राधिकार के अधीन होता है जबकि विदेशी अस्थायी से निवास वाले राज्य के दीवानी, फौजदारी न्यायालयों के क्षेत्राधिकार के अधीन होता है।


Q. 122. वैश्विक तापवृद्धि विश्व में किस प्रकार खतरा उत्पन्न करता है ?

Ans :- वैश्विक ताप वृद्धि विश्व के अनेक भागों में भौगोलिक खतरों को उत्पन्न करता है।
उदाहरण-वैश्विक तापवृद्धि से अगर समुद्रतल 1.5 -2.0 मीटर ऊँचा उठता है तो बांग्लादेश का 20 प्रतिशत हिस्सा डूब जाएगा; कमोबेश पूरा मालदीव सागर में समा जाएगा और थाइलैंड की 50 फीसदी आबादी को खतरा पहुँचेगा।


Q.123. आंध्र प्रदेश के गठन के संदर्भ में पोट्टी श्रीरामुलु का नाम किस तरह जुड़ा हुआ है ?

Ans :- 1. प्रांत के तेलगुभाषी क्षेत्रों में विरोध भड़क उठा। पुराने मद्रास प्रांत में आज के तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश शामिल थे। इसके कुछ हिस्से मौजूदा केरल एवं कर्नाटक में भी हैं। विशाल आंध्र आंदोलन (आंध्र प्रदेश नाम से अलग राज्य बनाने के लिए चलाया गया आंदोलन) ने मांग की कि मद्रास प्रांत के तेलगुभाषी इलाकों को अलग करके एक नया राज्य आंध्रप्रदेश बनाया जाए। तेलुगुभाषी क्षेत्र की लगभग सारी राजनीतिक शक्तियाँ मद्रास प्रांत के भाषाई पुनर्गठन के पक्ष में थी।
2. केन्द्र सरकार ‘हाँ-ना’ की दुविधा में थी और उसकी इस मनोदशा से इस आंदोलन ने जोर पकड़ा। काँग्रेस के नेता और दिग्गज गांधीवादी, पोट्टी श्रीरामुलु, अनिश्चितकालीन भूख-हड़ताल पर बैठ गए। 56 दिनों की भूख-हड़ताल के बाद उनकी मृत्यु हो गई। इससे बड़ी अव्यवस्था फैली।
3. आंध्र प्रदेश में जगह-जगह हिंसक घटनाएँ हुईं। लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर निकल आए। पुलिस फायरिंग में अनेक लोग घायल हुए या मारे गए। मद्रास में अनेक विधायकों ने विरोध जताते हुए . अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया। आखिरकार 1952 के दिसंबर में प्रधानमंत्री ने आंध्रप्रदेश नाम से अलग राज्य की घोषणा की।


कक्षा 12 राजनीति विज्ञान लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर 2024

Q.124. संक्षेप में राज्य पुनर्गठन आयोग के निर्माण की पृष्ठभूमि, कार्य तथा इससे जुड़े ऐक्ट का उल्लेख कीजिए।

Ans :- आंध्र प्रदेश के गठन के साथ ही देश के दूसरे हिस्सों में भी भाषायी आधार पर राज्यों को गठित करने का संघर्ष चल पड़ा। इन संघर्षो से बाध्य होकर केन्द्र सरकार ने 1952 में पनर्गठन आयोग बनाया। इस आयोग का काम राज्यों के सीमांकन के मामले पर गौर करना भार इससे अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया कि मामले पर गौर करना था। इसने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया कि राज्यों की सीमाओं का निर्धारण वहाँ बोली जानेवाली भाषा के आधार पर होना चाहिए। इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पास हुआ। इस अधिनियम के आधार पर 14 राज्य और 6 केन्द्र शासित प्रदेश बनाए गए।


Q. 125. क्षेत्रीय दलों के अभ्युदय के कारणों का वर्णन करें।

Ans :- 1967 के चुनाव के बाद क्षेत्रीय दलों की भूमिका बढ़ने लगी। 1985 में लोकसभा . – में विपक्ष के रूप में सबसे बड़ा दल एक क्षेत्रीय दल तेलगु देशम था। 1989 के बाद गठबंधन राजनीति के विकास के साथ क्षेत्रीय दलों की राष्ट्रीय राजनीति में विशिष्ट भूमिका हो गई। तेलगु देशम तथा शिवसेना जैसे क्षेत्रीय दलों के प्रतिनिधि को लोकसभा का अध्यक्ष पद तक प्राप्त हुआ। -क्षेत्रीय दलों के अभ्युदय का मुख्य कारण राष्ट्रीय दलों का कमजोर पड़ना है। राष्ट्रीय दलों द्वारा क्षेत्रीय समस्या तथा पहचान की उपेक्षा का आरोप लगाया जाता है। इसी क्षेत्रीय भावना को उभारकर क्षेत्रीय दल अपनी स्थिति सुदृढ़ करते हैं। राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र को भारत में नहीं अपनाये जाने की परम्परा भी क्षेत्रीय दलों के विकास के कारण हैं।


Q.126. महिला सशक्तिकरण से आप क्या समझते हैं ?

Ans :- महिला सशक्तिकरण का सीधा अर्थ है कि महिलाएँ इतनी सशक्त हो सकें कि वे सामाजिक, आर्थिक तथा राष्ट्रीय दायित्वों के निर्वाह की क्षमता प्राप्त कर लें। कोई भी व्यवस्था अपनी आधी आबादी की उपेक्षा कर या भागीदार न बना कर अपनी स्थिति को सुदृढ़ नहीं कर सकता है। इस प्रकार महिला सशक्तिकरण का व्यापक अर्थ यह है कि महिलाओं की क्षमता का उपयोग राष्ट्र निर्माण के संदर्भ में किया जाए। अर्थात महिला सशक्तिकरण एक सामाजिक और राष्ट्रीय आवश्यकता है। महिलाओं को पुरुषों के समान क्षमतावान, सक्रिय सहभागी तथा निर्णय निर्माता बनाना है। इसके लिए यह आवश्यक है कि महिलाओं के लिए शैक्षणिक, सामाजिक तथा आर्थिक बाधाएँ दूर की जाएँ।


Q.127. श्रीलंका के जातीय संघर्ष में किनकी भूमिका प्रमुख है ? उनकी भूमिका पर विचार-विमर्श कीजिए।

Ans :- 1. श्रीलंका के जातीय संघर्ष में भारतीय मूल के तमिल प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। उनके संगठन लिट्टे की हिंसात्मक कार्यवाहियों तथा आंदोलन के कारण श्रीलंका को जातीय संघर्ष का सामना . करना पड़ा जिसकी माँग है कि श्रीलंका के एक क्षेत्र को अलग राष्ट्र बनाया जाये।
2. श्रीलंका की राजनीति पर बहुसंख्यक सिंहली समुदाय का दबदबा रहा है। तथा तमिल सरकार । एवं नेताओं पर उनके (तमिलों के) हितों की उपेक्षा करने का दोषारोपण करते रहे हैं।
3. तमिल अल्पसंख्यक हैं। ये लोग भारत छोड़कर श्रीलंका आ बसी एक बड़ी तमिल आबादी के खिलाफ हैं। तमिलों का बसना श्रीलंका के आजाद होने के बाद भी जारी रहा। सिंहली राष्ट्रवादियों का मानना था


Class 12th Political Science Objective Question 2024

   S.N Class 12th Political Science Objective Question 2024
   1.   शीत युद्ध का दौर
   2.   दो ध्रुवीयता का अंत
   3.  समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व
   4.   सत्ता के वैकल्पिक केंद्र 
   5.   समकालीन दक्षिण एशिया
   6.   अंतरराष्ट्रीय संगठन 
   7.   समकालीन विश्व में सुरक्षा
   8.   पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन
   9.   वैश्वीकरण
  10.   राष्ट्र निर्माण की चुनौतियां
  11.  एक दल के प्रभुत्व का दौर
  12. नियोजित विकास की राजनीति
 13. भारत के विदेशी संबंध
 14. कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियां और पुनर्स्थापना
 15. लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट
 16. जन आंदोलन का उदय
 17.  क्षेत्रीय आकांक्षाएं
 18. भारतीय राजनीति : नए बदलाव